अजय कुमार, लखनऊ
2012- सपा-37, बसपा-03,भाजपा-05,कांग्रेस-05,पीस पार्टी-02
उत्तर प्रदेश विधान सभा के पांचवें चरण में 27 फरवरी को 11 जिलों(बलरामपुर, गोण्डा, फैजाबाद, अम्बेडकरनगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, सुलतानपुर और अमेठी) की 52 सीटों पर एक करोड़ 84 लाख मतदाता 617 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। 2012 के विधान सभा चुनाव में यह इलाका सपा के दबदबे वाला रहा था। सपा ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी,जबकि बसपा-3,भाजपा-5 कांग्रेस-05 और पीस पार्टी को 2 सीट पर ही जीत हासिल हो पाई थी। यह क्षेत्र कई मायनों में बाकी इलाकों से अलग-थलग नजर आता है। पांचवें चरण में वह जिला (अबंडेकरनगर) भी शामिल है जहां से कभी बसपा मुखिया चुनाव लड़ चुकी है। यहां बसपा का प्रभुत्व था लेकिन 2012 में जनता ने इन्हें पटखनी दे दी। वहीं अयोध्या के नाम पर राजनीति करने वाले भाजपा को अयोध्या की सीट तक नहीं मिली। इसी तरह अमेठी गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है,लेकिन यहां से 2012 में मतदाताओं ने उनके प्रत्याशियों को विधानसभा तक पहुंचने नहीं दिया।
उत्तर प्रदेश की सियासत को बिल्कुल अलग मुकाम पर ले जाने वाली भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में भी इसी चरण में मतदान होना है।भले ही अयोध्या सीट भाजपा हार चुकी हो लेकिन यह सब जानते हैं कि अयोध्या ने बीजेपी को फर्श से अर्श पर पहुंचाने का काम किया था। बीजेपी की कभी लोकसभा में मात्र दो सीटें हुआ करती थीं,लेकिन रामलाल के सहारे आज देश में बीजेपी की सरकार है। इतना ही नहीं पूरे देश में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस सहित अन्य दल काफी पीछे छूट गये हैं।
पांचवें चरण में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में भी मतदान होना है। अमेठी में प्रियंका भी राहुल के साथ चुनाव प्रचार के लिये पहुंची थी। यहां राहुल गांधी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। 2012 के विधान सभा चुनाव में अमेठी में कांग्रेस का बुरा हाल रहा था तो 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल को अपनी अमेठी संसदीय सीट बचाने में छींके आ गई थीं। इस चरण में अखिलेश सरकार के चर्चित मंत्री गायत्री प्रजापति के भाग्य का फैसला भी होगा, जिसकी वजह से अखिलेश को काफी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रजापति के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज्र हुआ है,लंेकिन पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने से बच रही है। यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए गायत्री प्रजापति के विधान सभा क्षेत्र से ही सीएम अखिलेश ने 2017 के चुनाव के लिये बिगुल बजाया था। गायत्री प्रजापति के प्रचार में नेताजी मुलायम सिंह यादव के आने की भी बात सामने आई थी,मगर बाद में उनका कार्यक्रम रद्द होने की खबर आ गई।
पांचवें चरण के चुनाव में राजनीतिक परिवारों की नई पीढ़ी खूब फलती-फूलती नजर आ रही है। सियासी मैदान में लोकतंत्र के कई नए योद्धा पूरी ताकत के साथ डटे हुए हैं। सुलतानपुर जिले में विधायक पिता इंद्रभद्र सिंह की हत्या के बाद प्रतिशोध की आग में दहकते उनके दोनों बेटों पर दबंगई के चलते कई मुकदमें दर्ज हुए तो राजनीति में उन्होंने अपना मुकाम भी हासिल किया। इंद्रभद्र का एक बेटा चंद्रभद्र विधायक हो गया तो दूसरा बेटा यशभद्र ब्लाक प्रमुख बन गया। इस बार इसौली सीट पर यशभद्र रालोद के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं तो भाई चंद्रभद्र ने उनके लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
कैसरगंज के बाहुबली सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह राजनीति में खुद सक्रिय हैं और बेटे के लिए भी राजनीति का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। ब्रजभूषण के पुत्र प्रतीक भूषण सिंह भाजपा के टिकट पर गोंडा में चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह से अंबेडकरनगर जिले में जलालपुर क्षेत्र से कई बार विधायक रहे शेर बहादुर सिंह पिछली बार सपा से चुनाव जीते थे। हाल में वह भाजपा में शामिल हुए तो लोग कहने लगे कि वह फिर किस्मत आजमाएंगे, लेकिन पुत्रमोह में फंस कर शेर बहादुर ने अपने बेटे डॉ. राजेश सिंह को भाजपा का टिकट दिला दिया।
बहराइच के मटेरा में यासर शाह पिछली ही बार अपने पिता के साथ विधानसभा में चुनकर आ गए थे। यासर शाह मंत्री भी बने और अब परिवार की परंपरा और प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाने में फिर सपा के टिकट पर मटेरा में जूझ रहे हैं। पूर्व मंत्री घनश्याम शुक्ल के निधन के बाद उनकी पत्नी नंदिता शुक्ला ने गोंडा के मेहनौन से 2012 में सपा के टिकट से विधानसभा चुनाव जीता। पर इस बार वह मैदान में नहीं हैं। उन्होंने अपने पुत्र राहुल शुक्ला को सपा का टिकट सौंप दिया है। सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ क्षेत्र में पूर्व मंत्री दिनेश सिंह की विधायक पत्नी लालमुनी सिंह ने अपने पुत्र उग्रसेन सिंह को सपा के टिकट पर मैदान में उतारकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को तिलांजली दे दी है। वह पुत्र को सियासत में स्थापित करने के लिए अपनी ताकत लगा रहे हैं।
अबकी बार कई महिलाएं भी घर की डयोढ़ी से निकल कर सियासत में दांवपेंच अजमा रही है।इसमें कुछ ऐसी भी हैं जो इंसाफ के लिये मैदान में कूदी हैं। अंबेडकरनगर की टांडा विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2013 में राम बाबू गुप्ता की हत्या कर दी गयी और बाद में उनके मुकदमे की पैरवी करने वाले भतीजे को भी मार दिया गया। पति और भतीजे की मौत के वक्त राम बाबू की पत्नी संजू देवी एक सामान्य गृहिणी थीं और राजनीति से दूर-दूर तक उनका कोई वास्ता नहीं था। संजू देवी ने परिवार के ऊपर दबंगों के हमले के खिलाफ आवाज उठाई और अब वह जनता की अदालत में पति के खून का इंसाफ मांग रही हैं। संजू देवी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। संजू ही की तरह से अमेठी राजघराने की एक बहू भी इंसाफ के लिए जनता की अदालत में खड़ी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजा संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह और दूसरी पत्नी अमिता सिंह के बीच अमेठी में जंग चल रही है। यहां भी इंसाफ का नारा गूंज रहा है। अमिता कांग्रेस और गरिमा भाजपा की उम्मीदवार हैं। अमिता सिंह अपने आप को संजय सिंह की पत्नी बता रही हैं,जबकि गरिमा कहती फिर रही हैं कि सिर्फ वह ही संजय सिंह की पत्नी हैं दूसरी कोई नहीं।
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह जिन्होंने बीकापुर को अपना क्षेत्र बनाया और पिछले उप-चुनाव में पराजित हो गये थे। बाद में मुन्ना सिंह की बीमारी से मौत हो गई। मुन्ना की मौत के बाद उनकी राजनीतिक जमीन पर पत्नी शोभा देवी उतरी हैं। मुन्ना सिंह के रहते सियासत से दूर घर-गृहस्थी में सक्रिय उनकी पत्नी अब भाजपा के टिकट पर बीकापुर में डटी हैं। बहराइच विधानसभा क्षेत्र सपा सरकार के कद्दावर मंत्री रहे डॉ. वकार अहमद शाह का गढ़ हुआ करता था, वह 1993 से यहां से लगातार विधायक चुने जा रहे थे। 2012 में चुनाव जीतने के बाद मंत्री भी बने, लेकिन बाद में खराब सेहत के चलते घर तक में ही सिमट कर रह गये। वकार शाह की सीट पर उनकी पत्नी रुबाब सईदा ने पर्चा भरा है। सईदा बहराइच की सांसद भी रह चुकी हैं। बेटा यासर शाह जिला बहराइच की ही मटेरा विधान सभा क्षेत्र से सपा के टिकट से चुनाव मैदान में है।
अमेठी के राजघराने भूपति भवन से कांग्रेस सांसद संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह और अमिता सिंह के चुनाव की चर्चा हो रही है तो शोहरतगढ़ क्षेत्र में शोहरतगढ़ स्टेट के रवीन्द्र प्रताप चौधरी उर्फ पप्पू चौधरी, बांसी स्टेट के राज कुमार जय प्रताप सिंह, बस्ती स्टेट के राजा ऐश्वर्य राज सिंह, परसापुर स्टेट घराने के योगेश प्रताप सिंह समेत राजघरानों के कई वारिस चुनाव मैदान में हैं। इनमें कई विधानसभा में पहले से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते आ रहे हैं।
अन्य चरणों की तरह पांचवें चरण में कई पुराने सियासी धुरंधर मैदान में ताल ठोेक रहे हैं। समाजवादी सरकार के मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह-तरबगंज, मंत्री तेजनारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय-अयोध्या, मंत्री शंखलाल मांझी-जलालपुर, पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह-हर्रैया, अकबरपुर में मंत्री राममूर्ति वर्मा और उनके मुकाबले बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर समेत कई दिग्गजों को भी इस चुनाव में प्रतिद्वंदियों से कड़ी टक्कर मिल हैं। इन दिग्गजों की राह रोकने के लिए विपक्षी खेमे नं पूरी ताकत लगा रखी है। सपा सरकार के परिवहन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति का चुनाव क्षेत्र अमेठी इसी चरण में है।
इस चरण में दो चर्चित दंबग भी है। पिछली बार गोसाईगंज से सपा के टिकट पर बाहुबली अभय सिंह ने जेल से चुनाव लड़ और जीत हासिल की। इस बार फिर वह सपा के टिकट पर है। तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने वाले जितन्द्र ंिसंह बबलू को भी बसपा ने बीकापुर से टिकट दिया है। पिछली बार बीकापुर से बबलू का टिकट बसपा ने काट दिया था। 2012 में वह पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए थे।
यहां के मुद्दे- विकास में फिसड्डी रहे श्रावस्ती, बहराइच, गोण्डा, अम्बेडकरनगर, सिद्धार्थनगर आदि में सड़क, बिजली, भष्टाचार, कानून व्यवस्था से लेकर कई बड़ी समस्याएं हैं। इसके अलावा बेरोजगारी और गरीब अभिशाप बनी हुई है। रोजागर की तलाश में मुम्बई या अन्य बड़े शहरों के लिये गाड़ी पकड़ने वालो में सबसे ज्यादा लोग पूर्वाचल के ही नजर आते हैं।
तमाम सरकारों ने तो यहां के वाशिंदों से नाइंसाफी की ही कुदरत भी यहां खूब कहर बरपाती हैं। बाढ़ और सूखे दोनों की मार इन इलाकों में हमेशा रहती है। बारिश में हर साल घाघरा और इसकी सहायक नादियों की कटान गोण्ड़ा, बहराइच आदि इलाकों में हजारों किसानों को घर से बेघर कर देती है। रोजगारी और प्रति व्यक्ति बिजली उपभोग के मामले में पूर्वाचल के जिले यूपी के अन्य क्षेत्रों से काफी पीछे है। सपा को सत्ता तक पहंुचाने में इस चरण का खासा योगदान रहा। यहां की लगभग 70 फीसदी सीटे सपा की झोली में गिरी। यहां से अवधेश प्रसाद, पवन पांडेय,गायत्री प्रसाद प्रजापति, विनोद पण्डित, शंख लाल माझी, राम मूर्ति वर्मा, यासर शाह, राम करन आर्या आदि को अखिलेश ने अपनी सराकर में मंत्री भी बनाया। इसके बाद भी यहां विकास नहीं दिखा।
5वें चरण में 1.84 करोड़ मतदाता
पांचवे चरण में अवध तथा पूर्वांचल के 11 जिलों की 52 सीटों पर कुल 1.84 करोड़ मतदाता 617 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इनमें 90 लाख पचास हजार पुरूष और 85 लाख 09 हजार महिला वोटर हैं ।27 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए कुल 12791 मतदान कंेद्र और 19167 मतदेय स्थल बनाये गये है।
कहां कितने प्रत्याशी कुल प्रत्याशी-617
1.फैजाबाद-54 2.अम्बेडकर नगर-54
3.बहराइच-69 4.सिद्धार्थनगर-48
5.बस्ती सदर-58 6.गोंडा-87
7.श्रावस्ती-24 8.बलरामपुर-53
9.सुल्तानपुर/अमेठी-128 10 संतकबीर-42
11 जिलों की 52 सीटें मतदान 27 फरवरी
1. अमेठी विधान सभा क्षेत्र-05 सींटे
तिलोई, जगदीशपुर, गौरीगंज, अमेठी, इसौली
2.सुलतानपुर विधान सभा क्षेत्र-04 सीटें
सुल्तानपुर, सदर (जयसिंहपुर), लंबुआ, कादीपुर
3. फैजाबाद विधान सभा क्षेत्र-सीटें-05
रुदौली, मिल्कीपुर, बीकापुर, अयोध्या, गुसाईंगंज
4.अंबेडकर नगर विधान सभा क्षेत्र सीटें-05
कटेहरी टांडा आलापुर जलालपुर अकबरपुर
5. बहराइच नगर विधान सभा क्षेत्र सीटें-07
बलहा, नानपारा, मतेरा, महासी, बहराइच, पयागपुर, कैसरगंज
6. श्रावस्ती नगर विधान सभा क्षेत्र सीटें-02
भिनगा श्रावस्ती
7. बलरामपुर नगर विधान सभा क्षेत्र सीटें-04
तुलसीपुर गैनसारी उतरौला बलरामपुर सदर
8. गोंडा नगर विधान सभा क्षेत्र सीटें-07
महनौन, गोण्डा, कटरा बाजार, कर्नलगंज, तरबगंज, मनकापुर, गौरा
9. सिद्धार्थनगर विधान सभा क्षेत्र सीटें-05
शौहरतगढ़ कपिलवस्तु बंसी इटवा डुमरियागंज
10.बस्ती नगर विधान सभा क्षेत्र कुल सीटें-05
हरैया, कप्तानगंज, रुधौली, बस्ती सदर, महादेवा
11.संत कबीर नगर विधान सभा क्षेत्र सीटें-03
मेंहदावल खलीलाबाद धनघटा
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