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8.11.17

अलविदा! रिलायंस इंडिया मोबाइल

भारत में मोबाइल क्रान्ति की शुरूआत करने वाली रिलायंस इंफोकोम (अब रिलांयस कम्यूनिकेशन, अनिल धीरूभाई अम्बानी ग्रुप) ने अपनी वॉयस सर्विस बंद करने की घोषणा कर दी है । 13 साल से भी ज्यादा समय तक इसका साथ रहा तो लगता है कि कुछ अपना सा छूट रहा है । आज ही सिम दूसरे नेटवर्क में पोर्ट करायी है लेकिन रिलायंस से कम्यूनिकेशन के बंद होने का अजीब सा दुख है । इस पुराने नेटवर्क से शायद लगाव ही था जो ‘जियो’ की इतनी सस्ती सर्विस आने के बाद भी इससे साथ नहीं छूटा था । सन् 2004 में मथुरा से प्रकाशित पत्रिका ‘प्रोपर्टी इनसाईट’ के साथ कैरीयर की शुरूआत थी । ‘लक्ष्मी प्रकाशन’ ग्रुप द्वारा इसका प्रकाशन किया जा रहा था । लिखना और विज्ञापन कलैक्शन यह दो काम जिम्मे थे । तब यह एलजी का यह रिलायंस सीडीएमए सैट ग्रुप के एम.डी. मुरारीलाल अग्रवाल जी ने दिया था, जो आज तक सहेज रखा है । तब से बहुत से मोबायल सेट बदले, रिलायंस का साथ आज तक चल रहा था ।


सन् 2000 तक कम्प्यूटर भी बड़ी चीज हुआ करता था । दूरसंचार के नाम पर बेसिक फोन की लोकप्रियता तब चरम पर थी । एसटीडी पीसीओ की दुकान खोलना तब एक मुख्य रोजगार था । वहीं किसी घर में बड़े चोगे वाले फोन, रहने वालों की हैसीयत बढ़ा देते थे । तब किसी के पास मोबायल जैसी डिवायस का होना उसकी अमीरी की निशानी माना जाता था। खाते-पीते लोगों के साथ बड़े-बड़े मोबायल भी खाते-पीते जैसे ही दिखते थे, आजकल की तरह छरहरे, नाजुक बदन की तरह नहीं थे । बीएसएनएल, आयडिया और एयरटेल जैसी चुनिंदा कम्पनियाँ पोस्टपेड ग्राहकों को सर्विस दिया करती थीं । कॉल दरें बेहद महंगी थी और इनकमिंग कॉल पर भी लोगों का पैसा कटता था । इसलिये बातें भी जरूरी और संक्षिप्त होती थीं ।

आम मजदूर आदमी को तकनीकि से जोड़ने वाली यह किसी निजीक्षेत्र की पहली सेवा थी जिसने लोगों के बीच की दूरियों को पास लाने का काम किया । 28 दिसम्बर 2002 को रिलांयस ग्रुप ने धीरूभाई अंबानी के सपने को समर्पित ‘‘कर लो दुनियाँ मुठ्ठी में’’ स्लोगन के साथ ‘रिलायंस इंडिया मोबायल’ को लाँच किया था । मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने अपने पिता के सपने को वास्तव में साकार करने की बात कही । हर भारतीय को पोस्टकार्ड के दाम पर दूरंसचार सुविधा उपलब्ध कराना धीरू भाई का सपना था ।

मंहगें मोबायल फोन और कॉलिंग के बीच रिलायंस ने वो धमाका किया जिसने मोबायल तकनीकि को एक झटके में आम आदमी के हाथों का खिलोना बना दिया । 10,500 की कीमत वाले मल्टीमीडिया एलजी और सैमसंग का बिना सिम वाले सीडीएमए मोबायल सेट सस्ती कॉल दरों के साथ मात्र 3,500 रूपये में मिल रहे थे । जल्दी ही यह मूल्य भी घटकर न्यूनतम हो गया और केवल 501 रूपये में मोबायल आम आदमी की मुठ्ठी तक पहुंच गया । टीवी, अखबारों में विज्ञापन थे तो हर जुबान पर रिलायंस था । सस्ते पोस्टपेड प्लॉन पर लगातार मोबायल बिक रहे थे । रिलायंस के ग्राहक संख्या करोड़ों में जा रही थी, निजी कम्पनियों में ऐयरटेल का साम्राज्य डोल गया । रिलांयस ने देशभर में 60,000 किलोमीटर फायबर केबल बिछाने का लक्ष्य रखा था ।

लेकिन जल्दी ही इस ‘वरदान’ का दुरूपयोग भी शुरू हो गया । बहुत से लोगों के पोस्टपैड बिल हजारों में हो गये जिनका भुगतान नहीं किया गया । अप्रत्याशित रूप से बिना भुगतान के भी रिलांयस की सर्विस जारी रही । ऐसे में कम्पनी ने ‘प्रीपेड’ सिम लॉंच की । पुराने बिलों को खत्म कर नये सिरे से सिम जारी हुईं । यहाँ से प्रीपेड मोबायल सर्विस की शुरूआत हुई जिसे बाद में अन्य कम्पनियों ने भी चलन में ले लिया ।

प्रीपेड सेवा में भी रिलायंस ने बाजी मार ली थी । बेहद कम दरों पर रिलायंस टू रिंलायस फ्री का प्लॉन आया तो युवा प्रेमियों ने प्रेम की पींगे छत तक बढ़ा लीं थीं । प्रेमपत्रों के खत्म होने का अगर किसी को दोष देना हो तो आप रिलांयस वालों को दे दीजिये । हमारे लड़कपन में तब लगभग हर दूसरे प्रेमी जोड़े पर रिंलायस की सिम पायी जाती थी । आर फ्रेण्ड पर आप किसी भी अनजान लड़के या लड़की से बिना अपना नम्बर बताये चैटिंग कर सकते थे और ‘बात बढ़ने’ पर रिलायंस टू रिलायंस फ्री के प्लॉन का भरपूर उपयोग । रिलायंस के लैण्डलाईन फोन को भी बाजार का साथ मिला ।

2005 में मुकेश अम्बानी और अनिल अम्बानी में तकरार और बंटवारें के बाद रिलायंस कम्यूनिकेशन अनिल के हिस्से रिलायंस कम्यूनिकेशन, अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप में तब्दील हो गया । 2007 तक रिलायंस कम्यूनिकेशन ने भारत के टैलीकम्यूनिकेशन बाजार के 17 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर लिया था । वर्तमान में रिलांयस कम्यूनिकेशन (आर.कॉम) के 11 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं ।

कम्पनी कुछ वर्षों से वित्तीय परेशानियों का सामना कर रही थी । पिछले साल ही आर कॉम ने अपने 50 लाख से ज्यादा सीडीएम सेवा बंद कर दी थी । इस वर्ष की शुरूआत में एयरसेल से विलय की बात भी नहीं बन पायी । पिछले महीने ही कम्पनी की ओर से यह सकेंत मिल रहे थे कि वॉयस सर्विस को बंद किया जा सकता है । कम्पनी की और से इसकी अधिकारिक घोषणा कर दी गयी है । 3 जी एवं 4 जी डाटा सर्विस को भी फायदा रहने तक चालू रखा जायेगा ।

फिलहाल ऐयरटेल, आयडिया, बीएसएनएल, वोडाफोन जैसी कम्पनियों को आर कॉम के करोड़ो जरूरतमंद ग्राहक यूँ ही मिल रहे हैं । देखना यह होगा कि मोबायल को हर हाथ में देने वाली कम्पनी के पुराने ग्राहक किसके हाथों में ज्यादा जाते हैं ।   
-जगदीश वर्मा ‘समन्दर’

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