श्रम विभाग में संगठन न होने और हर माह बैठक न होने की करें शिकायत
प्राइवेट संस्थानों में शोषण का मुख्य कारण है श्रमिक संगठनों का न होना। वैसे कागजों में हर उद्योग में श्रमिक संगठन होता है और उसकी नियमित बैठक भी होती है लेकिन यह फर्जी होता है। यह मालिक का एक कूटरचित संगठन होता है।
हमें जरूरत है इसे जिंदा करने की। इसी लेकर हमें श्रम विभाग में शिकायत करनी होती है कि यह जो संगठन है यह मालिक द्वारा बनाया गया फर्जी संगठन है। कृपया श्रम अधिकारी की उपस्थिति में बैठक कराई जाय और यह हर माह हो। इसके चुनाव हों।
बाहरी संगठन करें मदद
सबसे ज्यादा जरूर है बाहरी श्रमिक संगठनों की। इन्हें चुन चुन कर हर उद्योग में अपने संगठन की इकाई गठित करनी चाहिए। इसके लिए इन्हें सक्रिय होना चाहिए। श्रमिकों को भी यह सोचना चाहिए कि यदि आज वो संगठन को मामूली चन्दा नहीं देंगे तो कल उनके अधिकारों के शोषण के खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं होगा।
संगठन लगा सकता है केस
संगठन के पास वह क्षमता होती है कि वह किसी भी श्रमिक से अनुमति लिए बिना उसके पक्ष से केस लड़ सकता है। श्रम विभाग में शिकायत कर सकता है। श्रमिक और मालिक के बीच समझौता करा सकता है।
आप किसी संगठन से जुड़े तो नौकरी गई
प्रेस मालिक अपने संस्थानों में अघोषित यह चेतावनी देते हैं कि आप किसी संगठन से जुड़े तो आपकी नौकरी गई। दरअसल अब समय बदल गया है। अब ऐसी चेतावनी का कोई मतलब नहीं। खैर आप गोपनीय तरीके से संगठन में जुड़ सकते हैं। ऑफिस के अंदर श्रमिक विरोधी क्या गतिविधि हो रही है इसकी शिकायत संगठन के माध्यम से श्रम विभाग में करा सकते हैं। खुद गोपनीय शिकायत कर सकते हैं।
पर समस्या यह होती है कि अधिकांश सरकारी कर्मचारी काम करना ही नहीं चाहते। इसलिए वे नोटिस तो जारी कर देते हैं पर संगठन चाहे जो जवाब दे। चाहे कविता ही लिखकर क्यों न दे दे। श्रम विभाग संतुष्ट हो जाता है और शिकायत बंद कर देता है। लेकिन यदि श्रमिक संगठनों ने शिकायत की है तो वह तब तक बंद नहीं होगी जब तक संगठन का पदाधिकारी संतुष्ट नहीं होता।
लेखक-महेश्वरी प्रसाद मिश्र
पत्रकार
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