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1.1.08

नया साल मुबारक हो.......!


नया साल मुबारक हो.......!


दोस्तों, नए साल की हार्दिक बधाइयां।
उम्मीद है कि नये साल में आपके सभी सपने पूरे होंगे और आप कामयाबी की नई बुलंदियों को छुएंगे।
छायावादी कवि निराला जी की लिखी एक प्रार्थना जो कई साल पुरानी है लेकिन फिर भी नई है। इसके एक-एक शब्दों में नई अनुभूति है। नए साल में मैं यही प्रार्थना करता हूं।
वर दे वीणा वादिनी वर दे।
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव भारत में भर दे।
काट अंघ उर के बंधन स्तर।
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर।
कलुष भेद तम हर प्रकाश भर जगमग जग कर दे।
वर दे वीणा वादिनी वर दे।

नव गति नव लय ताल-छंद नव,
नवल कंठ नव जलद मंद रव।
नव नभ के नव विहग वृंद को,
नव पर नव स्वर दे।
वर दे वीणा वादिनी वर दे।
वर दे वीणा वादिनी वर दे।

- अमित कुमार मिश्रा, सीएनईबी।

2 comments:

Anonymous said...

नव वर्ष पर निराला जी की कविता पढकर ऊर्जा का संचार हुआ जिसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
नए साल में आपको ढेरों शुभकामनाएँ

सौरभ आत्रेय said...

Sach mein maja aa gaya is Nirala ji ki kavita ko pad kar or hirdya prafoolit ho gaya, Shabash Amit - Saurabh Tyagi