देश के लोकतंत्र की बागडोर जब सत्तालोलुप एवं विध्वंसक प्रवृत्तियों के स्वामी बाहुबलियों के हाथ में हो तो जनता का लहू बहना निश्चित है।
हमलावर: बघरा विधानसभा सीट से विधायक पंकज मलिक के समर्थक (तथाकथित)
स्थान : मुज़फ़्फ़रनगर और जडौदा नारा रेलवे स्टेशन के बीच।
निशाने पर: 372 हरिद्वार दिल्ली पैसेन्जर ट्रेन मे सवार आम यात्री तथा ड्राईवर।
मुद्दा : राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना पर बहस: विधायक- डीडीओ से मारपीट।
आज दोपहर करीब 2 बजे 372 हरिद्वार दिल्ली पैसेन्जर सवारी गाडी पर
विधायक समर्थकों द्वारा जम कर पथराव किया गया।
विधायक समर्थकों द्वारा जम कर पथराव किया गया।
हमलावर साथ ही साथ विधायक के समर्थन में नारे भी लगा रहे थे।
हमले में करीब 3 यात्रीओं के सिर फ़ूट गये और 7-8 यात्री पत्थर लगने से घायल हो गये।
ड्राईवर केबिन पर भी हमला किया गया गया जिसके चलते ड्राईवर केबिन के
शीशे चकनाचूर हो गये, खुद ड्राईवर अपने हाथ पर पत्थर लगने से घायल हो गया।
घटना के बाद गाडी़ करीब १ घंटा लेट चली, मेरठ पहुंचते पहुंचते ड्राईवर की
हालत बिगडने के कारण दूसरे ड्राईवर को बुलवाकर ट्रेन आगे भेजनी पडी।
एक ओर जहां रेल यातायात बाधित हुआ वहीं दूसरी ओर आम यात्रियों के चेहरों
पर खौफ़ नज़र आ रहा था। एक के बाद एक धडधडाकर खिडकियां बंद होती चलीं गईं,
माओं ने अपने बच्चों को अपने सीने से सटा लिया।
बडी मुश्किल से मै अपने आप को इन दंगईयों के पथराव से बचा पाया।
रेल, बस एवं पब्लिक यातायात के अन्य साधन अराजक तत्वो के
लिये एक आसान सा साफ़्ट टार्गेट बन चुके हैं।
इन साधनों को जब चाहे तब कोई ना पार्टी समर्थक फ़ूंक देते हैं, पत्थर बाज़ी करते हैं।
आप ही सोचें वोट देते समय जनता का (हमारा) विवेक
और अक्ल कहां घास चरने चली जाती है। बाद में हम सभी पछताते हैं।
समझ नही आता, इस प्रकार के विरोध, या प्रदर्शन न्यायपालिका की दृष्टि में किस
प्रकार से देखे जा सकते हैं या देखे जाते होंगे?
क्यों नही इन असामाजिक तत्वों को चिह्नित कर, उन पर कार्यवाही की जाती?
अपने विरोध को दर्ज कराने के और भी न्यायसंगत तरीके हैं,
क्यों लोग देश की व्यवस्था को बिगाडने पर आमादा हो जाते हैं?
उम्मीद है, कि चुनाव आयोग कुछ ठोस कदम उठायें जिससे कि
आपराधिक पॄष्ठ्भूमि वाले व्यक्तियों का राजनीति में प्रवेश रोका जा सके।
धन्यवाद...
अंकित माथुर...
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