सप्ताह का ब्लागरः यशवंत सिंह...कौन कहता है साला कि...
उपरोक्त लिंक पर क्लिक करेंगे तो अपने आशीष महर्षि, बोलहल्ला ब्लाग वाले के ब्लाग पर पहुंच जाएंगे और उन्होंने जो सप्ताह का ब्लागर कालम शुरू किया है, उसमें सबसे पहले मुझे ही पकड़ कर हलाल किया है, को पढ़ पाएंगे।
किसी दुखी अनाम सज्जन से इंटरव्यू मेरा पढ़ा नहीं गया और उन्होंने अनाप शनाप कमेंट शुरू कर दिया। बाद में उन कमेंट को आशीष ने हटा दिया।
खैर, हम, फकीरों से जो उलझे उनका भी भला, जो न उलझे उनका भी भला। क्या लेके आए हैं जो लेके जाएंगे। ज़िंदगी के चार दिन, दो आरजू में कट गए, दो इंतज़ार में....। तो सहज व सरल तरीके से जीकर गुजार लिया जाए। और इस प्रक्रिया में हम चाहें जितने सफल और असफल बन जाएं, अगर एक संवेदनशील मनुष्य खुद को बनाए रख सकें, तो यही सफलता होगी।
आप लोग पढ़िए और अपनी राय वहीं बोलहल्ला पर ही दर्ज कराइए।
जय भड़ास
यशवंत सिंह
25.1.08
हम फकीरों से जो उलझे उनका भी भला...
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