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21.1.08

"कुत्ते अब पीछे से काटतें हैं....!"

"आज मैंने देखा एक अफसर का कुत्ता उसी जैसा हों गया साला...... साला काटता भी है तो पीछे से हरामी गुप्ता का कुत्ता जो ठहरा ...!"
भाई....सार्वजनिक जगह पे इस तरह बात मत करो..दुबे .....?
क्यों न करूं तुम् को सुनना नहीं हों कान में रुई डाल लो पर मुझको अपनी बात कह लेने दो ।
उस दिल जले की बात को मैं अन सुना सा कर रहा था । किन्तु सुन भी रहा था वो एक अज़नवी को अपनी भड़ास सुना रहा था .....इस तरह....
"भैये ...मेरा अधिकारी है न साला इतना नीच है कि ..पीछे से ज़हर उगलता है हरामी काट भी लेता है "
"अच्छा...?"
साले ने वर्मा जी की नौकरी चाट ली और उसके घर निकल पडा मातम पुरसी करने
वर्मा जी कौन ...?
मेरे ऑफिस मे डिप्टी-मेनेजर थे । इस कमीने गुप्ता ने उसे बेईमान प्रूफ़ किया और निकलवा दिया । वो तो वर्मा जी एम्.बी.ए. हैं कहीं भी चिपक जाएंगे पर इसका कमीनपना देखो । इसके बाद दुबे ने गिन के 100 गालियाँ दे डालीं गुप्ता को । दुबे, गुप्ता, वर्मा, वगैरा हर ऑफिसों में उपलब्ध करैक्टर है ......दुबे सीनियर क्लर्क और मैं [जो शुक्ला हों सकता हूँ ]कालूराम दरबान को डाग-बाईट के बाद लगने वाला इंजेक्शन लगवाने आए थे ।दरबान को बोंस के कुत्ते ने काट लिया था । वो भी पीछे से ....!
अफसर को गरियाने दुबे जी ने जिस तरह कुत्ते के बदले चरित्र को आधार बनाया मुझे लगा पोस्ट कर ही देना चाहिए ।
Dr.Rupesh Shrivastava जी मेरी इस पोस्ट को दिल पे ले बैठे ..... भाई मैं तो कुत्तों में पनपती बुरी आदतों से दु:खी हूँ ..... कुत्ता मेरे लिए अति महत्वपूर्ण है । अब सुबह से शाम तक मुझे कुत्तों में आदमीयत के अतिक्रमण की पीडा का शूल चुभता है। मेरा दरद न जाने कोय....?
डाक्टर रूपेश भाई साहब ने अपने अंतस में एक कटखने कुत्ते के होने की बात कह कर मुझे भावनात्मक रूप से ब्लेक-मेल कर गए... सो
"हे.....सौनकादी मुनियों .......मुझसे कल भगवान ने पूछा कि मांग मुकुल क्या मांगता है.....
मैंने अगले जन्म में मुझे वही बनाना जो " Dr.Rupesh Shrivastava के अंतस में है .....
प्रभू कह गए मुझसे ....तथास्तु ........!

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...
This comment has been removed by the author.
Girish Kumar Billore said...

बड़े भैया
इस पोस्ट में कुत्ते की बिना भौंके पीछे से काटने की आदमियों जैसी आदत पे कटाक्ष किया है . मैं आप के अंतस से परिचित न था आज समझ गया हूँ .... फिर भी आप दुखी न हों अब ऐसा न होगा