अरे यसवंत जी, संगीतिया भड़ास की बात हो और मैं कुछ ना बोलूं ये तो हो ही नहीं सकता है। मैं ठहरा बाथरूम गवैया, पर छात्रावास के दौर में मित्र मुझे अच्छा गाने वाला बोल कर चने की झाड़ के फ़ुनगी पर चढाये फिरते थे। जब मैं नहाने जाता था तब उसी समय मेरे कई मित्र भी नहाने आते थे की चलो नहाते हुये गाना भी सुनने को मिल जायेगा।
चलिये अपना संगीतिया भड़ास कभी फुर्सत में बैठ कर निकालूंगा। अभी तो आपकी इच्छा को सर आंखों पर रखते हुये उसे पूरा कर रहा हूं। वैसे ये गीत मैंने उसी दिन सुनी थी जिस दिन ये बाजार में आया था। अगर आपको कहीं से "सुर" का कैसेट या सीडी मिलता है तो उसे खरीद लें, मेरा दावा है की आपको पछताना नहीं पड़ेगा। :)
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