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7.1.08

सुशांत जी, नीतीश जी या लालू जी ने आपको अभी तक अपना प्रवक्ता नहीं बनाया?

((सुशांत झा ने भड़ास पर बिहार में आत्महत्याओं को लेकर एक पोस्ट प्रकाशित की तो उस पर तुरंत तीन तीखी प्रतिक्रियाएं आशीष महर्षि, रीतेश और पद्मनाभ मिश्र की आईं। अगर आपने सुशांत झा की पोस्ट माफ कीजिए बिहार में स्टार्वेशन डेथ नहीं होती पढ़ी हो तो उसके बाद इन प्रतिक्रियाओं को पढ़िए। एक बेहद जरूरी बहस शुरू हो चुकी है, उम्मीद है आप लोग अपने विचार से अवगत कराएंगे...यशवंत))


3 comments:

आशीष महर्षि said...
आपसे किसने कह दिया कि बिहार में लोग भूख से नहीं मरते हैं, जनाब सरकारी आंकड़ों तक में इस बात को माना गया है, पता नहीं आप किस बिहार की बात कर रहे हैं और हां यदि बिहार की ऐसी हालत नहीं होती तो इतने बड़े पैमाने पर पलायन नहीं होता है और पलायन नहीं होता तो लोग वहां भूख से ही मरते

Monday, January 07, 2008 6:44:00 PM
रीतेश said...
सुशांत जी,

यह जानकर बड़ा दुख हुआ कि आप बिहार के हैं और आपको यह भी नहीं मालूम कि बिहार में भूखमरी भी कोई समस्या है...और अपनी इसी अज्ञानता के दम पर किसी लेखक के लेखन और उसके लेख में कही गई बातों को चुनौती दे रहे हैं.
यह समस्या आपकी नहीं, आपके जैसी एक पूरी जमात और पीढ़ी की है जो ख़ुद तो दिल्ली में जी रहे हैं लेकिन बिहार को मन ही मन चमका रहे हैं.
यह वैसा ही है जैसे हम अपने ही मन में कभी अमिताभ बन लेते हैं, कभी शाहरुख़ और कभी नरेंद्र मोदी भी...
आप अनिल प्रकाश को नहीं जानते, कोई बात नहीं.
बिहार के बारे में सिर्फ उसी को लिखने का अधिकार नहीं है जिसे आप जानते हैं...
बिहार की जानकारी लीजिए, जुटाईए और कम से कम किसी लेखक के बारे में ऐसा कहने से पहले लेखकों का एक बैंक तैयार कर लीजिए कि कौन लेखक है और कौन सामाजिक कार्यकर्ता..
आप बिहार की सच्चाई नहीं जानते, बिहार पर लिखने वाले लोगों को नहीं जानते तो इतनी जोर से शोर मचाकर अपनी बात रखने की कोई ज़रूरत नहीं है...
ख़ामोश रहकर उनकी मदद कीजिए जो बिहार के बेजुबानों के भले की बात कर रहे हैं...
आपके पास समय नहीं होगा, जिनके पास इस तरह के काम के लिए समय है, उन्हें करने दीजिए..
नीतीश जी या लालू जी ने आपको अभी तक अपना प्रवक्ता नहीं बनाया है कि उनकी नाकामी पर लिखने वालों पर आप बरस रहे हैं...

Monday, January 07, 2008 7:02:00 PM

पद्मनाभ मिश्र said...
जी बिहार ही नही देश के सारे राज्यों मे लोग भूख से मरते हैं. हो सकता है बिहार मे यह प्रतिशत कुछ ज्यादा हो, जी कुछ... बिहार मे अधिकतम लोगों का गुजर बसर कृषि पर आधारित है और साल के ८ महीने वहाँ के ६०% भूमि मे बाढ फैलाए रहते हैँ. उपर से लालू का १५ साल का कार्यकाल. जहिर है किसान को कमाने के लिए बाहर जाना ही पड़ेगा. बाँकी दुनियाँ के लोग उसे बिहारी कहते हैं और हम बोलते हैँ केन्द्र सरकार (जो बाढ का समाधान नही ढूँढ पाए) के सताए भोले भाले लोग.

समय बहुत जल्दी बदल रहा है. लालू का जमाना भी बदल रहा है. देश के सबसे प्रतिष्ठित सँस्थान (IIT and IIM) मे बिहारीयों का राज है. देखिए आगे आगे होता है क्या?

1 comment:

Anonymous said...

मे टिप्पनीकारो से सहमत हु की भारत की आधे से अधिक जनता गरीबी मे जी रही हे ओर फ़िर (IITandIIM)से निकला कोइ भी बिहारी या अन्य अपनी गरीबी जरुर दुर कर लेगा लेकिन बिहार की गरीबी दुर करने के लिये तो भगवान ही चमत्कार करे