धर्म निरपेक्षता को लेकर राजनैतिक दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के बजाय देश के विकास को सर्वोपरी माने यह समय की मांग है
आज हम 68 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे है। आजादी के बाद हमने प्रजातंत्र को अंगीकार किया जिसमें समाजवाद के साथ धर्म निरपेक्षता को स्वीकार किया। प्रजातंत्र में सत्ता हासिल करने के लिये राजनैतिक दलों और नेताओं ने कई शार्ट कट भी अपनाये और सत्तासीन हुये। कहीं कभी क्षेत्रीयता को आधार बनाया गया तो कहीं भाषा को,तो कहीं जाति को और कहीं धर्म को। इससे सत्ता तो नेताओं को मिल गयी लेकिन विश्व बंधुत्व को मानने वाले हमारे देश में विभिन्नता में एकता भारत की विशेषता के बजाय आपस में दूरियां बढ़तीं गयीं। समाज टुकड़ों में बंटने लगा और आपसी सदभाव कम होते गया। लेकिन शार्ट कट से सत्ता का स्वाद चखने वाले नेताओं ने इससे कोई सबक नहीं लिया। ब्लकि यदि देखा जाये तो आजादी के इन 67 सालों में सबसे अधिक विवाद और बहस यदि किसी एक शब्द पर हुयी है तो वह है धर्म निरपेक्षता। हमारे संविधान में देश के हर नागरिक को अपना अपना धर्म मानने की पूरी आजादी दी गयी है। लेकिन जबसे धर्म के नाम पर राजनीति करने की शुरुआत हुयी तबसे इस पर विवाद और बहस तेज होने लगी। देश के प्रमुख राजनैतिक दल इसकी मूल भावना को समझने के बजाय आपस में एक दूसे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में मशगूल हो गये। कहीं कोई किसी पर तुष्टीकरण का आरोप लगाता तो कहीं कोई किसी पर राजनैतिक मंच से धार्मिक मुद्दे उठाकर राजनैतिक लाभ लेने के आरोप लगाते देखा गया। प्रमुख राजनैतिक दलों के ऐसे रवैये से साम्प्रदायकि सौहार्द बिगड़ने लगा और देश के कई हिस्सों में ऐसे सांप्रदायिक दंगे हुये जिन्होनें पूरी दुनिया में देश को शर्मसार कर दिया। यह भी सच है कि देश का आम आदमी अपने धर्म के प्रति बहुत संवेदनशील है। लोगों की इसी धार्मिक भावना का नेताओं ने राजनैतिक रूप से शोषण करने में कोई गुरेज नहीं किया। लेकिन हमारी एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि प्रजातंत्र में हमारी अटूट आस्था है इसीलिये हमारे देश में बड़े से बड़ा राजनैतिक परिवर्तन बुलेट के बजाय बैलेट से ही हुआ है। जबकि इसके विपरीत हमारे ही साथ आजाद हुये पाकिस्तान में मजहबी कट्टरता के कारण हालात ऐसे हो गयें है कि वहां के कई अहम परिवर्तन बुलेट से ही होते रहें है। विश्व व्यापी आर्थिक मंदी के इस दौर में भी हमारी अर्थ व्यवस्था दुनिया में चौथे नंबर पर है। देश के सर्वांगीण विकास करने के लिये बहुत सारे रास्ते खुले हुये है। बीस साल तक देश में गठबंधन की राजनीति के दौर के बाद आज देश में एक पार्टी की मजबूत सरकार पदारूढ़ है। पूरा देश भी अच्छे दिन आने की राह देख रहा है। इसीलिये आइये स्वाधीनता दिवस के इस पावन अवसर पर हम यह संकल्प लें कि अब हम देश ने हमें क्या दिया? यह सोचने के साथ यह भी सोचें कि हमने देश को क्या दिया? अपने संकीर्ण निजी और राजनैतिक स्वार्थों को दर किनार कर विश्व बंधुत्व और सर्व धर्म समभाव के उस मूल मंत्र अमल करना प्रारंभ कर दें जिसके लिये पूरी दुनिया में हमारा देश जाना जाता है। हमारा देश तेजी से प्रगति की ओर अग्रसर हो और स्वतंत्रता दिवस की अगली वर्षगांठ पर हम गर्व से यह कह सकें कि हमने जो संकल्प इस साल लिया था उस पर पूरी ईमानदारी से हमने अमल किया। यही स्वतंत्रता दिवस पर हमारी शुभकामनायें है।
आशुतोष वर्मा
919425174640
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