इसमें कोई शक नहीं कि यह समय चुनौतीपूर्ण है- आर्थिक दृष्टि से भी और आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से भी। जिस दिन ट्रंप भारत आए उसी दिन दिल्ली में जिस प्रकार का हिंसक उपद्रव प्रारंभ किया गया वह इस बात को बताता है कि पाकिस्तानी तत्व अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा को शाहीन बाग के उस आयाम के साथ टैग करके मीडिया में प्रस्तुत करना चाहते थे कि मोदी के भारत में सब कुछ ठीक नहीं है।
26.2.20
ट्रंप टूर, शाहीन बाग आंदोलन और दिल्ली हिंसा के बीच का अंतर्संबंध!
इसमें कोई शक नहीं कि यह समय चुनौतीपूर्ण है- आर्थिक दृष्टि से भी और आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से भी। जिस दिन ट्रंप भारत आए उसी दिन दिल्ली में जिस प्रकार का हिंसक उपद्रव प्रारंभ किया गया वह इस बात को बताता है कि पाकिस्तानी तत्व अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा को शाहीन बाग के उस आयाम के साथ टैग करके मीडिया में प्रस्तुत करना चाहते थे कि मोदी के भारत में सब कुछ ठीक नहीं है।
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23.2.20
ट्रंप के रोड शो पर 100 करोड़ खर्च करने वाली यह 'अभिवादन समिति' है किसकी ?
नई दिल्ली। लोगों का बेवकूफ बनाना तो कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखे। अब जब डोनाल्ड ट्रंप के रोड शो पर खर्च होने वाले 100 करोड़ रुपये का जवाब जनता मांगने लगी तो विदेश मंत्रालय से प्रवक्ता से कहलवा दिया कि यह खर्च 'अभिवादन समिति' उठा रही है। हां वह बात दूसरी है कि किसी को यह पता नहीं है कि आखिरकार यह अभिवादन समिति है क्या बला ? कौन हैं इसके मालिक ? क्या है इसका वजूद ? यह समिति डोनाल्ड ट्रंप पर इतना भारी-भरकम खर्च क्यों कर रही?
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अमेरिकन राष्ट्राध्यक्षों पहली की पंसद है ताजमहल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहचान इतनी भर नहीं है कि वह अमेकिरा के राष्ट्रपति हैं। आज भले ही वह राष्ट्रपति के तौर पर जाने जाते हों,लेकिन वह एक बड़े उद्यमी भी हैं। उनका कारोबार कई देशों में फैला है। मुम्बई के रीयल स्टेट में उनकी जड़े जमी है। टंªप का जीवन वैभवता से परिपूर्ण है तो ट्रंप हर खूबसूरत चीज से प्यार करते हैं। कई अमेरिकन फिल्मों में भी वह अपनी अदाकारी का जलवा दिखा चुके हैं।
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सैनिक का अपमान : ये कैसा गुजरात मॉडल?
21वीं सदी में भी सोच में बदलाव नहीं।
अपने ही देश और समाज में सैनिक का अपमान बेहद शर्मनाक।
देश की रक्षा और स्वभिमान के लिए देश का सैनिक अपने प्राणों की बाजी लगा देता है।लेकिन जब किसी सैनिक का अपमान अपने ही देश और समाज मे किया जाता है तो सर शर्म से झुक जाता है।ऐसी ही शर्मनाक घटना गुजरात के बनासकंठा में 17 फरवरी 2020 को घटित हुई।सांदीपाडा गांव के एक युवक आकाश कोटलिया की शादी के दौरान ऊंची जाति के लोगों ने घोड़ी पर चढ़ने से रोका और पथराव किया।ये युवक सेना का जवान है और जम्मू कश्मीर में तैनात है।देश के लिए मर मिटने को तैयार जवान का दोष यही था कि वह दलित जाति का था।सैनिक का अपमान वो भी गाँधी और पटेल की जन्म भूमि पर !ये कैसा गुजरात मॉडल पेस किया है।
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22.2.20
अमेरिका के राष्ट्रपति महोदय के आगमन पर लगाए गए होर्डिंग में अहमदाबाद का नाम गलत लिखा होने के संबंध में
सेवा में,
म्यूनिसिपल कमिश्नर महोदय
अहमदाबाद म्यूनिसिपल कार्पोरेशन
अहमदाबाद, गुजरात
विषय- अमेरिका के राष्ट्रपति महोदय के आगमन पर यूनेस्को द्वारा हरिटेज सिटी का ख़िताब पाए हुए शहर “अहमदाबाद” का नाम गलत लिखा होने के संबंध में
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20.2.20
मल्लब!अपनी मारी सब हलाल!
शहरियत तरमीमी क़ानून(CAA) के ख़िलाफ़ गुज़िश्ता दो महीने से शाहीन बाग़ में चल रहे एहतेजाजी मुज़ाहिरे के ख़िलाफ़ एक अर्ज़ी पर समआत करते हुए अदालते अज़मीया ने पाबंदी से इनकार करते हुए दो रुकुनी कमेटी तशकील दी है,और कमेटी को हुक़्म जारी किया है कि वो मुज़ाहिरीन से बात-चीत की मार्फ़त बन्द रास्ता बहाल करने व दिगर मसाइल पर तबसरा करे।अदालते अज़मीया के इस फ़ैसले को CAA मुख़ालिफ़ जमातें और नामनेहाद सेक्युलर "तहफ़्फ़ुज़-ए-आयींन" करार देते हुए अदालते अज़मीया की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं।
अरे साहब!अब हमारा सवाल ये है कि इसी अदालते अज़मीया ने जब "राम मंदिर तामीर" पर कुछ माह क़ब्ल अपना फ़ैसला सुनाया था तब इन्ही सुडो सेक्युलर जमाअतों(ख़ासकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व् दीगर) ने फ़ैसले को "तआसुब-कुन" क़रार देते हुए दबी ज़बान में ही सही अदालते अज़मीया की शदीद मज़म्मत की थी।
हज़रत! क्या इसी "दोहरे-चलन" से आयींन का तहफ़्फ़ुज़ होगा,क्या इसी "आज़ादी" की बात कर रहे हैं दो महीने से???
आखिर कौन सी आज़ादी चाहिए...???
#या_अपनी_मारी_मुर्गी_सब_हलाल
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18.2.20
जनता की कमाई को डोनाल्ड ट्रंप पर लुटाने का पीएम मोदी को कोई हक नहीं
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14.2.20
ट्रेन और टॉयलट...!!
तारकेश कुमार ओझा
ट्रेन के टॉयलट्स और यात्रियों में बिल्कुल सास - बहू सा संबंध हैं। पता
नहीं लोग कौन सा फ्रस्ट्रेशन इन टॉयलट्स पर निकालते हैं। आजादी के इतने
सालों बाद भी देश में चुनाव शौचालय के मुद्दे पर लड़े जाते हैं। किसने कितने शौचालय बनवाए और किसने नहीं बनवाए , इस पर सियासी रार छिड़ी रहती है। देश के सेलीब्रिटीज नामचीन हस्तियां टॉयलट पर फिल्में बनाती हैं और कमाई करती है। जिनसे यह नहीं हो पाता वो विज्ञापन के जरिए ही मुट्टी गर्म करने की कोशिश में रहती है। दूसरे मामलों के बनिस्बत शौचालय में विशेष सुविधा है।रसगुल्ला खाकर रस पीने की तर्ज पर सेलीब्रिटीज इसकी आड़ में फिल्म और विज्ञापन से कमाई भी करते हैं तिस पर मुलम्मा यह कि बंदा बौद्धिक है। फिल्म और विज्ञापन के जरिए शौचालय की महत्ता का संदेश समाज को दे रहा है। टॉयलट्स एक महागाथा की तर्ज पर शौचालय से शासकीय अधिकारियों का पाला भी पड़ता रहता है। कुछ दिन पहले मेरे क्षेत्र में हाथियों के हमलों में ग्रामीणों की लगातार मौत से दुखी एक शासकीय अधिकारी दौरे पर निकल पड़े। एक गांव में उन्हें निरीक्षण की सूझी। इस दौरान वे यह जानकार दंग रह गए कि सरकार ने गांव में 63 घरों में सरकारी अनुदान से शौचालय तो बना दिए, लेकिन इस्तेमाल एक का भी नहीं हो रहा है। सब में ताले पड़े हैं। दिशा - मैदान के लिए ग्रामीण आदतन जंगल जाते हैं और वहां जानवारों के हमलों का शिकार होते हैं। फिर तो अधिकारी का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। फिर क्या... आनन - फानन जांच और निगरानी समिति गठित हुई। हालांकि ग्रामीणों की आदत में सुधार हुआ या नहीं, इसका नोटिस नहीं लिया जा सका।
यात्रा के दौरान ट्रेन के टॉयलट स्वाभाविक स्थिति में भी नजर आ जाए तो
सुखद आश्चर्य होता है। याद नहीं पड़ता कि साधारण दर्जे की किसी यात्रा में ट्रेन के शौचालय सही - सलामत मिले हों। कभी पानी उपलब्ध तो यंत्रादि टूटे। कभी बाकी सब ठीक तो पानी गायब। बचपन में लोकल ट्रेन में सफर से इसलिए डर लगता था कि उसमें टॉयलट नहीं होते थे। हाल में मेमू लोकल में इसकी व्यवस्थाहो तो गई। लेकिन कुछ दिन पहले गोमो - खड़गपुर मेमू लोकल से यात्रा के दौरान जायजा लिया तो डिब्बों के टॉयलट इस हाल में मिले... कि कुछ महीने पहले की गई पुरानी यात्रा की याद ताजा हो गई। वहीं टूटे नल, बेसिन में पड़े प्लास्टिक की बोतलें और टॉयलट के पास गुटखा और पान की पीके वगैरह। लोग कहते हैं इसके लिए व्यवस्था दोषी है। व्यवस्था कहती है कि हम सुविधाएं देते हैं, लोग तोड़फोड़ और गंदगी फैलाते हैं तो हम क्या करें। आखिर कहां तक हम व्यवस्था सुधारते रहें। सचमुच टॉयलट एक महागाथा...
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लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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13.2.20
दुनिया के दरवाजे पर कोरोना वायरस की दस्तक खतरे की घंटी है
जानलेवा कोरोना वायरस से अब तक चीन में लगभग 400 से अधिक लोगों की असमय मौत हो गई है वही इस वायरस से संक्रमित 18 सौ से अधिक मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है। चीन के जिस वुहान शहर को कोरोना वायरस के प्रकोप का केंद्र बताया जा रहा है, वहा नौ दिन के अंदर 1000 बिस्तर वाला सर्व सुविधा संपन्न अस्पताल का निर्माण इस हकीकत को उजागर करता है कि चीन सरकार ने स्थिति की भयावहता को भली भांति महसूस कर लिया है। शायद इसीलिए 1000 बिस्तरों वाले इस अत्याधुनिक सुविधा संपन्न अस्पताल के अलावा 14 बिस्तर वाला एक नए अस्पताल का निर्माण भी द्रुतगति से तैयार किया जा रहा है। चीन में सरकार द्वारा कोरोना वायरस के प्रकोप पर नियंत्रण हेतु बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। एक करोड़ 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले वुहान सहित हुबेई प्रान्त के स्थानीय लोगों की कहीं भी आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
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केजरीवाल की सादगी के सामने फेल हुए भाजपा के सभी हथकंडे
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में वही हुआ जिसकी संभावना व्यक्त की जा रही थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जादू दिल्लीवासियों के सिर चढ़कर बोला। 70 में से 62 सीटें जीतकर केजरीवाल ने साबित कर दिया कि वह ही दिल्ली के बादशाह हैं। केजरीवाल के सामने भाजपा का कोई भी हथकंडा उसके काम न सका। केजरीवाल की हर बात को दिल्ली के लोगों ने सर माथे लिया।
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अमेरिका के लिए 'केम छो ट्रंप' तो भारत को होगा 'शेम शो ट्रंप'
देश के फकीर प्रधानमंत्री देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए एक और बड़ा कारनामा करने जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को 24-25 फरवरी को भारत यात्रा पर बुला रहे हैं। भाई फकीर प्रधानमंत्री जो ठहरे तो ठाठबाट और स्वागत भी फकीर जैसा ही होगा न। जैसी फकीरी उन्होंने अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में होने वाली 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में दिखाई उससे बड़ी फकरी वह गुजरात के अहमदाबाद शहर में डोनल्ड ट्रंप का रोड शो कराकर कर दिखाने वाले हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के भारत दौरे में कई ट्रेड डील होने की उम्मीद है। उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि इस डील में वह किसानों की बर्बादी का सौदा कर अपनी गरीबी और संघर्ष का एक और प्रमाण देने वाले हैं।
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दिल्ली में केजरीवाल की बंपर जीत को भाजपा व कांग्रेस को हल्के में न लेना चाहिए
स्थानीय मुद्दों एवं नेताओं की उपेक्षा ज्यादा नहीं चल सकती... दिल्ली में केजरीवाल की बंपर जीत को भाजपा व कांग्रेस को हल्के में न लेना चाहिए| भाजपा व कांग्रेस समर्थक इस जीत पर कुछ भी टिपण्णी करें पर उन्हें समझ लेना चाहिए कि इस जीत का राष्ट्रीय राजनीति पर असर पड़ना स्वाभाविक है। भाजपा के लिये यह समय आत्ममंथन का समय है, राजनीति कभी भी एक दिशा में नहीं चलती, एक व्यक्ति का जादू भी स्थायी नहीं होता राजनीति में।
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12.2.20
जब लिखने लगा स्वामी अग्निवेश के लेख और बयान, उनको जांचने-परखने का मिला मौका
राष्ट्रीय सहारा में आंदोलन करने पर जब हम लोग टर्मिनेट कर दिये गये तो नोएडा स्थित राष्ट्रीय सहारा के गेट पर हक की लड़ाई लड़ रहे थे तो मेरे मित्र महंत तिवारी का फोन आया। उन्होंने मुझसे कहा कि सोशल एक्टिविस्ट और बंधुआ मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश को लेख और बयान लिखने के लिए राजनीतिक सोच रखने वाले व्यक्ति की जरूरत है। इसके लिए वह मानदेय भी देने को तैयार हैं। राजनीति में दिलचस्पी होने की वजह से मेरे अंदर राजनीतिक सोच भी है और लेख लिखने का शौक भी।
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दिल्ली चुनाव के नतीजे क्या कहते हैं
" दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें,
था कल तलक दिमाग जिन्हें ताजो तक्थ का"
आम आदमी पार्टी की दिल्ली में धमाकेदार जीत ने एक बार फिर निराश आमजन के लिए आशा की रोशनी दिखाई है। केजरीवाल के लिए यह जिंदगी का सबसे सुखद क्षण होगा वही जब चुनाव सर्वे का आंकड़ा देने वाली संस्थाओं के द्वारा गोलमोल जवाब देना उनके लिए एक जोरदार झटका वह भी धीरे से..? भारतीय लोकतंत्र के दो भाईयों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि दिल्ली में भाजपा जैसी राजनीतिक खिलाड़ी की पराजय होगी। आप ने जिस तरह दिल्ली में अपनी जोरदार आमद दिखाई है। वह हैरत अंगेज ही है। बीबीसी ने इसे भारतीय इतिहास का सबसे रोचक क्षण कहां है। केजरीवाल ने कहा कि यह जीत दिल्ली की जनता लोकतंत्र और भारत की जीत है। भाजपा कहती हैं देश बदल रहा है लेकिन 2020 की दिल्ली बदल रही हैं।
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कांग्रेस-भाजपा साफ, आप फिर दिल्ली टाप
वास्तव में एक बार फिर से सिद्ध हो गया कि सियासत में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। कि परिणाम क्या होगा क्योंकि सियासत में कुछ भी स्थाई नहीं होता। दिल्ली के चुनाव में एक बार यह बात सत्य साबित हो गई। जिस प्रकार से भाजपा ने दिल्ली के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी उससे ऐसा प्रतीत होने लगा था कि दिल्ली का चुनाव किसी भी करवट बैठ सकता है। जिस प्रकार से भाजपा ने अपने ढ़ेरों मुख्यमंत्रियों का कुनबा दिल्ली के चुनाव में उतार रखा था इस कारण दिल्ली के चुनाव का अनुमान नहीं लग पा रहा था। क्योंकि, जिस प्रकार से प्रचार-प्रसार शुरुआत हुई थी उससे ऐसा प्रतीत होता था कि भाजपा एक मजबूत स्थिति में पहुँच रही है। क्योंकि चुनावी सभाओं में जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया जाता था उससे एक अलग रूप रेखा तैयार होती हुई दिखाई दे रही थी। परन्तु दिल्ली की जनता ने अपना ध्यान केन्द्रित रखा और अपने अनुसार मतदान किया।
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नोएडा टेंडर घोटाले में यादव सिंह फिर गिरफ्तार
जे.पी.सिंह
न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यादव सिंह को सोमवार को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी नोएडा प्राधिकरण में 116.39 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाला मामले में हुई है। आरोप है कि यादव के कार्यकाल में निजी कंपनियों को गलत तरीके से यह टेंडर दिया गया था। दो साल पहले इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था।यादव सिंह के खिलाफ आपराधिक साजिश और सरकारी पद के दुरुपयोग के साथ ठेकेदारों और फर्मों से नियमित रूप से रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज किया गया है।
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9.2.20
गरीब मजदूरों के सच्चे दोस्त थे मजदूर नेता व जनपक्षधर अधिवक्ता कामरेड सत्तो दा
रूपेश कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
‘कामरेड सत्यनारायण भट्टाचार्य उर्फ सत्तो दा गरीब मजदूरों के सच्चे दोस्त थे। वे ताउम्र गरीबों के हक-अधिकार की रक्षा के लिए लड़ते रहे। वे इस अन्यायी व लूटेरी व्यवस्था के घोर विरोधी थे। वे मार्क्सवाद-लेनिनवाद-माओवाद विचारधारा के प्रबल हिमायती थे और सर्वहारा वर्ग की सत्ता की स्थापना के लिए ही पूरी जिंदगी काम करते रहे। वे एक मजदूर नेता होने के साथ-साथ धनबाद व बोकारो बार एशोसिएशन के वरिष्ठ व सम्मानित अधिवक्ता भी थे, जो गरीबों का मुकदमा मुफ्त में लड़ते थे।’ उक्त पंक्तियां 7 फरवरी, 2020 को झारखंड के कतरास के भंडारीडीह सामुदायिक भवन के मैदान में गूंज रही थी।
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4.2.20
12वें पं. बृजलाल द्विवेदी साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित होंगे श्री कमलनयन पाण्डेय
गांधी भवन में 9 फरवरी को आयोजित होगा मीडिया विमर्श का सम्मान समारोह
भोपाल। मीडिया विमर्श के सारस्वत आयोजन में 9 फरवरी को त्रैमासिक पत्रिका ‘युगतेवर’ (सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश) के संपादक कमलनयन पाण्डेय को प्रतिष्ठित साहित्यक पत्रकारिता सम्मान 'पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान' से सम्मानित किया जाएगा। सम्मान समारोह का आयोजन गांधी भवन में सुबह 11:30 बजे से होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात गाँधीवादी-समाजवादी चिन्तक श्री रघु ठाकुर, मुख्य वक्ता वरिष्ठ संपादक प्रो. कमल दीक्षित, विशिष्ट अतिथि साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के पूर्व निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह और प्रख्यात व्यंग्यकार श्री गिरीश पंकज होंगे। समारोह की अध्यक्षता सप्रे संग्रहालय के संस्थापक एवं पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ संपादक श्री विजयदत्त श्रीधर करेंगे।
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कब आएगा देश में जनसंख्या विरोधी कानून?
इस समय देश में नागरिक संशोधन बिल पर हो रहे पक्ष – विपक्ष के आंदोलनों के बीच एक बड़ा मुद्दा देश के नेताओं से दूर हो गया हैं | सत्ता पक्ष जानता है कि अभी नागरिक संशोधन बिल पर चल रहा आन्दोलन पूरा ही नहीं हुआ है तो यह नया विवाद क्यों पैदा किया जाय और विपक्ष को विरोध करने का एक और मुद्दा दे दिया जाय | पर कोई भी यह समझने के लिए तैयार नहीं है कि यह राजनीति का मसला नहीं बल्कि देश की अधिकांश समस्याओं की जननी बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण करने का एक ठोस समाधान है व अधिकांश समस्याओं का निदान है।
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3.2.20
अमेठी में विकास कार्य देखकर रायबरेली की जनता भी गांधी परिवार से पीछा छुड़ाने के मूड में
अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में तीन दशकों से हासिए पर पड़ी कांगे्रस आजकल हर वह पैतरा अजमा रही है,जिससे यूपी में राजनीति में वह फिर से उस मुकाम को हासिल कर सके, जहां उसकी तूती बोला करती थी, उसकी आवाज को अनदेखा करना किसी के लिए आसान नहीं था,लेकिन सियासी थपेड़ों में कभी यूपी पर राज करने वाली कांग्रेस अब नंबर चार की पार्टी बनकर रह गई है। उसका वोट प्रतिशत भी 6-7 प्रतिशत पर सिमट गया है। सबसे आश्चर्यजनक यह है कि एक तरफ भाजपा, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सियासत में समय-समय पर उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहता है,लेकिन कांगे्रस का ग्राफ गिरता ही जा रहा है। अगर यह कहा जाए कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ अमेठी और रायबरेली ही ऐसे दो इलाके बचे हैं, जहां थोड़ी-बहुत गांधी परिवार की राजनैतिक हैसियत देखने को मिल जाती थी लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनाव से यह परिपाटी भी बदल गई। अब तो कांगे्रस रायबरेली तक ही सिमट गई है,जहां से सोनिया गांधी सांसद हैं,जबकि टीवी कलाकार और भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी से अमेठी हारकर राहुल गांधी केरल पलायन कर गए हैं। जहां की मुस्लिम बाहुल्य वायनाड सीट से वह सांसद हैं।
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5 ट्रिलियन की इकॉनमी और खैराती भीड़ गढ़ती संसदीय राजनीति
(डॉ अजय खेमरिया)
जबाबदेह नागरिक समाज के अपरिहार्य तत्व को खत्म करने की समवेत सहमति बनाती चुनावी राजनीति एक खतरनाक संकेतक है।दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरह मुफ्तखोरी की उद्घोषणाए हो रही है वह भारत के संसदीय लोकतंत्र की परिपक्वता को प्रश्नचिंहित करता है।औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के प्रस्ताव का विरोध करते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था"धूर्त,बदमाश, एवं लुटेरे हाथों में सत्ता चली जायेगी।सभी भारतीय नेता सामर्थ्य में कमजोर और महत्वहीन व्यक्ति होंगे।वे जुवान से मीठे होंगे।सत्ता के लिए आपस में लड़ मरेंगे और भारत राजनीतिक तू- तू मैं- मैं में कहीं खो जाएगा।"
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