Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

12.2.20

देश की आधी आबादी कितनी सुरक्षित?


महिलाओं की सुरक्षा हमेशा से हमारे देश में एक बड़ा मुद्दा रहा है। देश की महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार और अन्य कई अपराधों के चलते।

किंतु शायद अब हमें इसकी आदत हो गई है और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ इत्यादि घटनाओं को अंजाम देने वाले पुरुष इतने शक्तिशाली की वह दिल्ली विश्वविद्यालय के जाने-माने गार्गी कॉलेज मे घुसकर छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और यौन शोषण जैसे अपराधों को अंजाम देते है।वह भी पुलिस और सुरक्षाकर्मियों के होते हुए।

यह घटना देश की सुरक्षा की पोल ही नहीं खोलती है। देश के मुख पर तमाचा भी है। पुलिस कर्मियों के होते हुए ऐसी घटना हो जाती है और वह दर्शक बन देखते रहते है। जिनके ऊपर पूरी दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। वह एक कॉलेज की छात्राओं को सुरक्षा नहीं प्रदान कर सकें।

सरे आम लड़कियों को छूना, अश्लील शब्दों का इस्तेमाल, अश्लील हरकतें, उनका पीछा करना इत्यादि हरकतें हुईं। फिर भी न कॉलेज प्रिंसिपल और न ही प्रशासन द्वारा छात्राओं की मदद के लिए कोई कदम उठाएं गए। कॉलेज द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने में चार दिन का समय लग गया। उनके ही कॉलेज में उन्हीं के छात्रों के साथ इतना सब कुछ हुआ और वह छात्राओं के शिक़ायत करने का इंतजार करते रहे।

किसी भी कॉलेज का अपने छात्रों के प्रति इस प्रकार का व्यवहार उचित नहीं लगता है। छात्र-छात्राएं कॉलेज में केवल डिग्री लेने नहीं जातें है वह-वहां  आने वाले कल का हिस्सा बनने जाते है और यदि हम ऐसे ही स्थान पर सुरक्षा नहीं दे सकेंगे। उनकी बातों को अनसुना करके उन्हें कोई कार्य क्रम आयोजन न करने के लिए कहेंगे या फिर जहां पुरूष हो वहां न जाने की सलाह देंगे। फिर ऐसे में उन के सामने हम कैसी तस्वीर प्रस्तुत कर रहे है? अपनी गलतियों को छुपाने के लिए उनको ही ग़लत ठहराना या फिर झूठे बयान देना उचित नहीं लगता है।

छात्राओं को अपने ही प्रिंसिपल के खिलाफ नारे लगाने पड़े अपनी ही सुरक्षा के लिए। जब की यह कॉलेज प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह-वहां पढ़ रहे प्रत्येक छात्र को सुरक्षा दे। फिर भी वह यह सब होते समय भी मौन रहा और होने के बाद भी।

लड़कियों को हम सार्वजनिक स्थानों पर भी अब इस देश में सुरक्षा नहीं दे सकते है। लेकिन देश की आधी आबादी को इस प्रकार की मनमानी करने की आजादी दे दी गई है कि वह दिन-दिहाड़े सारे नियम कानून तोड़ते है अश्लील शब्दों का प्रयोग, छेड़छाड़ ही नहीं यौन शोषण जैसे अपराधों को अंजाम देते है।

73 साल की आजादी के बाद भी अगर देश की राजधानी के जाने माने कॉलेज में लड़कियां सुरक्षित नहीं है। फिर कैसी तरक्की की है हम ने। यदि देश की राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा ऐसी है फिर अन्य स्थानों पर क्या हाल होगा, ख़ास तौर से छोटे राज्यों और गांवों में।

राखी सरोज
बदरपुर (नई दिल्ली)
rakhisaroj05@gmail.com

No comments: