इस समय देश में नागरिक संशोधन बिल पर हो रहे पक्ष – विपक्ष के आंदोलनों के बीच एक बड़ा मुद्दा देश के नेताओं से दूर हो गया हैं | सत्ता पक्ष जानता है कि अभी नागरिक संशोधन बिल पर चल रहा आन्दोलन पूरा ही नहीं हुआ है तो यह नया विवाद क्यों पैदा किया जाय और विपक्ष को विरोध करने का एक और मुद्दा दे दिया जाय | पर कोई भी यह समझने के लिए तैयार नहीं है कि यह राजनीति का मसला नहीं बल्कि देश की अधिकांश समस्याओं की जननी बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण करने का एक ठोस समाधान है व अधिकांश समस्याओं का निदान है।
आज 133 अरब जनसंख्या वाले हमारे देश में आबादी के इस जबरदस्त विस्फोट पर लगाम लगाना समय की मांग है और यह देश व समाज के हित में अब बहुत जरूरी हो गया है। क्योंकि अब अगर और देर कर दी गयी, तो इस घातक बीमारी का कोई इलाज किसी भी नीतिनिर्माता व विशेषज्ञ के पास नहीं बचेगा। देश में जनसंख्या वृद्धि की यही रफ्तार चलती रही तो हम लोग अपनी आने वाली पीढियों को सुविधाओं व संसाधनों से वंचित करके हर चीज की लंबी लाइन में लगने के लिए मजबूर करके एक दिन इस दुनिया से रुखसत हो जायेंगे।
इस नीति का विरोध करने वाले राजनीतिक दल व लोग आरोप लगाते हैं कि देश में दो बच्चों की नीति को बाध्यकारी बनाए जाने की संघ प्रमुख और कुछ अन्य लोगों की मांग के पीछे छिपे हुए राजनीतिक कारण हैं। वहीं विरोधी पक्ष भी तरह-तरह के तर्क देकर बताते हैं कि यह कानून देश के मुसलमान और ग़रीब विरोधी है। इस तरह की बात करके आम लोगों को बरगलाने के चक्कर में ये चंद लोग अक्सर यह भूल जाते हैं कि भाई इस कानून से लाभ होगा तो सबको और नुकसान होगा तो सबको होगा, इसमें हिन्दू-मुसलमान या अमीर-गरीब की बात कहां से बीच में आ गयी।
वहीं इस कानून के पक्षधर लोग व राजनीतिक दल देश की जनता को उसके अनगिनत लाभ गिनाते हुए नहीं थकते हैं, लेकिन उनमें से ही चंद लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए धर्म व समुदाय को टारगेट करके उनको एक अच्छे कानून के प्रति भयभीत करने का काम भी करते नज़र आते हैं, जो सरासर गलत है। देश में अन्य मुद्दों की तरह ही दो बच्चों के कानून के पक्षधर व विरोधियों के बीच राजनीति तेजी से शुरू हो गयी है, भविष्य के गर्भ में छिपे इस कानून पर भी दोनों पक्षों के चंद लोग श्रेय लेने की अंधी दौड़ में शामिल हो गये हैं, जो हमारे देश में चंद राजनेताओं की कृपा से लगातार जारी रहेगी। आज हम सभी को सोचना होगा कि परिवार की अच्छी सेहत व बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हर हाल में बच्चों की संख्या को जाति-धर्म से ऊपर उठाकर नियंत्रित करना होगा।
तब ही देश में उपलब्ध संसाधनों, रोजगार के अवसरों, तरक्की के विकल्पों और सरकार की सेवाओं का हम व हमारे बच्चे सही ढंग से लाभ ले सकते हैं या उपयोग कर सकते हैं। क्योंकि आज के व्यवसायिक दौर में परिवार को भावनात्मक लगाव के साथ-साथ आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए की संसाधनों से परिपूर्ण होकर आर्थिक रूप से सुदृढ़ होना बेहद जरूरी है, जिस लक्ष्य को छोटे परिवार के रहते आसानी से हासिल किया जा सकता है। इसलिए दो बच्चों के कानून के मसले पर अपने दिल व परिवार के हित की सुने व देशहित में उस पर अमल करें।
अशोक भाटिया,
A /0 0 1 वेंचर अपार्टमेंट ,वसंत नगरी,वसई पूर्व ( जिला पालघर-401208) फोन/ wats app 9221232130
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