सत्य पारीक
अपनी नीतियों के चलते भाजपा सरकार को ईस्ट इंडिया कम्पनी की दत्तक पुत्री की उपाधि से नवाजा जाना चाहिए जो उसकी चाल चरित्र चेहरे को दर्शाती है , जैसे संयुक्त भारत पर राज करने का अधिकार ईस्ट इंडिया कम्पनी ने " फुट डालो राज करो " की नीति से किया उसी तर्ज पर भाजपा ने हिन्दू-मुस्लिम का साम्प्रदायिक कार्ड खेल कर देश की सत्ता सम्भाली जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत थी , जिसका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बनाया गया मग़र इस पद पर दावेदारी वर्षों से लालकृष्ण आडवाणी की थी , मोदी ने अपने शासन के पहले पांच साल के कार्यकाल में विदेशों की सैर सपाटे कर भारत को विश्व गुरु बनाने व स्वंय को विश्व स्तरीय नेता बनाने के लिए अरबों रुपए फूंक डाले व विदेश मंत्री के होते हुए भी उनके अधिकारों पर अतिक्रमण किये रखा ।
मोदी की प्रतिछाया बनकर उभरे किसी समय के तड़ीपार अमित शाह की वापसी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद हुई जिससे स्पष्ट हो गया कि संघ की उपज पार्टी को अपराधी व अपराध से कोई परहेज नहीं है विपक्ष में रहकर जो भाजपा राजनीति में सुचिता की बातें करती थी वो सिर्फ कहने की थी हकीकत में उसकी नीति सत्ता के लिये गंगोत्री बनने की थी जिसमें समा कर पापी भी पवित्र होने लग गए , शाह ने अध्यक्ष बनकर जोड़तोड़ को अपना अमोघ अस्त्र बना कर जिन राज्यों में गैर भाजपा सरकारें थी उन्हें गिरा कर अपनी पार्टी को सत्तारूढ़ किया मगर संघ ने चुप्पी साधे रखी ।
शाह ने एक और तीर चला कर मोदी के चुनाव में किये गए सभी वादों को जुमलों का चोला पहना कर उन्हें एक झटके में ही सभी चुनावी वादों से मुक्त कर दिया , इससे जो मतदाता " अच्छे दिन और पन्द्रह लाख रुपये खाते में " आने की उम्मीदों पर टिके थे वो खामोश धमाके से नीचे गिर पड़े और अपने मतदान के निर्णय पर सोचने लगे , 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग के करिश्मे से भाजपा को फिर रिकार्ड तोड़ सफलता प्राप्त हुई तब मोदी ने शाह की गृह मंत्री का पद सौंपने के साथ ही संघ के सभी एजेंडों को पूरा करने के लिये संसद और न्यायालय से लागू करा दिये ।
संघ के सभी लक्ष्यों को पूरा कर मोदी अपने लक्ष्यों की पूर्ति करने लगे जो था देश के दो उधोगपतियों अम्बानी अडाणी को रेल से लेकर खेतों की भूमि सौंपने के कानून बनाने की , खेती के इलावा अन्य तो टैंडर के मदद से उन्हें सौंप दिए लेकिन सबसे जटिल था खेती भूमि के उन्हें अधिकार देने के जिसके लिए अलग अलग तीन अध्यादेश लाकर उन्हें कानूनी रूप दिया गया जो सवैंधानिक नियमों का धत्ता बता कर था , तुरत फुरत में बनाये कृषि कानून के विरोध में किसान सड़कों पर उतर गये।
मोदी का धूर्त राजा का चेहरा गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में आना तब शुरू हुआ जब उन्होंने भाजपा के शिखर पुरूष कहे जाने वाले अटलजी के कहने पर " राज धर्म " का पालन कर पद त्याग नहीं किया , मोदी का दूसरा चेहरा ईस्ट इंडिया कम्पनी के दत्तक पुत्र का उनके दूसरे प्रधनमंत्रित्व काल में सामने आया जब उन्होंने मुस्लिमानों को हिंदुओं से अलग थलग करने के कानून बनाये , मोदी अपने लिए हुए निर्णय वापस नहीं लिए लेकिन अब उनके बनाये कृषि क्षेत्र के कानून वापिस लेने की मांग पर किसान सड़क पर डटे हैं जिनके सामने मोदी कानून में संशोधन करने को तैयार हैं
कोरोना काल में मोदी देश की जनता को आदिकाल में ले जाकर उनसे ताली-थाली-रोशनी जैसे टोने टोटके करने का आह्वान किया दूसरी तरफ उन्होंने अपनी सवारी के लिये 85 हजार करोड़ का उड़न खटोला खरीद कर ये संकेत दे दिया कि वे अगले चुनाव में भी विजयी होंगे जिसका अर्थ है चुनाव आयोग उनकी मुठ्ठी में है , जबकि देश की अर्थव्यवस्था गर्त में गिरी हुई है देश में मंहगाई बेरोजगारी चरम पर है , ऐसे में विपक्षी पार्टियों की चुप्पी एक डरावना स्वप्न दिखा रही है कि भारत के आगे का समय कैसा होगा?
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