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11.8.21

तीसरी लहर : भयभीत न हों लेकिन सतर्क तो हो जाएं..

krishanmohan jha-
 
पिछले कुछ महीनों से देश के वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञ लगातार यह आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि अगस्त में कोरोना की तीसरी लहर देश के अनेक हिस्सों में अपना असर दिखा सकती है। केरल , कर्नाटक, तमिलनाडु सहित कुछ दक्षिणी राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक आई तेजी उस आशंका को सच साबित करती दिख रही है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए  उन राज्यों की सरकारों ने ऐहतियाती कदम उठाना प्रारंभ कर दिया है।केरल सरकार ने राज्य में शनिवार और रविवार को लाक डाउन लागू करने का फैसला किया है। केरल में संक्रमण में अचानक आई तेजी से चिंतित केंद्र सरकार ने वहां अपना एक 6 सदस्यीय विशेषज्ञ दल भी भेजा था जो स्थिति का जायजा लेने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना पीड़ितों की निगरानी में लापरवाही  राज्य में कोरोना संक्रमितों की‌ संख्या  में एकाएक हुई बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण है।


दरअसल बकरीद के समय सरकार द्वारा आवाजाही में दी गई हफ्ते भर की छूट ने केरल में कोरोना संक्रमण की रफ़्तार में भयावह तेजी के ऐसे हालात पैदा कर दिए कि कोरोना से रोजाना संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या आठ हजार से बढ़कर 22 हजार हो चुकी है और अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत केरल से ही होने जा रही है। केरल के 14 जिलों में 10 जिले कोरोना प्रभावित हो चुके हैं।  उधर केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि दिल्ली में पाजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत से अधिक हुआ तो सरकार लाक डाउन जैसे कदम उठाने पर गंभीरता से विचार करेगी। देश में रोज कोरोना संक्रमण के जितने मामले अब सामने आ रहे है उनमें से आधे से अधिक मामले केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में पाए जा रहे हैं।

यह स्थिति देख कर यही अनुमान लगाया जा सकता है कि  निःसंदेह निकट भविष्य में कोरोना की तीसरी लहर हमारे देश में अपने पैर ‌‌पसार सकती है। इसीलिए केंद्र सरकार तो पहले ही राज्य सरकारों को यह निर्देश दे चुकी है कि त्यौहारों के मौसम में बढ़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं और इस काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। निश्चित रूप से  केंद्र सरकार का यह समय रहते उठाया गया  एक ऐसा कदम है जो कोरोना की तीसरी लहर को भयावह रूप लेने से रोकने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।  आज जब देश के कुछ हिस्सों में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते आंकड़ों  को इस वायरस की तीसरी लहर की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है तब सुकून की बात यह है कि राज्य सरकारों ने कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए पर्याप्त तैयारियां कर रखी हैं।सभी राज्य सरकारों ने ऐसे दावे किए हैं। अगर इन दावों पर भरोसा किया जाए तो यह मानना ग़लत नहीं होगा कि निकट भविष्य में देश में कोरोना की तीसरी आने लहर आने की आशंका सच साबित होने पर  संक्रमितों को आक्सीजन, बिस्तर और जरूरी दवाईयों की  कमी से नहीं जूझना पड़ेगा।कोरोना की तीसरी लहर आने के पहले ही सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि न‌ए कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने की स्थिति में कहीं कोई ऐसी चूक न होने पाए जिससे समाज विरोधी तत्वों को जीवन रक्षक उपकरणों, दवाईयों और इंजेक्शन आदि की कालाबाजारी अथवा मुनाफाखोरी करने का मौका मिल सके।

देश के अनेक राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर ने जो तबाही मचाई थी उसका एक प्रमुख कारण यह था कि केंद्र सहित राज्य सरकारों ने भी यह मान लिया था कि हम कोरोना  को हराने में कामयाब हो चुके हैं । पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में इस तरह की घोषणा ‌भी कर आए थे। लेकिन जब कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचाना शुरू किया तब सबको इस कड़वी हकीकत का अहसास हो गया कि कोरोना की महामारी पर पूरी तरह  काबू पा लेने में दुनिया कब कामयाब होगी,यह अनुमान लगाना अभी किसी देश के लिए संभव नहीं है। इसलिए अभी हमने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक ऐहतियाती उपायों में जरा सी भी ढिलाई बरती तो उसकी महंगी कीमत चुकाने के लिए हमें मजबूर होना पड़ सकता है। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि कोरोना की पहली लहर के मंद पड़ने के बाद कोरोना अनुशासन के अनुपालन के प्रति हमारी लापरवाही के कारण ही दूसरी लहर ने देश में हाहाकार की स्थिति पैदा कर दी थी इसलिए अब हमें इतना सचेत होना ही चाहिए कि कोरोना की तीसरी लहर हाहाकार की नौबत आने के पहले ही शांत पड़ जाए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और दुनिया भर के बड़े बड़े वैज्ञानिक भी अभी तक निश्चित तौर पर यह बताने में सफल नहीं हो पाए हैं कि  कोरोना का प्रकोप दुनिया में कब तक बना रहेगा। मास्क और शारीरिक दूरी जैसे आनुषंगिक ऐहतियाती उपायों  के अलावा कोरोना  संक्रमण से बचाव का एकमात्र उपाय अब  टीकाकरण को ही माना जा रहा है इसलिए हर राज्य सरकार अपने राज्य में अधिकाधिक लोगों के टीकाकरण हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है परंतु जिस गति से टीकाकरण अभियान आगे बढ़ रहा है उसे देखते हुए टीकाकरण का लक्ष्य अर्जित करने में तीन वर्ष भी लगा है कि सकते हैं। देश में टीकों की उपलब्धता और लोगों में टीकाकरण के प्रति  जागरूकता बढ़ेगी तो निश्चित रूप से कोरोना टीकाकरण अभियान सच्चे अर्थों में महाअभियान का रूप ले सकेगा।देश में इस समय कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पूतनिक और माडर्ना वैक्सीन उपलब्ध हैं।

इसके अलावा जानसन एंड जानसन की सिंगल डोज वैक्सीन को भी सरकार ने अनुमति प्रदान कर दी है जिसके बारे में यह दावा किया गया है कि वह मनुष्य को कोरोना के विरुद्ध 95 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। इतना ही नहीं,पांच और कंपनियां कोरोना रोधी टीके बनाने की तैयारी कर रही हैं। कोरोना को हराने की दिशा में इसे सुखद संकेत के रूप में देखा जा सकता है।  राज्यों को की जाने वाली टीकों की आपूर्ति कभी कभी मंद पड़  जाने से कुछ राज्यों में  टीकाकरण अभियान बाधित होने की जो खबरें आती रहतीं हैं उन पर अब विराम लग सकेगा। इसी दिशा में लगातार किए जा रहे शोध से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान और पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक अब इस नतीजे पर भी  पहुंचे हैं कि को वैक्सीन और कोविशील्ड की मिक्स डोज कोरोनावायरस के विरुद्ध बेहतर सुरक्षा और प्रतिरोधक क्षमता प्रदान कर सकती है।  गौरतलब है कि जब टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी तब चिकित्सा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने किसी भी  व्यक्ति को एक ही  तरह की वैक्सीन के दो डोज दिए लगाए जाने के पक्ष में अपनी राय दी थी।

इसी तरह कोविशील्ड की दो डोज के बीच के अंतराल को बाद में बढ़ाये जाने का फैसला किया गया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि दो डोज के अंतराल को बढ़ाने अथवा दो वैक्सीन की मिक्स डोज को ज्यादा असरदार पाए जाने संबंधी खबरों ने लोगों को कुछ हद तक भ्रमित  भी किया है और उनके में शंकाओं को भी जन्म दिया है परंतु हमें यह तो स्वीकार करना ही होगा कि जब तक दुनिया से  कोरोनावायरस का नामोनिशान नहीं मिट जाता तब तक वैज्ञानिक अपनी शोधों से न ए न ए नतीजों पर पहुंचते रहेंगे और उनका हर शोध  मानव कल्याण के पुनीत भावना से प्रेरित है। कोरोना वैक्सीन से जुड़ी हर शोध स्वागतेय है और उसके लिए वैज्ञानिक सराहना के हकदार हैं। इस समय आम नागरिक को इतना जिम्मेदार बनने की आवश्यकता है कि  भीड़ का हिस्सा न बनें , मास्क पहनकर ही घर से बाहर निकलें और आपस में पर्याप्त शारीरिक दूरी बनाकर रखें। इन उपायों को अपनाने से कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को कम करने में  हमें सफलता मिलना तय है। हमें यह याद रखना होगा कि कोरोना की तीसरी लहर में हमारी तैयारियों और सावधानियों की परीक्षा होने जा रही है।

(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के सलाहकार है)

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