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28.9.21

सम्राट मिहिर भोज प्रकरण योगी को विस चुनाव में फायदा देगा या भारी पड़ेगा?

Satyendra PS-
 



अगर कोई नशेड़ी हो तो उससे दारू, गांजा, चरस, अफीम छुड़ाना बेहद मुश्किल होता है। यह डॉक्टर से लेकर उनके झेल रहे परिजन बखूबी समझते हैं। उससे नशा छुड़ाने की कवायद करने वाला कभी उसका मित्र बन जाए, यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर होगा। वहीं अगर उस नशेड़ी को दो पैग पिला दें, उसे एक चरस की पुड़िया दे दें तो वह आपका ऐसा मित्र बन जाएगा कि वह आपके कहने पर अपने भाई बंधु और परिजनों तक की हत्या कर देगा।
अब राजनीति की बात करें। नेहरू से मुलायम तक कांग्रेस, सपा, बसपा और खासकर कम्युनिस्ट पार्टियों ने देश की जनता से धर्म और जाति की चरस की पुड़िया छीनने और लोगों को नशे से दूर कर के कर्म की ओर मोड़ने की कोशिश की।
भाजपा ने लोगों को चरस की पुड़िया थमाना शुरू कर दिया और नशेड़ियों को दोस्त बना लिया।

अभी किसान आन्दोलन चल रहा है। किसानों की 6 साल में इतनी दुर्दशा हुई है कि वह अब अनाज घाटे में बेचने को विवश हैं।

वहीं योगी जी ने जगह जगह लोगों को चरस की पुड़िया थमा दी है। मिहिर भोज गुज्जर थे, यह कहकर एक मूर्ति लगा दी। अब ग़ांव ग़ांव में गुज्जर अपने आप को राजा फील कर रहे हैं और मिहिर भोज के नाम पर चौराहे बना रहे हैं, बोर्ड लगा रहे हैं। उनको कोई मतलब नहीं कि योगी जी और मोदी जी इस दरिद्र दूधिया, किसान कम्युनिटी, जिसकी दिल्ली में छिनैत के रूप में पहचान है, कितना आर्थिक सामाजिक नुकसान पहुंचा चुके हैं। इनको इस बात का बिल्कुल ख्याल नहीं रहा कि आर्थिक स्थिति सुधरेगी, तभी समाज में थोड़ा सम्मान मिलेगा। किसी को रातोंरात अपना बाप दादा बना लेने से कोई सम्मान नहीं बढ़ता।

और यह बात गुज्जर कम्युनिटी का कोई समझदार आदमी इनको समझाने की कोशिश करे तो जाति के नशेड़ी उस बेचारे का सर फोड़ देंगे।

इसी तरह गोरखपुर में एक कम्युनिटी है कुर्मी-सैंथवार। इसी नाम से ये ओबीसी में आरक्षण पाते हैं। ये योगी जी के कट्टर भक्त हैं। खेतिहर कम्युनिटी होने के कारण ये भी स्ट्रेस से गुजर रहे हैं, क्योंकि मोदी जी ने किसानों और निम्न मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। इस कम्युनिटी में इनकी अपनी जाति वाला आज तक कोई सांसद भी न बन पाया, केंद्रीय मंत्री बनना तो भूल जाएं। केवल हाथ की उंगली पर गिन डालने भर की संख्या में प्रशासनिक पदों पर हिस्सेदारी है। चुनाव के 6 महीने पहले इस कम्युनिटी को योगी जी ने एक चरस की पुड़िया पकड़ा दी कि आप तो राजपरिवार वाले सैथवार क्षत्रिय हैं! कुर्मी सैंथवार में आरक्षण देकर आपको नीच जाति बना दिया गया है। अब ये बेचारे पूरे गोरखपुर मण्डल में रैली और सभाएं कर रहे हैं कि इन्हें ओबीसी आरक्षण से हटाया जाए या सैंथवार नाम से अलग आरक्षण दिया जाए।

ऐसी कई चरस की पुड़िया आरएसएस ने समाज में बांट दिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में 3 किताबों का विमोचन किया, चर्मकार का इतिहास, खटीक का इतिहास और एक पता नहीं कौन सी है। उसमें यह साबित किया गया है कि चमार खटीक ही प्राचीन क्षत्रिय हैं। अब वह समुदाय किताब लेकर घूमे कि हम फलनवा राजा की औलाद हैं और मायावती को गरियाये कि बसपा के चलते ही समाज में वैमनस्य फैल गया है।

कितना आसान है न ये चरस की पुड़िया थमा देने वाली राजनीति? 


 

धार्मिक तड़का देकर जातीय घृणा फैलाना मोहल्ले के पार्कों से निकलकर सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर पहुंचा। अब वह पुस्तकों का आकार लेकर पुस्तकालयों और लोगों के घरों में घुसने लगा है।

प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक 5000 इतिहासकार लगाए गए हैं, जो भारत के इतिहास का पुनर्लेखन कर रहे हैं।

इसमें कुछ किताबें जैसे हिन्दू खटीक जाति, हिन्दू चर्मकार जाति, हिन्दू वाल्मीकि जाति पहली ही खेप में आ चुकी है।

इन किताबों में बताया गया है कि चर्मकार, खटीक, वाल्मीकि पहले राजा हुआ करते थे। उन्हें किसी राजा के वंश का बताया गया है। उसके बाद जब मुगल आये तो उनसे सत्ता छीन ली गई। जिन लोगों ने मुगलों को सत्ता के लिए अपनी बहन बेटियां सौंप दी, वही आज क्षत्रिय हैं। गुर्जर लोग मिहिर भोज के खानदान के हैं, जो महान हिन्दू राष्ट्र्वादी सम्राट थे।

प्रतिमा अनावरण समारोह से पहले सिलापट से 'गुर्जर' शब्द हटाने से भाजपा के खिलाफ लामबंद हुआ गुर्जर समाज, मामले को भुनाने में जुटी समाजवादी पार्टी

CHARAN SINGH RAJPUT-

नई दिल्ली। गुर्जरों को रिझाने के लिए गौतमबुद्धनगर जिले के दादरी शहर में किया गया सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण समारोह भाजपा को उल्टा पड़ गया है। समारोह से पहले सिलापट से  'गुर्जर' शब्द को हटाने से गुर्जर समाज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आक्रोशित है। गुर्जर समाज का आरोप है कि  'गुर्जर'  शब्द मुख्यमंत्री योगी आत्यिनाथ के इशारे पर हटवाया गया है। मामले में सांसद सुरेंद्र नागर और दादरी के भाजपा विधायक तेजपाल नागर भी लपेटे में आ रहे हैं।

यह भाजपा के लिए झटका ही है कि हाल ही में हुई गुर्जर समाज की पंचायत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का प्रस्ताव पारित हो चुका है। माफी न मांगने पर गुर्जर समाज ने पूरे देश में भाजपा का बहिष्कार करने की चेतावनी भी दे दी है। उधर गुर्जर समाज के सम्मानित व्यक्ति और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने गुर्जर समाज के सम्मानित व्यक्तियों  के साथ मिहिर भोज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर वहां से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को माफी न मांगने पर खामियाजा भुगतने की चेतावनी दे दी है। साथ ही उन्होंने ग्रेटर नोएडा के गुर्जर शोध संस्थान में मामले में निर्णय लेने के लिए गुर्जर समाज को आमंत्रित किया है। मामले को लेकर गुर्जर समाज के युवाओं द्वारा सिलापट से योगी आदित्यनाथ, सुरेंद्र नागर और तेजपाल नागर के नाम पर काली पोतते हुए एक लाइव वीडियो भी वायरल हो रही है।

दरअसल सम्राट मिहिर भोज के नाम से गुर्जर शब्द हटाने पर गुर्जर समाज की नाराजगी का फायदा उठाने के लिए सपा नेता लग चुके हैं। बाकायदा पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विट कर गत 22 सितम्बर को हुई गुर्जर पंचायत को अपना समर्थन दिया था।  गौतमबुद्धनगर में सपा प्रवक्ता राजकुमार भाटी मोर्चा संभाले हुए हैं।

ज्ञात हो कि गौतमबुद्धनगर में गुर्जरों के वोट लगभग तीन लाख हैं। गौतमबुद्धनगर के  बाद दूसरे नंबर पर सहारनपुर में गुर्जर मतदाता ढाई लाख के आसपास हैं। अमरोहा, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद में लगभग सवा-सवा लाख वोट गुर्जरोंं के हैं। मुजफ्फरनगर में भी गुर्जर सवा लाख के आसपास हैं। इस तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जरों के वोट लगभग 15 लाख हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नये किसान कानूनों को लेकर जाट पहले से ही नाराज चल रहे हैं।  मुजफ्फरनगर दंगों के नाम पर न केवल 2014 का लोकसभा बल्कि 2017 का विधानसभा चुनाव भी जीतने वाली भाजपा को इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नाराजगी भारी पडऩे वाली है। हालांकि योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गन्ना का मूल्य 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया पर गत चार साल से एक भी पैसा गन्ने पर न बढ़ाने की किसानों की नाराजगी पर यह बढ़ोतरी कुछ असर नहीं कर रही है।  

वैसे भी किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत लगातार भाजपा के खिलाफ आग उगल रहे हैं।

दरअसल  सिलापट से सम्राट मिहिर भोज के आगे से गुर्जर शब्द हटाने की भसड़ करणी सेना ने की है। करनी सेना ने गत 22 सितम्बर  को हुए सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम से पहले मुख्यमंत्री आदित्य नाथ को चेतावनी दी थी कि यदि मिहिर भोज के नाम के आगे से गुर्जर शब्द नहीं हटाया गया तो कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ का विरोध किया जाएगा । साथ ही करणी सेना ने इसका खामियाजा भुगतने की भी चेतावनी दी थी। करणी सेना के प्रदेश सचिन चौहान के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी विपिन सूर्यवंशी, जिलाध्यक्ष दीपक ठाकुर, महानगर अध्यक्ष संजीव चौहान, पूर्व महानगर अध्यक्ष आदित्य चौहान ने अपने समर्थकों को साथ लेकर मामले को लेकर आक्रोश भी व्यक्त किया था। गौतमबुद्धनगर के करणी सेना के पदाधिकारी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महीपाल सिंह मकराना के इशारे पर काम कर रहे थे। महीपाल सिंह मकराणा ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर चेताया था। महीपाल सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा था कि उनके संज्ञान में आया है कि वह 22 सितम्बर को गौतमबुद्ध नगर जिले के दादरी में एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं। महीपाल सिंह ने पत्र में लिखा था कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दादरी में 9वी शताब्दी के राजपूत सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार को गुज्जर समुदाय से जोड़ते हुए एक प्रतिमा का अनावरण करने का प्रायोजन है।

महपील सिंह ने पत्र में लिखा था कि क्षत्रिय समाज पहले से ही हरियाणा, मप्र और उतराखंड में राजपूतों के इतिहास और पहचान के साथ छेड़छाड़ पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा किये जा रहे प्रयासों से क्रोधित है। महीपाल सिंह ने मुख्यमंत्री को चेतावनी दी थी कि  इस तरह के प्रायोजन आगामी चुनावों में क्षत्रिय समाज द्वारा सकारात्मक रूप से नही लिए जाएंगे। महीपाल सिंह ने चेतावनी के लहजे में उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय समाज की जनसंख्या 2 करोड़ से ऊपर बताते हुए लिखा था यह समाज अतीत में बीजेपी का कोर वोटर रहा है लेकिन उनके लिए उनके पूर्वजों का सम्मान और पहचान सर्वोपरि है। उन्होंने कहा था यह उनके अधिकारो के उल्लंघन और उनके इतिहास को विकृत करने का एक स्पष्ट मामला है। उन्होंने करणी सेना के इस प्रकार के दुर्भावनापूर्ण अभियान का कड़ा विरोध करने की बात कही थी। महीपाल सिंह ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था कि इस तरह के प्रायोजन को तत्काल रूप से रुकवाया जाए। उन्होंने कहा कि था कि ऐसेे किसी भी जाति सूचक शब्द से मूर्ति का अनावरण न करें जो गुर्जर और राजपूत समाज में आपसी भाईचारा बिगाडऩे का कारण बने।

सम्राट मिहिर भोज के बारे में अध्ययन करने कर पता चलता है कि उनका जन्म विक्रम संवत 873 को हुआ था। सम्राट मिहिरभोज की पत्नी का नाम चंद्रभट्टारिका देवी था, जो भाटी राजपूत वंश की बताई जाती हैं। मिहिरभोज की वीरता के किस्से पूरी दुनिया मे मशहूर हुए। कश्मीर के राज्य कवि कल्हण ने अपनी पुस्तक राज तरंगिणी में सम्राट मिहिरभोज का उल्लेख किया है। काबुल का ललिया शाही राजा, कश्मीर का उत्पल वंशी राजा अवन्ति वर्मन, नेपाल का राजा राघवदेव और आसाम के राजा, सम्राट मिहिरभोज के मित्र थे। वहीं  दूसरी तरफ पालवंशी राजा देवपाल, दक्षिण का राष्ट्र कटू महाराज अमोघवर्ष और अरब के खलीफा मौतसिम वासिक, मुत्वक्कल, मुन्तशिर, मौतमिदादी सम्राट मिहिरभोज के सबसे बड़े शत्रु थे।  सम्राट मिहिरभोज ने राज्य की रक्षा और विस्तार के लिए कई युद्ध लड़े। उन्होंने  बंगाल के राजा देवपाल के पुत्र नारायणलाल को युद्ध में परास्त करके उत्तरी बंगाल को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया था। दक्षिण के राष्ट्र कूट राजा अमोघवर्ष को पराजित करके उनके क्षेत्र पर विजय प्राप्त की। सिन्ध के अरब शासक इमरान बिन मूसा को पराजित करके सिन्ध को अपने साम्राज्य का अभिन्न अंग बनाया।   इस तरह सम्राट मिहिरभोज के राज्य की सीमाएं काबुल से रांची और आसाम तक, हिमालय से नर्मदा नदी और आन्ध्र तक, काठियावाड़ से बंगाल तक, सुदृढ़ और सुरक्षित थी।

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