कुछ याद बीते वर्ष को भी कर लें
नए साल की बधाईयां देने में व्यस्त हैं सभी।
सभी दूसरे से पहले दे देना चाहते हैं।
पहले मैं पहले हम की तर्ज पर।
बीते साल से क्या सीखा
क्या सीखें ?
किसी ने नहीं बताया।
चलो अब पूछ रहा हूं
अब तो बतलाएं ?
1.1.08
अब तो बतलाएं ?
Labels: कविता, कुछ याद मुझे भी कर लें, बीता वर्ष
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3 comments:
भड़ास में भी छिपी है आस
इसलिए चले आए अविनाश
नहीं खेलते खिलाते हैं ताश
फिर भी पत्ते बांटे हैं आज
मोहल्ला नहीं है इनका
नुक्कड़ पर हैं अविनाश
कहा गया है की भूत और भविष्य कभी भी रूपांतरित नही होता , इसलिए वर्त्तमान की चर्चा करना ज्यादा प्रासंगिक होता है , आपको नव वर्ष की ढेरों बधाईयाँ !
"बीती ताहीं बिसार के....
आगे की सोचने को जी चाहता है....
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