सदन में व्यापम घोटाले पर होने वाली चर्चा के लिये कांग्रेस में विभीषण तलाश कर भाजपा उन्हें फिर शामिल कर लेगी?
प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित जिले में भी इन दिनों दल बदल विरोधी कानून के प्रावधानों पर सियासी हल्कों में चर्चा हो रही है। प्रदेश में तीन निर्दलीय विधायक चुनाव जीते थे। इन तीनों ही निर्दलीय विधायकों ने भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सार्वजनिक चुनावी मंचों पर अपनी उपस्थिति दी थी। इसमें सिवनी से चुने गये निर्दलीय विधायक दिनेश मुनमुन राय भी शामिल है। दल बदल विरोधी कानून में यह प्रावधान है कि यदि एक निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव के बाद कोई राजनैतिक दल की सदस्यता लेता है तो वह अयोग्य घोषित हो जावेगा। चर्चा गर्म है कि कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा में शामिल हो सकते है। ये कब और कैसे भाजपा में शामिल होंगें? इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहें है। अविश्वास प्रस्ताव की तरह ही कांग्रेस में सेंध लगाकर भाजपा के रणनीतिकार आगामी विधानसभा सत्र में हंगामा मचा सकने वाले व्यापम घोटाले से निपटने की रणनीति बना रहें है। इसमें महाकौशल अंचल के विधायकों के नामों को लेकर तरह तरह की चर्चा व्याप्त है। नरेश खुद भी चुनाव हार गये थे। इसलिये नैतिक आधार पर उन्होंनें भाजपा के अध्यक्ष पद से स्तीफा दे दिया था। प्रदेश भाजपा ने जिले की कमान वरिष्ठ नेता वेदसिंह को सौंप दी थी। उनके नेतृत्व में जिले में भाजपा को रिकार्ड तोड़ जीत हासिल हुई और चारों विस क्षेत्रों में भाजपा ने बढ़त ली है।
यदि भाजपा की सदस्यता लेते तो विधायक नहीं रह जाते मुनमुन?-प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित जिले में भी इन दिनों दल बदल विरोधी कानून के प्रावधानों पर सियासी हल्कों में चर्चा हो रही है। लोस चुनावों के दौरान जिस तरह से भाजपा के प्रति आकर्षण दिखा और उसके चलते जो आया राम गया राम को ख्ेाल चला इसी कारण यह चर्चा जारी है। प्रदेश में तीन निर्दलीय विधायक चुनाव जीते थे। इन तीनों ही निर्दलीय विधायकों ने भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सार्वजनिक चुनावी मंचों पर अपनी उपस्थिति दी थी। इसमें सिवनी से चुने गये निर्दलीय विधायक दिनेश मुनमुन राय भी शामिल है जिन्होंने बालाघाट में मोदी के मंच पर और सिवनी में शिवराज सिंह चौहान के चुनावी मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी जिस मंच से भाजपा को जिताने की अपील की गयी थी। लेकिन प्रदेश तीनों ही निर्दलीय विधायकों ने भाजपा में शामिल होने की घोषणा नहीं की थी। लोकसभा चुनाव में भाजपा की सभाओं में शिरकत करने के बाद भी भाजपा में शामिल ना होना चर्चित है। राजनैतिक विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि भाजपा का ख्ुालेआम साथ देने के बाद भी भाजपा की औपचारिक रूप से सदस्यता ना लेने का कारण दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों का है। राजीव गांधी की सरकार ने 1985 में दल बदल पर रोक लगाने के लिये दल बदल विरोधी कानून पास किया था। इसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधि के अयोग्य घोषित होने का यह प्रावधान है कि ष्प िंद पदकमचमदकमदज बंदकपकंजम रपवदे ं चवसपजपबंस चंतजल ंजिमत जीम मसमबजपवदष्याने यदि एक निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव के बाद कोई राजनैतिक दल की सदस्यता लेता है तो वह अयोग्य घोषित हो जावेगा। राजनैतिक विश्लेषकों का यह दावा है कि इसीलिये प्रदेश के निर्दलीय विधायकों को एक रणनीति के तहत भाजपा की औपचारिक रूप से सदस्यता नहीं दिलायी गयी है क्योंकि यदि ऐसा किया जाता है उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो जावेगी और विधायक बनने के लिये उन्हें फिर से चुनाव लड़ना पड़ेगा। जिन क्षेत्रों में जिन निर्दलीय उम्मीदवारों से भाजपा हारी है वहीं उन्हीं निर्दलीय विधायकों को भाजपा की टिकिट पर फिर से चुनाव जितवाना आसान नहीं होगा। कहा जाता है कि इसीलिये इन निर्दलीय विधायकों को विधिवत सदस्यता नहीं दिलायी गयी है।
क्या कुछ कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल होंगें ?-प्रदेश के राजनैतिक क्षेत्रों में इस बात की भी चर्चा गर्म है कि कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा में शामिल हो सकते है। ये कब और कैसे भाजपा में शामिल होंगें? इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहें है। कुछ राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के रणनीतिकार आगामी विधानसभा सत्र में हंगामा मचा सकने वाले व्यापम घोटाले से निपटने की रणनीति बना रहें है। उल्लेखनीय है कि पिछली विधानसभा के अंतिम सत्र में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव से निपटने के लिये भाजपा ने कांग्रेस के जवाब देने के बजाय कांग्रेस में ही सेंध लगाने की रणनीति बनायी थी। इसी के तहत कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी राकेश सिंह ने बगावत की थी और शिवराज सरकार को घेरने की कांग्रेस की रणनीति धरी की धरी रह गयी थी। शिवराज की तीसरी पारी में व्यापम घोटाला सरकार के गले की फांस बन रहा है। कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने के प्रयास कर रही है। प्रदेश की राजनीति की अंदरूनी जानकारी रखने वालों का यह दावा है कि अविश्वास प्रस्ताव की तरह ही भाजपा इस बार भी कांग्रेस में सेंध लगाकर ही अपना बचाव करने की रणनीति पर चल रही है। कहा जा रहा है कि भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के इच्छुक कांग्रेस विधायकों से इस दौरान चौधरी राकेश सिंह की भूमिका अदा करवा कर ही उनको सदस्यता देने पर कार्यवाही की जायेगी। इस समय नेता प्रतिपक्ष के रूप में सत्यदेव कटारे विधानसभा में काम कर रहें है। जबकि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी विधायक दल के सदस्य है। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक एवं तत्कालीन विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह का स्वर्गवास हो जाने कारण वे अब सदन में नहीं रहेंगें। उनके स्थान पर उनके पुत्र रजनीश सिंह अब विधायक है। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले कौन विधायक हैं? इनके नामों को लेकर तमाम कयास लगाये जा रहें हैं। जानकारों का यह भी दावा है कि इनमें महाकौशल अचंल के भी कुछ विधायक शामिल है। लोकसभा चुनावों में भाजपा को मिली भारी सफलता के बाद इन चर्चाओं को और अधिक बल मिल गया है। अब यह तो वक्त ही बतायेगा कि कौन कौन से कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल होगें या यह चर्चा सिर्फ चर्चा ही रह जायेगी? एक चर्चा यह भी है कि भाजपा यह कोशिश में लगी है कि दल बदल कानून के प्रावधानों से बचने के लिये इतनी संख्या बढ़ाने की कोशिश की जा रही है ताकि दल बदल करने वाले विधायकों की सदस्यता बरकरार रहें। उल्लेखनीय है कि यदि सदन की सदस्य संख्या में से एक तिहायी से अधिक सदस्य अलग होते है तो वह उस राजनैतिक दल का विभाजन माना जाता है।
क्या कुछ कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल होंगें ?-विधानसभा चुनावों में जिले में भाजपा बैकपुट पर आ गयी थी। जिले की चार सीटों में से तीन पर काबिज भाजपा इस चुनाव में बमुश्किल एक सीट ही जीत पायी थी। जबकि कांग्रेस ने दो सीटें जीत ली थींे। इस दौरान जिले के पूर्व विधायक मविप्रा के पूर्व अध्यक्ष नरेश दिवाकर के हाथों में भाजपा की कमान थी। वे खुद भी चुनाव हार गये थे। इसलिये नैतिक आधार पर उन्होंनें भाजपा के अध्यक्ष पद से स्तीफा दे दिया था। प्रदेश भाजपा ने जिले की कमान वरिष्ठ नेता वेदसिंह को सौंप दी थी। उनके नेतृत्व में जिले में भाजपा को रिकार्ड तोड़ जीत हासिल हुई और चारों विस क्षेत्रों में भाजपा ने बढ़त ली है। बालाघाट लोस में आने वाली सिवनी सीट से भाजपा ने रिकार्ड 53487 तथा बरघाट सीट से 22004 वोटों से बढ़त हासिल कर ली। जबकि मंड़ला लोस में आने वाली केवलारी सीट से 28500 तथा लखनादौन विस से 9546 वोटों से जीत हासिल की है। यहां यह उल्लेखनीय है इन दोनों ही सीटों से कांग्रेस के रजनीश सिंह और योगेन्द्र सिंह बाबा विधायक है और नवम्बर 13 की शिवराज लहर में ये दोनों चुनाव जीते थे।“मुसाफिर“
साप्ता. दर्पण झूठ ना बोले, सिवनी
20 मई 2014 से साभार
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