लोस चुनाव में केवलारी में बनेगा नया कीर्तिमान या विस जीतने और लोस में कांग्रेस के हारने का इतिहास रहेगा कायम?
लोकसभा चुनावों के परिणामों को लेकर लोगों में कयासबाजी के दौर चल रहें हैं। बालाघाट लोस क्षेत्र से कांग्रेस की हिना कांवरें,भाजपा के बोधसिंह भगत,सपा की अनुभा मुंजारे के अलावा आप के कर्नल चौधरी भी मैदान में थे। इस क्षेत्र से कांग्रेस के विश्वेश्वर भगत ने 2009 का चुनाव 40819 मतों से हारा था। जबकि हाल ही में हुये विस चुनाव में शिवराज की भारी लहर में इस क्षेत्र में भाजपा कांग्रेस से सिर्फ 39771 वोटों से ही आगे रही जबकि सिर्फ बालाघाट विस क्षेत्र में ही भाजपा को कांग्रेस से 66207 वोटों की बढ़त मिल गयी थी।कांग्रेस और भाजपा की जीत हार इस बात पर भी निर्भर करेगी कि सपा उम्मीदवार चुनाव को त्रिकोणी संघंर्ष में बदल पाता है या नहीं? मंडला लोकसभा क्षेत्र में भी जिले की केवलारी और लखनादौन विस सीटें शामिल हैं। इसीलिये इस क्षेत्र के परिणामों को लेकर भी यहां उत्सुकता के साथ विश्लेषण किया जा रहा है। वैसे मंड़ला क्षेत्र में यह प्रचार भी अंदर ही अंदर चला है कि फग्गन सिंह तो सांसद हैं ही यदि ओंकार जीत जायेगें तो जिले को दो दो सांसद मिल जायेगें। मंड़ला सेसदीय क्षेत्र में भी कांग्रेस या भाजपा की जीत गौगपा के प्रत्याशी के मत विभाजन पर निर्भर करती है।अब देखना यह है कि केवलारी क्षेत्र में कांग्रेस जीत कर एक नया कीर्तिमान बनाती है या विस में जीतने और लोस में हारने का अपना इतिहास दोहराती है ?
बालाघाट क्षेत्र में सपा पर निर्भर है इंका या भाजपा की जीत -लोकसभा चुनावों के परिणामों को लेकर लोगों में कयासबाजी के दौर चल रहें हैं। जिले के चार विस क्षेत्रों के आकलन के अलावा भी बालाघाट और मंड़ला लोस क्षेत्रों से कौन जीतेगा इसे लेकर भी अटकलों का दौर जारी है। बालाघाट लोस क्षेत्र से कांग्रेस की हिना कांवरें,भाजपा के बोधसिंह भगत,सपा की अनुभा मुंजारे के अलावा आप के कर्नल चौधरी भी मैदान में थे। इस क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने,कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ और पूर्व मुूख्यमंत्री एवं कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने और सपा प्रत्याशी के समर्थन में मुलायम सिंह यादव ने सभायें ली। इस क्षेत्र से कांग्रेस के विश्वेश्वर भगत ने 2009 का चुनाव 40819 मतों से हारा था। जबकि हाल ही में हुये विस चुनाव में शिवराज की भारी लहर में इस क्षेत्र में भाजपा कांग्रेस से सिर्फ 39771 वोटों से ही आगे रही जबकि सिर्फ बालाघाट विस क्षेत्र में ही भाजपा को कांग्रेस से 66207 वोटों की बढ़त मिल गयी थी। लेकिन इस क्षेत्र में सपा की अनुभा मुंजारे ने 69493 वोट लिये थे जिनसे प्रदेश के मंत्री गौरी शंकर बिसेन सिर्फ 2500 वोटों से जीते थे। विस चुनावों में कांग्रेस ने बैहर से 32352 और लांजी से 31750 वोट की भाजपा से बढ़त ली थी। इन आंकड़ों को यदि ध्यान में रखा जाये तो यह कहना सही नहीं होगा कि बालाघाट क्षेत्र से भाजपा पांचवी बार अपना कब्जा कर ही लेगी। राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि बालाघाट संसदीय क्षेत्र के चुनाव परिणाम जातीय आधार पर भी प्रभावित होते है। इस आधार से कांग्रेस,भाजपा और सपा के प्रत्याशी क्रमशः मरार,पंवार और लोधी जाति के हैं। वैसे तो आप का प्रत्याशी भी पंवार जाति का है। यदि जातिगत आधार पर धु्रवीकरण होता है तो तो किस पार्टी को ज्यादा लाभ या नुकसान होता है? इस पर परिणाम निर्भर करेंगें। सियासी जानकारों का यह भी मानना है कि इस क्षेत्र का परिणाम आदिवासियों और मुस्लिम मतदाताओं के रुझान पर निर्भर करेगा। भाजपा में अंतिम समय तक प्रत्याशी को लेकर मची घमासान और अंत में प्रदेश के मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम की टिकिट कट कर बोध सिंह को मिल गयी। हालांकि ऐसा भी पहली बार देखने को मिला कि प्रत्याशी की अधिकृत घोषणा के पूर्व ही मौसम हरिनखेड़े की फोटो से युक्त चुनावी रथ भी पूरे क्षेत्र में भ्रमण कर चुका था। वैसे भाजपा ने नुकसान रोकने की दृष्टि से इस क्षेत्र में जीत सुनिश्चित करने के लिये मंत्री गौरीशंकर बिसेन को ही जवाबदारी सौंप दी थी। कांग्रेस और भाजपा की जीत हार इस बात पर भी निर्भर करेगी कि सपा उम्मीदवार चुनाव को त्रिकोणी संघंर्ष में बदल पाता है या नहीं? यदि सपा प्रत्याशी मुस्लिम मतदाताओं में भी सेंधमारी करता है तो कांग्रेस को नुकसान होगा और यदि जातिगत आधार पर लोधी मतदाताओं को लामबंद कर लेता है तो भाजपा को अधिक नुकसान होगा। इसलिये इस क्षेत्र में कांग्रेस या भाजपा दोनों के ही जीतने की संभावना बराबरी की बनी हुयी हैं।
मंड़ला क्षेत्र में गौगपा पर निर्भर है इंका या भाजपा की जीत -मंडला लोकसभा क्षेत्र में भी जिले की केवलारी और लखनादौन विस सीटें शामिल हैं। इसीलिये इस क्षेत्र के परिणामों को लेकर भी यहां उत्सुकता के साथ विश्लेषण किया जा रहा है। पिछले लोस चुनाव में कोग्रेस के बसोरीसिंह मसराम ने भाजपा के फग्गनसिंह कुलस्ते को 65053 मतों से हराया था। फग्गन सिंह भाजपा के राष्ट्रीय आदिवासी नेता हैं। इसीलिये चुनाव हारने के बाद भी उनका राजनैतिक महत्व कम नहीं हुआ और अभी वे राज्यसभा के सदस्य है। 2009 के लोस चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने अध्यक्ष सोनिया गांधी आयीं थीं तो इस बार राहुल गांधी ने आदिवासियों की चौपाल मंड़ला में लगायी थी। 20013 के विस चुनावों में इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस से 54279 वोटों की बढ़त मिली हुयी है।शहपुरा से 32681,निवास से 10910,गोटेगांव से 20171और बिछिया से 18316 वेटों से कांग्रेस पीछे रही है जबकि केवलारी से 4803,डिंडोरी से 6388,मंड़ला से 3827 और लखनादौन से 12781 वोटों से कांग्रेस ने भाजपा से बढ़त ली है। इस तरह कांग्रेस और भाजपा दोना ही पार्टियों के चार चार विधायक है।भाजपा की तरफ से नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने चुनावी सभायें की है। इस क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी भी कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल की पसंद के प्रत्याशी है। ये भी वर्तमान में विधायक है।वैसे मंड़ला क्षेत्र में यह प्रचार भी अंदर ही अंदर चला है कि फग्गन सिंह तो सांसद हैं ही यदि ओंकार जीत जायेगें तो जिले को दो दो सांसद मिल जायेगें। मंड़ला सेसदीय क्षेत्र में भी कांग्रेस या भाजपा की जीत गौगपा के प्रत्याशी के मत विभाजन पर निर्भर करती है।
केवलारी में बनेगा कीर्तिमान या दोहराया जायेगा इतिहास -जिले के राजनैतिक क्षेत्रों की पैनी नजर केवलारी विस के परिणामों पर लगी हुयी जहां से कांग्रेस के युवा रजनीश सिंह पहली बार विधायक बने है। इसके पहले उनके पिता स्व. हरवंश सिंह इस क्षेत्र से चार चुनाव जीते थे।लेकिन केवलारी क्षेत्र का भी अजीब इतिहास रहा है। पिछले 2003 के विस चुनाव में इस क्षेत्र से जहां कांग्रेस 8658 वोटों से जीती थी वहीं 2004 के लोस चुनाव में कांग्रेस 16340 वोटों से हार गयी थी। इसी तरह 2008 के विस चुनाव में इस क्षेत्र से 6276 वोटों से जीतने वाली कांग्रेस 2009 के लोस चुनाव में 3493 वोटों से हार गयी थी। 2013 के विस चुनावों में भी कांग्रेंस यहां से 4803 वोटों से जीती है। अब देखना यह है कि केवलारी क्षेत्र में कांग्रेस जीत कर एक नया कीर्तिमान बनाती है या विस में जीतने और लोस में हारने का अपना इतिहास दोहराती है ? “मुसाफिर”
साप्ताहिक दर्पण झूठ ना बोले, सिवनी
6 मई 2014 से साभार
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