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1.6.14

काँग्रेस "तथा "आप "की हार और मेनेजमेंट अध्याय

काँग्रेस "तथा "आप "की हार और मेनेजमेंट अध्याय 

2014 के चुनाव परिणाम से आईआईएम ,मेनेजमेन्ट विश्व विद्यालय और
उद्योग जगत की हस्तियाँ सफलता के नये सूत्र ढूंढ रही है। सभी लोग मोदी
और मोदीत्व का विश्लेषण कर रहे हैं मगर व्यावसायिक सफलता के लिए
सूत्र जीत में नहीं विफलता में ढूँढे जाने चाहिये। "कांग्रेस "और "आप "की
बड़ी हार के अध्याय से आधुनिक भारत में सफलता के सूत्र ढूंढे जा सकते
हैं जिससे हम व्यावसायिक विफलता से बच सकते हैं।

लोग क्या चाहते हैं वही दो - "कांग्रेस "और "आप " की हार का पहला कारण
भारत के जन मानस की माँग को नहीं समझ पाना था। लोग महँगाई और
घटते रोजगार से परेशान थे और काँग्रेस मुफ्त में रोटी बाँटने की नीति बाँट
रही थी और आप जनता के हाथों से खुद के लिए रोटी सिकाने का दुःस्वप्न
देख रहा था। सफलता के लिए मजदूरों तथा स्टाफ को लोकलुभावन प्रलोभन
मत दो उनकी योग्यता का छल से व्यवसाय हित मत साधो। कार्यरत
कर्मचारियों को अच्छे भविष्य के लिए वर्तमान में कुशलता से लक्ष्य का पीछा
करने में कार्यरत करो।
अहँकार की जगह विनम्रता - "काँग्रेस "और "आप " अहँकार से लबालब थे। हर
काँग्रेसी अपने को नेता मान रहा था और "आप "का नेतृत्व खुद को तारणहार
मसीहा के रूप में देख रहा था। दोनों के पाँव चलते समय जमीन पर टिकते नहीं
थे। मेनेजमेंट को चाहिये कि वह व्यवसाय की सफलता में कर्मचारियों के मुल्य
को समझे और उन्हें महत्व दे। व्यावसायिक सफलता में खुद को श्रेय देना तथा
कर्मचारियों को नगण्य समझना विफलता का कारण होता है। सफलता के समय
में पैर की ओर गौर करते रहे कहीं जमीन से ऊपर तो नही उठ रहे हैं। सदैव विनम्र
बने।
टीम का नेता चुनें -"कांग्रेस " इस चुनाव में अपना भविष्य के टीम लीडर को चुनने
में विफल रही और "आप "भी विफल रही। जब हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष
करते हैं तब टीम लीडर जरूर बनाये और टीम लीडर भी ऐसा चुने जो उत्साही हो
और लक्ष्य के पीछे बिना थके दौड़ने वाला हो। काँग्रेस नकारात्मक परिणाम की
अपेक्षा से भयभीत हो बिना लीडर के मैदान में जँग लड़ रही थी और बिना लीडर के
सेना मन चाहे ढँग से नीरस भाव से लड़ रही थी। "आप "तो बिना ताकत के सीमा
से ज्यादा बोझ उठा कर लड़खड़ा रहा था और रेंग भी नहीं पा रहा था। हर व्यवसायी
को चाहिये की संस्था का लक्ष्य निर्धारण करने के बाद हर टीम का टीम लीडर रखे
ताकि उचित परिणाम पाया जा सके।
बेदाग और पारदर्शी आचरण - "काँग्रेस के पास बेदाग और पारदर्शी आचरण वाली
नीति नहीं थी तो "आप "के पास अनुभव हीनता और अस्पष्ट नीति थी। "आप" खुद को
भगवान और बाकी सभी को बेवकूफ कह रही थी नतीजा यह रहा की खुद बेवकूफ
बन गहरे कुएँ में गिर पड़ी और काँग्रेस ना तो खुद को बेदाग और पारदर्शी बता पायी
जिसका परिणाम कमर तोड़ रहा। सफल व्यवसायी को चाहिए कि अपने प्रतिस्पर्धी
की आलोचना के बजाय खुद के प्रोडक्ट की सफलता के प्रयास पर ध्यान दे। अपने
प्रोडक्ट में नवीनता और मौलिकता दे उसे बेदाग रखे।
व्यवस्थित प्रचार - "कांग्रेस "प्रचार के पुराने औजार लेकर लड़ती रही और असफल रही
"आप "खुद के प्रोडक्ट को सर्वश्रेष्ठ तथा मार्किट में उपलब्ध प्रोडक्ट को घटिया साबित
करती रही और खुद घटिया बन गयी। मेनेजमेंट को चाहिये की प्रोडक्ट का प्रचार अच्छे
ढ़ंग से करे क्योंकि जनता प्रोडक्ट का इस्तेमाल बाद में करती है पहले प्रोडक्ट के प्रचार
के बारे में सुचना चाहती है। यदि अपने प्रोडक्ट को बेहतर और प्रतिस्पर्धी के प्रोडक्ट को
घटिया बताएँगे तो लोग पहले उस प्रोडक्ट को इस्तेमाल करना चाहेंगे जिसे हम घटिया
बता रहे थे  इसलिए बेमतलब का नेगेटीव प्रचार भी प्रतिस्पर्धी का ना करे।
सेल के बाद सर्विस - "आप "और कांग्रेस की नाकामी का बड़ा कारण सेल के बाद सर्विस
ना देना रहा था। दोनों दल सत्ता में आये ,सत्ता भोगी पर सर्विस ना दे पाये। सफल व्यवसायी
को सेल के बाद सर्विस पर ध्यान देना चाहिये वरना जनता उधर चली जाती है जहाँ यह
भरोसा या सेवा बेहतर मिलती हो।

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