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22.6.14

आचरण और परिणाम

आचरण और परिणाम  

गाँव के स्कुल में पढाई अच्छी नहीं हो रही थी। गाँव वालों ने अच्छे मुख्य आचार्य 
और अध्यापकों की व्यवस्था के लिए गुहार लगाईं। उनकी शिकायत थी कि स्कुल 
में अध्यापक समय पर नहीं आते हैं और आने पर भी पढ़ाते नहीं हैं। बच्चे अनुशासन 
में नहीं हैं,पढ़ने की जगह नकल करके पास होना चाहते हैं। स्कुल प्रांगण में गंदगी 
रहती है ,पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। गाँव वालों के पास समस्याओं 
का ढेर था और उनकी माँग थी कि अच्छा आचार्य और अच्छे अध्यापक स्कुल में 
नियुक्त किये जाये। वे सब वर्तमान व्यवस्था से नाखुश थे। सरकार ने उनकी बात 
मान ली और आचार्य और अध्यापकों की नयी भर्ती कर दी। 

        नए आचार्य ने गाँव सभा बुलवाई और उनसे उनकी मांगें पूछी। गाँव वालों 
ने उपरोक्त बातें दोहरा दी। नए आचार्य ने गाँव वालों को आश्वस्त किया कि बदलाव 
लाया जायेगा। 

अगले दिन जो बच्चे स्कुल में समय पर नहीं आये थे उन्हें समय पर आने के लिए 
कहकर उस दिन घर लौटा दिया।जो बच्चे घर लौट आये थे उनके अभिभावकों को 
यह दंड अनुचित लगा। उनका मानना था कि १५--२० मिनिट देर से आने वाले बच्चों 
को क्लास में बैठाना चाहिए था। 

उसके बाद आचार्य ने उन बच्चों को स्कुल से निकाल दिया जो स्कुल यूनिफॉर्म में 
नहीं आये थे। जो बच्चे स्कुल यूनिफॉर्म में नहीं गए थे उन्हें वापिस घर लौटा देख 
उनके अभिभावक चिढ गये और नए आचार्य को कोसने लगे। 

उसके कुछ दिन बाद आचार्य ने उन बच्चों को दण्ड दिया जो स्कुल प्राँगण में गंदगी 
कर रहे थे। गाँव वालों को जब आचार्य द्वारा दण्ड देने की बात का पता चला तो गाँव 
वाले गुस्से में आ गये। 

२-३ दिन बाद अध्यापकों ने जो छात्र होमवर्क नहीं करके लाये थे उनको ३-४ घंटे 
स्कुल में ज्यादा रोक कर रखा और होमवर्क करवाया। बच्चो को देरी से स्कुल से 
छोड़ने की बात पर गाँव के लोग नए आचार्य को बुरा भला कहने लगे। 

त्रैमासिक परीक्षा में स्कुल के अधिकांश बच्चे असफल रहे ,ज्यादातर बच्चों के 
परिणाम पत्र में लाल निशान लगे थे। अपने -अपने लाडलों को नापास देख  
अभिभावक धीरज खो बैठे और पुरानी व्यवस्था को अच्छा ठहराने लगे। वे सब 
मिलकर शिक्षा अधिकारी के पास आचार्य की शिकायत लेकर पहुँच गये। 

शिक्षा अधिकारी ने स्कुल में आकर सारी परिस्थिति का जायजा लिया और 
गाँव वालों से बोले -नए आचार्य और अध्यापक व्यवस्था सुधारने में लगे हैं ,आप 
चिंतित ना हो। अभी जो परिणाम दिखने में आ रहे हैं भले ही ख़राब लग रहे हो 
मगर लगातार चलने वाली प्रक्रिया से अच्छे होते जायेंगे।

गाँव के बुद्धिजीवियों,पंचों ,खबरियों और पुराने स्कुल व्यवस्थापकों को यह 
बात गले नहीं उत्तर रही थी ,वे सभी गलत आचरण को त्यागे बिना अच्छे दिन 
लाये जाने के सपने देख रहे थे और नयी व्यवस्था को कोस रहे थे।      

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