आज मदर्स डे है, मातृ दिवस । सुबह से शोशल मीडिया पर माँ की फोटों के साथ बेटों की तस्वीरें वाॅल पर छा रही हैं । माँ को नमन, उसके प्रति श्रद्धा दिखाती ये पोस्ट माँ का ‘मान’ बढ़ाती नजर आती हैं । और क्यों न हो ? माँ होती ही ऐसी है, जिसके प्रति सर अपने आप झुक जाता है । ये पश्चिमी देशों का त्योहार है ऐसा लोग बोलते हैं, हिन्दुस्तान में तो रोज माँ की पूजा की जाती है । सच में की जाती है क्या..? अब नहीं... पहले की जाती रही होगी । छोटे बच्चांे को नैतिक शिक्षा की किताब का पहला पाठ माता-पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लेने का हुआ करता था । सनातन धर्म की हर किताब माँ को पहला गुरू बताकर उसका सम्मान बढ़ाती है, वह शक्ति पुंज होकर देवी माँ के रूप में पूज्यनीय है । फिर भी क्या हम रोजाना पैर छूना तो दूर माँ के पास कुछ पल बैठकर उसकी खैर खबर रखते हैं...? अगर रखते हैं तो वृद्धाश्रमों में किनकी माँ मजे में हैं?
मदर्स-डे पश्चिम का चलन ही सही लेकिन बुरा नहीं है... अगर अंग्रेजियत के पीछे भागते भारतीय युवा इसी बहाने दो पल अपनी माँ के साथ बैठ सकें तो माँ के लिये इससे बड़ा त्यौहार कोई नहीं है । लेकिन ‘सुन पगली.....’ से अपना स्टेटस् अपडेट करने वाले क्रान्तिकारी युवक अगर माँ के साथ सैल्फी पोस्ट करके ही मातृभक्ति पूरी कर रहे हैं तो इससे खोखला त्यौहार भी कोई नहीं है । सभी तो नहीं लेकिन आज बहुत बड़ी संख्या ऐसे बेटों की ही है।
गूगल से माँ की शायरी काॅपी पेस्ट करने वाले इन होनहारों को क्या माँ का पूरा अर्थ कल याद रहेगा ? क्या वे जानते हैं कि माँ केवल हाड़-माँस की एक औरत नहीं है , वह तो एक अहसास है ममता की भावना का, त्याग का, दुलार का, अपनत्व का । ये सभी बात जिसमें भी है वह माँ है । तुम्हारे दोस्त की माँ भी बिल्कुल वैसी है.....जैसी तुम्हारी माँ है । राह चलते किसी अनजान लड़के की माँ भी बिल्कुल वैसी है....जैसी तुम्हारी माँ है । अगर तुम समझते हो कि तुम्हारी माँ संसार की सबसे अच्छी माँ है तो यकीन मानों उसमें संसार की सभी माँएं शामिल हैं । सभी की माँ बिल्कुल वैसी हैं....जैसी तुम्हारी माँ है । फिर तुम किस हक से, किस संस्कार से, किस हिम्मत से अपनी जैसी माँ को गाली दे देते हो...?
आज जरा सी लड़ाई हो जाने पर जब लोग एक दूसरे को ‘माँ की गाली..’ देकर अपने को बड़ा समझते हैं तो ऐसे सैकड़ों मदर्स-डे पर माँ के साथ ली गयी सैल्फियाँ झूठी और सफेद झूठी हो जाती हैं । माँ का असली सम्मान करना है तो अपनी इस बुरी आदत को छोड़ो । माँ-बहनों की गालियों से एक दूसरे की माँओं को अपमानित मत करों क्योंकि तुम्हें भी यह पसन्द नहीं होगा । आईये इस मदर्स डे पर कसम खायें कि किसी को भी माँ-बहनों की गालियाँ देकर अपनी माँ-बहनों का अपमान नहीं करेंगें । तब आपकी ‘सैल्फी विद मदर्स’ और भी अच्छी लगेगी । तब कहिएगा ‘हैप्पी मदर्स-डे’
-जगदीश वर्मा ‘समन्दर’
14.5.18
किसी अनजान लड़के की माँ भी बिल्कुल वैसी है....जैसी तुम्हारी माँ है, हैप्पी मदर्स-डे
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