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24.5.18

आजमगढ़ में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन : प्रेम की वंशी गलाकर वज्र अब गढ़ना पड़ेगा...

आज़मगढ़। कृष्ण मुरारी सिंह स्मृति न्यास द्वारा 20 मई को शहर  के एस.के.पी.इंटर कॉलेज के प्रांगण में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। रविवार की शाम 7:00 बजे से शुरू हुआ कवि सम्मेलन सुबह 4:00 बजे तक चला। हजारों की संख्या में पहुंचे श्रोताओं की तालियों ने कवियों का खूब उत्साहवर्धन किया।


 मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्रनाथ पाण्डेय, संगठन मंत्री हृदय नाथ सिंह व आयोजक खड़ग बहादुर सिंह ने संयुक्त रूप से माँ राधिका देवी व स्व बाबू कृष्ण मुरारी सिंह के चित्र पर श्रध्दासुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया. इसके बाद माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया. सम्मलेन में आये नामचीन कवियों ने अपनी एक से बढ़कर एक उम्दा रचनाओं के जरिये श्रोताओं को बांधे रखा और जमकर तालियों बजायी.

प्रख्यात कवि हरिओम पवार ने अपनी रचना घाटी के दिल धड़कन, कश्मीर जो खुद सूरज के बेटे की रजधानी था, डमरू वाले शिव शंकर की जो घाटी कल्याणी था, जिस मिटटी को दुनिया भर में अर्घ्य चढ़ाया जाता था सुनकर कश्मीर की खुबसूरती का बखान किया.

कवि गजेन्द्र सोलंकी ने ये जो तेरे अपने घर में तेरी इज्ज़त अफजाई है गलतफहमियों में मत रहना, दौलत अपने संग लाई है, वो चला था इस ज़माने को सिखाने तैरना नाम उसका डूबने, वालों में यारों जुड़ गया, मौत कैसे आसमां से आयेगी सोचा था बस इक परिंदा झील से मछली पकड़कर उड़ गया जब उजियारे मिले हमें पता चला अँधियारा क्या कितनी घोर आमाबस थी. वीररस की कविताओं की माहिर कवियत्री सुश्री कविता तिवारी ने कथानक व्याकरण समझें तो सुरभित छंद हो जा, हमारे देश में फिर से सुखद मकरंद हो जा, मेरे ईश्वर मेरे दाता ये कविता मांगती तुझसे युवा पीढ़ी संभलकर के विवेकानंद हो जा सुनकर सभी में वीरता से सराबोर कर दिया.

कवि अरुण जैमिनी ने मैंने सोचा, जरा पुराने युग को वापिस लाया जाये, मैंने कबूतर भेजवाया जाए, मैंने कबूतर के पंजे में चिट्ठी अटकाई और उसे ये बात समझाई ये तो याद नहीं, ये कौन से प्यार की कौन सी चिट्ठी है, पर तू यहाँ से पांच गलियां छोड़कर, छठी गली में जाना, गुलाबी छत वाली गुलाबी सी लड़की, नीलू की मम्मी को ये चिट्ठी दे आना. कबूतर बोला-हे आदिकालीन युग के देवदास, इस ज़माने में भी चिट्ठियों से आस, अब मैं, ऐसी फालतू उड़ान नहीं भरता हूँ, मैं खुद अपनी कबूतरी को, व्हात्सप्प करता हूँ,

इसी क्रम में डॉ. अनिल बौझड ने हिन्दू होइकै दिये बधाई, ईद आउर रमजान कै, मुसलमान होइकै जय बोलै, कृष्ण राम भगवान कै, बस तैसे हम जानि लेइत है, उंच छलाँग  लगैया है, यहो बहादर पक्का अबकी कोई चुनाव लड़ैया है. कवियत्री अंजुम रहबर ने रौशनी का जबाव होती है, खुशबुओं की किताब होती हैं, तोड़ लेते हैं क्यूँ हवस वाले, लड़कियों तो गुलाब होती हैं प्रस्तुत कर समारोह में चार चाँद लगा दिया. कवि शम्भी शिखर ने कहा कि मनहूस से चेहरों को सदा डांटता हूँ मैं, गम की बदलियों में भी ख़ुशी छांटता हूँ मैं, भाता नहीं मुझको कोई चेहरा उदास सा, बस इसलिए ही सबको हंसी बांटता हूँ मैं. डॉ. सुनील जोगी दिल्ली ने हार के संग कभी जीत भी मिल सकती है, लगे रहो तो प्रभु की प्रीत भी  मिल सकती है, कई बाबा तो इसलिए धुनी रमाए हैं, इन्हीं भक्तों में हनीप्रीत भी मिल सकती है.

डॉ. विष्णु सक्सेना ने तू जिसे छू ले वो, हो नामचीन सकता है,गमो के ढेर से, खुशियों को बीन सकता है. भले ही दूर, दिखाई भी नहीं दे फिर भी, तेरा एहसास मुझसे, कौन छीन सकता है.

डॉ. अर्जुन सिसोदिया ने प्रेम और सद्भावना का मार्ग फिर रोका गया है, शांति के पथ पर हुआ गतिमान रथ टोका गया है, फिर अमन के गीत गाते पंछियों के पर कटे हैं, सरहदों पर आज फिर से सैनिकों के सर कटे हैं, प्रेम की वंशी गलाकर वज्र अब गढ़ना पड़ेगा, एक अंतिम और निर्णायक समर लड़ना पड़ेगा.

कवि अब्दुल गफ्फार ने कहा कि लालकिले के मंचों से जो जहनी आग लगाते है, चंद तालियाँ पाने खातिर लोगों को भड़काते है, जो रहते हो ऐसे, जैसे यहाँ कोय महमान रहे जो अपनी इस भारत माँ को अपनी तक ना माँ रहे, जिनको खुद को भारतीय कहलाने पर इंकारी है दिलों से ज्यादा जिनको लाहोरी गलियां प्यारी है. अजय निर्भीक ने भी एक से बढकर एक रचना सुनायी. आजमगढ़ के युवा कवि विनम्र सेन सिंह ने आईना देख कर सब संवरने लगे, अपने चेहरे में अब रंग भरने लगे, कैसा है रूप उनका असल में की वो, अपनी खुद की हकीकत से डरने लगे सुनकर खूब वाहवाही बटोरी.

निदेशिका डॉ. सुनीता ने कहा कि न्यास द्वारा संचालित विद्यालाओं में गरीबों, नक्सल प्रभावी क्षेत्रों के परिवनों के बच्चों को बेहतर शिक्षक दिए जाने का लक्ष्य है. इस वर्ष से आर.के.एम मेमोरियल पुरूस्कार की शुरुआत की जा रही है. यह पुरस्कार संस्था में होने वाले वार्षिकोत्सव में शिक्षा,साहित्य,कला व् संस्कृति के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले लोगों को संस्था के माध्यम से चयनित कर दिया जायेगा. उन्हें नगद राशि, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया जायेगा. इस संस्था द्वारा साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन जनपद के उस सुनहरे समय का उत्सव मनाने के लिये कर रहे जिनकी मिटटी में साहित्य की खाद पानी युगों से समाहित है, यह परिपाटी आगे भी जारी रहेगी. अंत में आंगतुकों के प्रति के प्रति आभार जताते हुए बाबू कृष्ण मुरारी सिंह स्मृति न्यास के प्रबंधक खड़ग बहादुर सिंह ने कहा कि बाबू जी सदैव कहते थे कि समाज का सर्वांगीण उत्थान शिक्षा के बल पर ही हो सकता है इसलिए शिक्षण संस्थान को प्रगति देकर मैं उनके सपनें को पूरा कर रहा हूँ.

सम्मेलन में  इस्कान चेयरमैन लाखेंद्र खुराना, एमएलसी अशोक धवन, विद्यासागर सोनकर, महिला मोर्चा भाजपा अध्यक्ष दर्शन सिंह, सांसद सकलदीप राजभर, विद्या सागर सोनकर,राम इकबाल सिंह, ब्रजेश सिंह, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर सहित भारी संख्या में अतिथिगण मौजूद रहे.

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