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14.1.22

नियम और कानून से भी बड़ा हो गया नोएडा का प्रेस क्लब


मीडिया, यानी देश का चौथा स्तंभ। पत्रकारों के लिए देशभर के विभिन्न जिलों में प्रेस क्लब बनाए गए हैं. ऐसा ही एक प्रेस क्लब नोएडा में भी है. प्रेस क्लब के गठन से लेकर आज तक यहां पैनल का कब्जा है. पत्रकारों के रोष के बाद किसी चुनाव कराने का फैसला हुआ लेकिन चुनाव में सभी नियमों को ताक पर रखा जा रहा है. हैरानी की बात है कि प्रेस क्लब की कार्यकारिणी में नामी संस्थानों के पत्रकार जुड़े हैं. वह भी इसमें शामिल हैं.


वर्तमान में इस प्रेस क्लब में ट्राई सिटी टुडे से पंकज पाराशर अध्यक्ष हैं. यह हिंदुस्तान अखबार में लंबे समय तक रहे हैं. वहीं हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार विनोद राजपूत महासचिव के पद पर हैं और अमर उजाला से मनोज कुमार भाटी कोषाध्यक्ष है. इसके अलावा दैनिक जागरण से सौरभ राय इससे जुड़े हैं. जिन मुद्दों को लेकर इस क्लब को बनाया गया था वह काफी पीछे छूट चुके हैं. क्लब के गठन के दौरान पत्रकारों से कई लुभावने वादे किए गए. असल हकीकत यह है कि आज तक एक भी वादा पूरा नहीं हुआ. मौजूदा अध्यक्ष के खिलाफ लोगों में खासा गुस्सा है. इसके पीछे की वजह विस्तार से बताते हैं.

पिछले साल भर से मौजूदा कार्यकारिणी के खिलाफ लोगों में खासा गुस्सा था. संस्था के सदस्य लगातार चुनाव की मांग कर रहे थे जिसे लगातार टाला जाता रहा. प्रेस क्लब को बने तीन साल से अधिक समय हो चुका है. बायलॉज के तहत अध्यक्ष का कार्यकाल दो साल ही हो सकता है लेकिन कोरोना का बहाना बना चुनाव ही नहीं कराए गए. पत्रकारों के विरोध के बाद 6 जनवरी को आम सभा की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में मौजूदा कार्यकारिणी का खुलकर विरोध किया गया है. जब इनसे कार्यकाल का लेखा जोखा मांगा गया तो इनके पास कोई जवाब नहीं था. बायलॉज के तहत तीन साल का ब्यौरा आम सभा में पेश किया जाना था. लोगों ने इसकी मांग भी की लेकिन इसे नहीं दिया गया. दरअसल सदस्यता शुल्क से लेकर उसके नवीनीकरण की राशि कार्यालय प्रभारी के पेटीएम पर ली गई. इसकी किसी को आज तक रसीद नहीं मिली. जब लोगों ने इसे मांगा तो मौजूदा अध्यक्ष ने आम सभा में अपना इस्तीफा दे दिया. आम सभा में चुनाव कराने की घोषणा हुई. इसमें आम सहमति से दो चुनाव अधिकारी तय हुए.

8 जनवरी को क्लब के बाहर एक नोटिस लगाया गया. इसमें लिखा कि चुनाव बैलेट के साथ ई-वोटिंग के माध्यम से कराए जाएंगे. तर्क दिया गया कि जो मतदाता कोरोना के कारण जो लोग वोट डालने ना आएं वह ई वोटिंग कर सकें. इस पर जब वोट की गोपनीयता को लेकर सवाल उठे तो आम सभा का एक पत्र दिखाया गया जिसमें लिखा कि इस मुद्दे पर आम सभा में सहमति बनी है. जबकि असल हकीकत है कि आम सभा में इस मुद्दे और चुनावी प्रक्रिया को लेकर कोई बात ही नहीं हुई. आम सभा में पहुंचे लोगों से आगंतुक रजिस्टर पर हस्ताक्षर कराए गए जिसे बाद में आम सभा की सहमति के तौर पर दिखा दिया गया. इसे लेकर पत्रकारों ने भारी विरोध किया. कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने भी इसका विरोध किया लेकिन अध्यक्ष की हठधर्मिता के आगे ये वरिष्ठ पत्रकार भी बौने नजर आए. वह भी जानते थे कि जो हो रहा है गलत हो रहा है लेकिन शायद वह मौन रहना भी उचित समझ रहे हैं. खैर जो भी हो इस बार प्रेस क्लब में बदलाव की बयार वह रही है. मौजूदा अध्यक्ष की गलत नीतियों के कारण उनका खुलकर विरोध हो रहा है.      

नोएडा मीडिया क्लब का एक सदस्य







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