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8.1.08

धोखा होता है, अक्सर खुली आंखों से भी

हरीवंश जी की बात चल रही थी । भाई यशवंत जी का आदेश था, सो भड़ास पर हरीवंश जी की तस्वीर और उनकी वोर्किंग स्टाइल के बारे में अपने अनुभव मैंने डाले हैं । सचिन जी खुली आंखों से धोखा खा गए या फिर उनका आत्मविश्वास उनकी भावनाओं के पंखों को अतिशय उडान दे देता है । उनकी प्रांजल भाषा का तो मैं भी कायल हूँ । पर मुझे लगता है बाली उमर है, इस उमर में सोच अक्सर गच्चा खा जाती है । हरीवंश जी के बारे में रांची छोड़ दीजिए, यहाँ दिल्ली में किसी से पूछ लीजिये, लोग वही कहेंगे, जिन भावनाओं का इजहार मैंने किया है । उन्होने लंबा समय प्रभात खबर दिया है । इस दौरान उन्होने संपादक से लेकर प्रशाशक, सर्कुलेशन मनेजर , समाज के प्रहरी तक की भूमिका बखूबी निभाई है । प्रभात खबर की पहचान को ग्लोबल बनाने में उनका कितना बड़ा हाथ है, यह तो कोइ बता सकता है । एक व्यक्ति के रुप में उनमें भी कमियां हैं, पहले भी रही होंगी, पर कमी और दुसरे तरह की गंदगी तो पूरे समाज में है । इस मुक़ाबले हरीवंश जी का कद बहुत ऊंचा है । मैंने पहले ही अपने ब्लोग पर कहा था कि सकारात्मक चीजें ही सामने रखूंगा, तो आगे भी ऐसा ही करूंगा । आप सभी साथियों से अनुरोध है कि हरीवंश जी से जुडे संस्मरण अवश्य रखें, ताकि आधुनिक पत्रकारिता के इस प्रतीक पुरुष के बारे में युवा पत्रकार और जान-समझ सकें ।
घनश्याम

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