लो जी अब ब्लोगरो मे भी हो गई महाभारत! सभी महान हे,एक दुसरे से, सभी सवार हे ४२० की तेज रफ़तार पर कोई दे रहा हे... कोई ले रहा हे...किसी को पडी अपनी...,कोई कहता नही डरेगे...,नही हटेगे...,तुम ने झुकाया...हम थमा के रुकेगे ! महान बन्धुओ आप सभी वाक्य ही बहुत महान हो आप लोगो का लिखा हुआ हम रोज पडते हे !वाह..कया मस्त लिखते हो दिल करता हे आप बडे लेखको से कुछ सिखे लेकिन अब समझ मे आया की साहित्यकारो मे भी अपने विचारो-लेखो को दुसरो से बडा दिखाने की कुठा होती ! तो कही मिली-भगत से किसी को नीचा दिखाने की कोशिश ? धन्य हे आप..महान हे आप साहित्य की जान हे आप ...ओर...क्या कहे माफ़ करना टाईम-पास का कोई रास्ता नही था?
जय भडास
गुलशन खट्टर पोर्तुगाल
12.1.08
ब्लोगरो की जय हो....
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