राजस्थान पत्रिका की ओर से दिया जा रहा केसीके अवार्ड पत्रकारिता जगत में पहले से स्थापित पुरस्कारों से कई मायनों में अलग है। आम तौर पर पत्रकारिता पुरस्कार रिपोर्टर्स के लिए ही होता है और डेस्क पर काम करने वो लोग जिन्होंने वास्तव में उस कॉपी पर उतनी मेहनत कर उसे पुरस्कार लायक बनाया होता है उसे कोई सम्मान नही मिलता। या यूं कहें कि किसी भी रिपोर्ट को वाकई काबिले तारीफ बनाने वाले उपसंपादक को कोई याद नहीं करता। कई बार तो ऐसा भी देखा गया कि मूल खबर कुछ और होती है और डेस्क के टोकने के बाद बदले एंगल से प्रकाशित खबर को पुरस्कार मिलता है, पर खबर का एंगल बदलवाने वाले साथी का कहीं जिक्र नहीं होता है। काम में डेस्क के साथी का भी पूरा सहयोग होता है, लेकिन पुरस्कार का हकदार होता है केवल रिपोर्टर।
किसी खबर में डेस्क पर काम करने वाले संपादक को भी पूरा सम्मान मिले इसे ही ध्यान में रखते हुए केसीके अवार्ड को टीम अवार्ड बनाया गया है। इसके तहत रिपोर्टर के साथ ही डेस्क पर कॉपी एडिट करने वाला संपादक भी एन्ट्री टीम में शामिल होना चाहिए। इससे अब तक पर्दे के पीछे रह कर अनगढ़ पत्थर को सुघड़ मूर्तियों की सी शक्ल देने वाले डेस्क का भी सम्मान होगा।
साधारणतया केवल रिपोर्टर्स को ग्लैमर प्रदान करने वाले पत्रकारिता जगत में इससे डेस्क वालों को भी यश मान हासिल होगा। केसीके अवार्ड की पुरस्कार राशि ग्यारह हजार अमरीकी डॉलर है। पुरस्कार के लिए प्रविष्ठी की अन्तिम तिथि ३१ जनवरी है। अधिक जानकारी के लिए देखें राजस्थान पत्रिका की वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू. राजस्थान पत्रिका.कॉम
1 comment:
सच तो यही है।
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