आखिरकार वही हुआ जिसका अंदाजा हम सबको था .................बेनजीर नही रही यानी पाकिस्तान की मे लोकतंत्र के आख़िरी दरवाजे बंद ............वेसे पाकिस्तान की राजनीति का नक्शा तैयार करने का जिम्मा शुरुआत से ही पाकिस्तान के लोगो को कभी ही नही रहा .......मुझे समझ नही आता की ये वही बेनजीर है जो मरने से पहले पाक की जनता से हिन्दुस्तानी विरोधी बाते कर रही थी ......तो सवाल यही उठता है कि आखिरकार आँसुओ की नदियो मे हमारी भागीदारी सबसे ज्यादा क्यों हो ? क्या आप भूल गए बापू ,सुभाष चन्द्र बोस की यादों को ? जरा याद उन्हें भी कर लो जो लोट कर घर ना आये ?
शायद ये वही लोग है जो बॉर्डर पर जान लुटा चुके अपने वीरो के परिवारों को देखते तक नही है ?
इसीलिए तो भटका है अपना हिंदुस्तान ?
क्या आप पढना चाहते है .......मेरा ब्लोग तो ये है मेरा है url : sweetcare-media.blogspot.com
लेकिन अपनी राय जरुर दे ? क्योंकि वो मेरे लिए बहुत जरुरी है .......................त्रासदी का हिन्दुस्तान
17.1.08
उनका दर्द दर्द और हमारा दर्द ............
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