लाश बन चुका गरीब,कंधो पे है उसके सलीब,
वोट फिर भी दे रहा,वाह क्या संविधान है ।
हम बदनसीब हैं,नेता बडे अदीब हैं,
वो खा रहे इंसान को, वाह क्या संविधान है ।
फटा चिथा सडा गला,बीमार सा मरा मरा,
वो देश मेरा महान है, वाह क्या संविधान है ।
चमक रहा हिंदोस्तां,संसद में कह रहे सभी,
चोर साले सब वहाँ, वाह क्या संविधान है ।
आओ मिल के बाँट लें,बचा खुचा हिंदोस्ता,
बिक चुका मेरा ईमान है, वाह क्या संविधान है ।
कल हमें पता चला,देश ये आजा़द है,
हर जगह सिंगूर है, वाह क्या संविधान है ।
बच्चियों से कह दो,घर से न निकला करे,
हर शख्स यहाँ शैतान है, वाह क्या संविधान है ।
अनुराग अमिताभ
13.1.08
वाह क्या संविधान है ।
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2 comments:
प्रभु,संविधान तो अनूठा है पर जबसे बना है लोगों ने उसका ठीक से पालन ही नहीं किया । कोसना बंद करना होगा और इस बात का बीड़ा उठाना होगा कि जन सामान्य तथा जन प्रतिनिधियों को उस पर चलने के लिये बाध्य करा जा सके ।
तुकबंदी अच्छी है। लेकिन, संविधान में कोई समस्या नहीं है। हां, समीक्षा जरूर होनी चाहिए। लागू करने वाले तो किसी भी संविधान को बरबाद बेकार कर सकते हैं.
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