जांजगीर-चांपा। बसपा में अक्सर देखा गया है कि शीर्ष नेतृत्व ने चुनाव में जो नाम तय कर लिया, वही पार्टी का उम्मीद्वार होता है। चुनाव के पहले भी किसी तरह की लॉबिंग नजर नहीं आती थी, लेकिन अब कांग्रेस व भाजपा की तरह बसपा में भी टिकट के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। बसपा के वरिष्ठ नेताओं ने तो प्रदेश के सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। जिले की बात करें तो 6 सीटों में से 3 के लिए प्रत्याशी के नाम का चयन हो गया है, मगर 3 सीटों पर पार्टी के नेताओं में ही रस्साकस्सी शुरू हो गई है। साथ ही बसपा के स्थानीय नेताओं ने अपनी जीत के दावे के साथ, शीर्ष नेतृत्व को साधना शुरू कर दिया है। इस दौरान जीत के दावे के अलावा राजधानी रायुपर तक चक्कर लगाए जा रहे हैं। इस तरह बसपा में भी टिकट की माथापच्ची शुरू हो गई है। जांजगीर-चांपा विस से पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता व जिला पंचायत के पूर्व सदस्य मेलाराम कर्ष की दावेदारी के बाद, अन्य संभावित उम्मीद्वारों की नींद हराम हो गई है, क्योंकि श्री कर्ष, बसपा के साथ बरसों से जुड़े हुए हैं और जमीनी स्तर के कार्यकर्ता माने जाते हैं। लिहाजा, बसपा की राजनीति में अचानक ही हलचल बढ़ गई है।
इधर जिले की सीटों पर बसपा की खास नजर है, क्योंकि वर्तमान में पार्टी के 2 विधायक काबिज हैं। साथ ही पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा के कई प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनाव में दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। यही वजह रही कि पामगढ़ के सीटिंग एमएलए दूजराम बौद्ध के साथ ही जैजैपुर से केशव चंद्रा और सक्ती विधानसभा से सहसराम कर्ष का नाम पहले से ही तय हो गया है। इसके इतर अकलतरा, जांजगीर-चांपा व चंद्रपुर विधानसभा सीटों से नाम फाइनल होना शेष है, जिसके लिए संभावित उम्मीद्वारों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है।
छग में बहुजन समाज पार्टी ने नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रत्याशियों के नाम की पहली सूची जारी किया और निश्चित ही चुनावी तैयारी में आगे रही। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में राजधानी रायपुर से लेकर कई अन्य शहरों में भी बसपा की बैठकें होने की खबर है। पिछले दिनों पार्टी के वरिष्ठ नेता राजाराम का बयान आया है कि जिन सीटों पर नाम तय नहीं हुआ है, उसमें मई अंत तक फैसला ले लिया जाएगा। यही कारण है कि जिले की, जो 3 सीटों पर नाम तय नहीं हुआ है, उसके लिए दावेदारों के साथ ही, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में माथापच्ची शुरू हो गई है, क्योंकि जीत के दावे सभी दावेदार कर रहे हैं। ऐसे में सशक्त व जीत दर्ज कर बसपा का परचम लहरा सकने वालों पर, वरिष्ठ नेताओं की नजर बनी हुई है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों में प्रत्याशी चयन में चूक हुई थी, जिसकी वजह से पार्टी को काफी नुकसान हुआ। हालांकि, वरिष्ठ नेता इस बात से भी संतुष्ट नजर आते हैं कि पामगढ़ व अकलतरा की सीट बसपा की झोली में आई और जैजैपुर, सक्ती तथा चंद्रपुर में पार्टी प्रत्याशियों ने जमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। यहां तक जैजैपुर विस में तो बसपा के प्रत्याशी केशव चंद्रा ने दूसरा स्थान हासिल कर राजनीतिक गणित को ही बदल दिया था एवं सत्ताधारी दल भाजपा के प्रत्याशी निर्मल सिन्हा को तीसरे स्थान पर ढकेल दिया। इस तरह पिछले चुनाव की तरह ही जिले में पूरी मजबूती के साथ बसपा के उतरने के दावे, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा भी किए जा रहे हैं। महीनों पहले जांजगीर के हाईस्कूल मैदान में बसपा का बड़ा सम्मेलन भी आयोजित हुआ था, जहां कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने पार्टी महासचिव राजाराम पहुंचे थे। साथ ही कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे। इस दौरान भी पार्टी का डंका विधानसभा चुनाव में बजाने के लिए कार्यकर्ताओं ने जोर-शोर से संकल्प लिया था। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर चुनावी गणित को बिगाड़ने में, बसपा कामयाब हो सकती है। दूसरी ओर पामगढ़ में बसपा काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। यदि वहां कांग्रेस व भाजपा ने प्रत्याशी चयन में चूक की तो पामगढ़, एक बार फिर बसपा की झोली में जा सकती है। अन्य सीटों पर भी बसपा कड़ी टक्कर देने की स्थिति में नजर आ रही है। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में जिले का राजनीतिक परिदृश्य क्या होता है ? और बसपा को कितना नफा या नुकसान होता है ?
बसपा मुक्ति मोर्चा का भी पड़ेगा प्रभाव
बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दाऊराम रत्नाकर ने ‘बहुजन समाज मुक्ति मोर्चा पार्टी’ बनाया है और कार्यकर्ताओं को जोड़ना भी शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि बसपा के अधिक कार्यकर्ता ही, उनके साथ आ रहे हैं, क्योंकि पार्टी में कई दशकों तक उनका दखल बना हुआ था। बसपा के अनेक कार्यकर्ता, बसपा मुक्ति मोर्चा के साथ, चुनाव नजदीक आने पर ताल ठोंक सकते हैं, हालांकि अभी सीधे तौर पर श्री रत्नाकर के साथ वे नजर नहीं आ रहे हैं। इतना जरूर है कि बसपा से जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलेगी, उनकी बसपा मुक्ति मोर्चा के जुड़ने की संभावना अधिक जतायी जा रही है।
जांजगीर में पिछले दिनों प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर श्री रत्नाकर ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को उतारने की बात कही थी। उनकी जिले की सीटों पर खासी नजर है, क्योंकि वे यहां से बिलांग करते हैं। बरसों तक बसपा में यहीं से राजनीति करते रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि बसपा की तर्ज पर बसपा मुक्ति मोर्चा की भी विचारधारा स्व. कांशीराम से ओत-प्रोत है। ऐसे में ‘एक विचारधारा और दो पार्टी के काम्बिनेशन’ को मतदाता कितना तवज्जो देंगे, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा ?
अकलतरा से कौन होगा बसपा प्रत्याशी ?
अकलतरा विधानसभा से बसपा की टिकट पर सौरभ सिंह चुनाव जीते थे। हालांकि, वे चुनावी जीत के बाद से ही बसपा से कटे-कटे रहे। पार्टी कार्यक्रमों से भी उनका किनारा रहा। चर्चा है कि अकलतरा विधायक श्री सिंह, कांग्रेस में शामिल होंगे। इसके लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सीढ़ी तैयार कर ली है। अब सवाल यह है कि बसपा, अकलतरा विधानसभा सीट से इस बार किसे अपना प्रत्याशी बनाएगी ? ठीक है, क्षेत्र में कई ऐसे कार्यकर्ता होंगे, जो पार्टी के लिए बरसों से काम करते रहे होंगे, मगर चुनाव जीतने में, क्या वे कामयाब होंगे ? ऐसी कई बातें रहेंगी, जिस पर गौर करके ही पार्टी, टिकट देगी। वैसे भी सभी की नजर अभी अकलतरा विधानसभा सीट पर है, क्योंकि बसपा से सौरभ सिंह ने अलविदा करने का पूरी तरह मन बना लिया है, केवल ‘कांग्रेस प्रवेश’ की औपचारिक घोषणा ही बाकी रह गई है। दूसरी ओर बसपा के वरिष्ठ नेता राजाराम ने रायपुर में मीडिया को जारी बयान में अकलतरा विधायक श्री सिंह पर कड़ी टिप्पणी की हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि बसपा की राजनीतिक फिजां भी गरमा गई है।
इधर जिले की सीटों पर बसपा की खास नजर है, क्योंकि वर्तमान में पार्टी के 2 विधायक काबिज हैं। साथ ही पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा के कई प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनाव में दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। यही वजह रही कि पामगढ़ के सीटिंग एमएलए दूजराम बौद्ध के साथ ही जैजैपुर से केशव चंद्रा और सक्ती विधानसभा से सहसराम कर्ष का नाम पहले से ही तय हो गया है। इसके इतर अकलतरा, जांजगीर-चांपा व चंद्रपुर विधानसभा सीटों से नाम फाइनल होना शेष है, जिसके लिए संभावित उम्मीद्वारों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है।
छग में बहुजन समाज पार्टी ने नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रत्याशियों के नाम की पहली सूची जारी किया और निश्चित ही चुनावी तैयारी में आगे रही। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में राजधानी रायपुर से लेकर कई अन्य शहरों में भी बसपा की बैठकें होने की खबर है। पिछले दिनों पार्टी के वरिष्ठ नेता राजाराम का बयान आया है कि जिन सीटों पर नाम तय नहीं हुआ है, उसमें मई अंत तक फैसला ले लिया जाएगा। यही कारण है कि जिले की, जो 3 सीटों पर नाम तय नहीं हुआ है, उसके लिए दावेदारों के साथ ही, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में माथापच्ची शुरू हो गई है, क्योंकि जीत के दावे सभी दावेदार कर रहे हैं। ऐसे में सशक्त व जीत दर्ज कर बसपा का परचम लहरा सकने वालों पर, वरिष्ठ नेताओं की नजर बनी हुई है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों में प्रत्याशी चयन में चूक हुई थी, जिसकी वजह से पार्टी को काफी नुकसान हुआ। हालांकि, वरिष्ठ नेता इस बात से भी संतुष्ट नजर आते हैं कि पामगढ़ व अकलतरा की सीट बसपा की झोली में आई और जैजैपुर, सक्ती तथा चंद्रपुर में पार्टी प्रत्याशियों ने जमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। यहां तक जैजैपुर विस में तो बसपा के प्रत्याशी केशव चंद्रा ने दूसरा स्थान हासिल कर राजनीतिक गणित को ही बदल दिया था एवं सत्ताधारी दल भाजपा के प्रत्याशी निर्मल सिन्हा को तीसरे स्थान पर ढकेल दिया। इस तरह पिछले चुनाव की तरह ही जिले में पूरी मजबूती के साथ बसपा के उतरने के दावे, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा भी किए जा रहे हैं। महीनों पहले जांजगीर के हाईस्कूल मैदान में बसपा का बड़ा सम्मेलन भी आयोजित हुआ था, जहां कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने पार्टी महासचिव राजाराम पहुंचे थे। साथ ही कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे। इस दौरान भी पार्टी का डंका विधानसभा चुनाव में बजाने के लिए कार्यकर्ताओं ने जोर-शोर से संकल्प लिया था। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर चुनावी गणित को बिगाड़ने में, बसपा कामयाब हो सकती है। दूसरी ओर पामगढ़ में बसपा काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। यदि वहां कांग्रेस व भाजपा ने प्रत्याशी चयन में चूक की तो पामगढ़, एक बार फिर बसपा की झोली में जा सकती है। अन्य सीटों पर भी बसपा कड़ी टक्कर देने की स्थिति में नजर आ रही है। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में जिले का राजनीतिक परिदृश्य क्या होता है ? और बसपा को कितना नफा या नुकसान होता है ?
बसपा मुक्ति मोर्चा का भी पड़ेगा प्रभाव
बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दाऊराम रत्नाकर ने ‘बहुजन समाज मुक्ति मोर्चा पार्टी’ बनाया है और कार्यकर्ताओं को जोड़ना भी शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि बसपा के अधिक कार्यकर्ता ही, उनके साथ आ रहे हैं, क्योंकि पार्टी में कई दशकों तक उनका दखल बना हुआ था। बसपा के अनेक कार्यकर्ता, बसपा मुक्ति मोर्चा के साथ, चुनाव नजदीक आने पर ताल ठोंक सकते हैं, हालांकि अभी सीधे तौर पर श्री रत्नाकर के साथ वे नजर नहीं आ रहे हैं। इतना जरूर है कि बसपा से जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलेगी, उनकी बसपा मुक्ति मोर्चा के जुड़ने की संभावना अधिक जतायी जा रही है।
जांजगीर में पिछले दिनों प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर श्री रत्नाकर ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को उतारने की बात कही थी। उनकी जिले की सीटों पर खासी नजर है, क्योंकि वे यहां से बिलांग करते हैं। बरसों तक बसपा में यहीं से राजनीति करते रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि बसपा की तर्ज पर बसपा मुक्ति मोर्चा की भी विचारधारा स्व. कांशीराम से ओत-प्रोत है। ऐसे में ‘एक विचारधारा और दो पार्टी के काम्बिनेशन’ को मतदाता कितना तवज्जो देंगे, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा ?
अकलतरा से कौन होगा बसपा प्रत्याशी ?
अकलतरा विधानसभा से बसपा की टिकट पर सौरभ सिंह चुनाव जीते थे। हालांकि, वे चुनावी जीत के बाद से ही बसपा से कटे-कटे रहे। पार्टी कार्यक्रमों से भी उनका किनारा रहा। चर्चा है कि अकलतरा विधायक श्री सिंह, कांग्रेस में शामिल होंगे। इसके लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सीढ़ी तैयार कर ली है। अब सवाल यह है कि बसपा, अकलतरा विधानसभा सीट से इस बार किसे अपना प्रत्याशी बनाएगी ? ठीक है, क्षेत्र में कई ऐसे कार्यकर्ता होंगे, जो पार्टी के लिए बरसों से काम करते रहे होंगे, मगर चुनाव जीतने में, क्या वे कामयाब होंगे ? ऐसी कई बातें रहेंगी, जिस पर गौर करके ही पार्टी, टिकट देगी। वैसे भी सभी की नजर अभी अकलतरा विधानसभा सीट पर है, क्योंकि बसपा से सौरभ सिंह ने अलविदा करने का पूरी तरह मन बना लिया है, केवल ‘कांग्रेस प्रवेश’ की औपचारिक घोषणा ही बाकी रह गई है। दूसरी ओर बसपा के वरिष्ठ नेता राजाराम ने रायपुर में मीडिया को जारी बयान में अकलतरा विधायक श्री सिंह पर कड़ी टिप्पणी की हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि बसपा की राजनीतिक फिजां भी गरमा गई है।
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