छद्म निरपेक्षता के अलावा सब सलामत
जब भी हिन्दुस्थान में चुनाव आते हैं देश के अकर्मण्य नेताओं को धर्मनिरपेक्षता की
याद सताती है। सबको साम्प्रदायिकता से भय लगता है ,परन्तु कोई राजनेता स्पष्ट
नहीं करता है कि उसको किस साम्प्रदायिकता से खतरा है।
विश्व का हर धर्म दया ,करुणा और मैत्री का सन्देश देता है और मानवीय सहयोग की
भावना से ओतप्रोत है। इस देश में हर धर्म सलामत है ,हर आस्था सलामत है सिवाय
छद्म निरपेक्षता के।
मानव -मानव में भेद का पाठ इस देश को किस राजनीति ने सिखाया ?क्या पक्षपात
करके राजनीतिज्ञों ने हिन्दू प्रजा का दिल नहीं दुखाया ,आज कितने राजनीतिज्ञ ऐसे
बचे हैं जो खुले मंच से इस देश को हिन्दुस्थान कहते हैं या हिन्दुस्थान जिंदाबाद का
नारा देते हैं ,हमारे बौने राजनीतिज्ञों से तो अच्छे वो पडोसी देश हैं जो हमारे देश की
पहचान "हिन्दुस्तानी सल्तनत "से करते रहे हैं। जब इस देश का प्रधान सरे आम
मानव -मानव में भेद धर्म देख कर करता है तो हिन्दुस्तानियों का माथा शर्म से झुक
जाता है। हिन्दू अपने धर्म पर गर्व करे ,अपनी हिंदुत्व की संस्कृति पर गर्व करे तो
इसमें अँधे राजनेताओं के पेट में दर्द क्यों होता है ,हिन्दुस्थान पर राज करने की इच्छा
भी है और हिंदुत्व से परहेज भी।
यह देश तभी सलामत रहेगा जब हम अपने -अपने धर्म पर गहरी निष्ठा और गर्व रखेँगे।
हिन्दू अपने धर्म के प्रति निष्ठावान बने ,मुस्लिम अपने धर्म के प्रति निष्ठावान बने ,ईसाई
अपने धर्म के प्रति आस्थावान बने क्योंकि सब धर्म मानवता की भलाई के लिए बने हैं ,
हम सबको धर्म के मूल सिद्धान्त को कस कर पकड़ लेना है जो परोपकार से जुड़ा है। इस
देश में धर्म कभी विवाद उत्पन नहीं करते हैं ,विवाद उत्पन करते हैं सत्ता के भूखे
राजनीतिज्ञ,इन लोगों को सत्ता चाहिए और सत्ता के लिए अच्छे हथियार की जगह ओछे
हथियार के रूप में एक धर्मावलम्बी को दूसरे धर्मावलम्बी से लड़ाते हैं और ये निकृष्ट
खेल आजादी के पहले से अभी तक खेल रहे हैं। आज हर संसदीय क्षेत्र में चुनाव लड़ने
वाला उम्मीदवार जाती और धर्म की अंक गणित देख कर पर्चा भरता है ,क्यों ?हम
भारतीय नागरिक भी इसी निगाह से चुनाव की गणित का अभ्यास करते हैं ?हम
मतदान भी जातिगत और धर्म के आधार पर करते हैं ,क्यों ? जब तक विकास के मुद्दे
को हासिये पर धकेलते रहेंगे तब तक हम अभावग्रस्त जीवन ही जियेंगे।
इस देश में हर धर्म सलामत है इसमें शंका का कोई स्थान नहीं है। विश्व का हर धर्म
सही राह पर आगे बढ़ना सिखाता है इसमें किसी को शँका नहीं है। हम अपने -अपने
धर्म पर गर्व करे इसमें किसी को ऐतराज नहीं है। ऐतराज है तो सिर्फ भ्रष्ट बुद्धि वाले
राजनीतिज्ञों को ,क्योंकि जैसे ही हम मानव धर्म को मुख्य मान लेँगे तो उनकी चूलें
हिल जायेगी। आओ ,इस बार हम विकास के लिए मिलकर मतदान करे,हम गरीबी
को मात देने के लिए मतदान करे,उज्जवल भारत के लिए मतदान करे। निर्भीक बने
और निर्भीक सरकार चुने।
जब भी हिन्दुस्थान में चुनाव आते हैं देश के अकर्मण्य नेताओं को धर्मनिरपेक्षता की
याद सताती है। सबको साम्प्रदायिकता से भय लगता है ,परन्तु कोई राजनेता स्पष्ट
नहीं करता है कि उसको किस साम्प्रदायिकता से खतरा है।
विश्व का हर धर्म दया ,करुणा और मैत्री का सन्देश देता है और मानवीय सहयोग की
भावना से ओतप्रोत है। इस देश में हर धर्म सलामत है ,हर आस्था सलामत है सिवाय
छद्म निरपेक्षता के।
मानव -मानव में भेद का पाठ इस देश को किस राजनीति ने सिखाया ?क्या पक्षपात
करके राजनीतिज्ञों ने हिन्दू प्रजा का दिल नहीं दुखाया ,आज कितने राजनीतिज्ञ ऐसे
बचे हैं जो खुले मंच से इस देश को हिन्दुस्थान कहते हैं या हिन्दुस्थान जिंदाबाद का
नारा देते हैं ,हमारे बौने राजनीतिज्ञों से तो अच्छे वो पडोसी देश हैं जो हमारे देश की
पहचान "हिन्दुस्तानी सल्तनत "से करते रहे हैं। जब इस देश का प्रधान सरे आम
मानव -मानव में भेद धर्म देख कर करता है तो हिन्दुस्तानियों का माथा शर्म से झुक
जाता है। हिन्दू अपने धर्म पर गर्व करे ,अपनी हिंदुत्व की संस्कृति पर गर्व करे तो
इसमें अँधे राजनेताओं के पेट में दर्द क्यों होता है ,हिन्दुस्थान पर राज करने की इच्छा
भी है और हिंदुत्व से परहेज भी।
यह देश तभी सलामत रहेगा जब हम अपने -अपने धर्म पर गहरी निष्ठा और गर्व रखेँगे।
हिन्दू अपने धर्म के प्रति निष्ठावान बने ,मुस्लिम अपने धर्म के प्रति निष्ठावान बने ,ईसाई
अपने धर्म के प्रति आस्थावान बने क्योंकि सब धर्म मानवता की भलाई के लिए बने हैं ,
हम सबको धर्म के मूल सिद्धान्त को कस कर पकड़ लेना है जो परोपकार से जुड़ा है। इस
देश में धर्म कभी विवाद उत्पन नहीं करते हैं ,विवाद उत्पन करते हैं सत्ता के भूखे
राजनीतिज्ञ,इन लोगों को सत्ता चाहिए और सत्ता के लिए अच्छे हथियार की जगह ओछे
हथियार के रूप में एक धर्मावलम्बी को दूसरे धर्मावलम्बी से लड़ाते हैं और ये निकृष्ट
खेल आजादी के पहले से अभी तक खेल रहे हैं। आज हर संसदीय क्षेत्र में चुनाव लड़ने
वाला उम्मीदवार जाती और धर्म की अंक गणित देख कर पर्चा भरता है ,क्यों ?हम
भारतीय नागरिक भी इसी निगाह से चुनाव की गणित का अभ्यास करते हैं ?हम
मतदान भी जातिगत और धर्म के आधार पर करते हैं ,क्यों ? जब तक विकास के मुद्दे
को हासिये पर धकेलते रहेंगे तब तक हम अभावग्रस्त जीवन ही जियेंगे।
इस देश में हर धर्म सलामत है इसमें शंका का कोई स्थान नहीं है। विश्व का हर धर्म
सही राह पर आगे बढ़ना सिखाता है इसमें किसी को शँका नहीं है। हम अपने -अपने
धर्म पर गर्व करे इसमें किसी को ऐतराज नहीं है। ऐतराज है तो सिर्फ भ्रष्ट बुद्धि वाले
राजनीतिज्ञों को ,क्योंकि जैसे ही हम मानव धर्म को मुख्य मान लेँगे तो उनकी चूलें
हिल जायेगी। आओ ,इस बार हम विकास के लिए मिलकर मतदान करे,हम गरीबी
को मात देने के लिए मतदान करे,उज्जवल भारत के लिए मतदान करे। निर्भीक बने
और निर्भीक सरकार चुने।
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