इस देश का मीडिया कितना अपरिपक्व और गैर
जिम्मेदार हैं कि उसने पिछले दो दिनों में जितना मुंबई बम ब्लास्ट के
गुनहगार याकूब मैनन की फांसी और उससे जुडी खबर को दिखाया उतना देश के
पूर्व राष्ट्र पति और देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक मिसाइल मैन ए पी जे
अब्दुल कलाम की मौत और उनसे जुडी खबर को भी नहीं दिखाया। मीडिया ने तो
जैसे रातो रात सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पाये २५७ लोगो की हत्या के
गुनाहगार याकूब मेनन को हीरो की तरह पेश किया,लगातार याकूब मेनन का चित्र
टी वी चैनेलो पर तैरता रहा , जब कि इस देश के सबसे बड़े हीरो ए पी जे
अब्दुल कलाम की मौत और उनसे जुडी हुई खबर को दूसरे नंबर की खबर के रूप में
दिखाया गया ।
टी वी चैनेलो की पहली हैडलाइन पर आखिर याकूब मेनन ने देश के
मिसाइल मैन को भी पीछे छोड़ते हुए क्यों कब्ज़ा कर लिया ? आखिर क्या याकूब
मेनन को दिन रात मीडिया की सुर्खिया बनाकर भारतीय मीडिया ने उसको महिमा
मंडित नहीं किया ? और क्या हमें इस तरह से किसी आतंकवादी को महिमा मंडित
करना चाहिए ?इस मुद्दे पर मुझे लगता है कि देश व्यापी बहस होनी चाहिए और
मीडिया के लिए भी इस तरह से संवेदनशील मुद्दे पर एक लक्ष्मण रेखा तय की
जानी चाहिए। याकूब मेनन को भारतीय न्यूज़ चैनल्स में किसी हीरो की तरह पेश
करने और रात दिन उसको चैनल्स पर दिखाने पर पान की दुकान पर खड़े एक अनजान
सख्स ने यहाँ तक कह दिया कि यदि भारत का मीडिया मुझे इतना दिखाए तो मैं
बिना किसी अपराध के भी फांसी पर चढ़ने को तैयार हूँ। इस अनजान शख्स का
भारतीय मीडिया के बारे में यह बयान हैरान कर देने वाला हैं।
इसका
सीधा सा अर्थ यह है कि इस देश के मीडिया ने एक देशभक्त व्यक्ति की तुलना
में देश द्रोही व्यक्ति को ज्यादा महत्त्व दिया। आखिर भारतीय मीडिया की
यह नकारात्मक रिपोर्टिंग क्या अच्छे और बुरे में अंतर नहीं करी पाई या
हमारे देश के मीडिया का मिजाज ही ऐसा है कि वो निगेटिव खबर को ज्यादा
महत्त्व देती हैं। आपकी क्या राय हैं ?
कलाम बनाम याकूब
इस
देश का मीडिया कितना अपरिपक्व और गैर जिम्मेदार हैं कि उसने पिछले दो
दिनों में जितना मुंबई बम ब्लास्ट के गुनहगार याकूब मैनन की फांसी और उससे
जुडी खबर को दिखाया उतना देश के पूर्व राष्ट्र पति और देश के सर्वश्रेष्ठ
वैज्ञानिक मिसाइल मैन ए पी जे अब्दुल कलाम की मौत और उनसे जुडी खबर को भी
नहीं दिखाया। मीडिया ने तो जैसे रातो रात सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा
पाये २५७ लोगो की हत्या के गुनाहगार याकूब मेनन को हीरो की तरह पेश
किया,लगातार याकूब मेनन का चित्र टी वी चैनेलो पर तैरता रहा , जब कि इस देश
के सबसे बड़े हीरो ए पी जे अब्दुल कलाम की मौत और उनसे जुडी हुई खबर को
दूसरे नंबर की खबर के रूप में दिखाया गया । टी वी चैनेलो की पहली हैडलाइन
पर आखिर याकूब मेनन ने देश के मिसाइल मैन को भी पीछे छोड़ते हुए क्यों
कब्ज़ा कर लिया ? आखिर क्या याकूब मेनन को दिन रात मीडिया की सुर्खिया बनाकर
भारतीय मीडिया ने उसको महिमा मंडित नहीं किया ? और क्या हमें इस तरह से
किसी आतंकवादी को महिमा मंडित करना चाहिए ?इस मुद्दे पर मुझे लगता है कि
देश व्यापी बहस होनी चाहिए और मीडिया के लिए भी इस तरह से संवेदनशील मुद्दे
पर एक लक्ष्मण रेखा तय की जानी चाहिए। याकूब मेनन को भारतीय न्यूज़ चैनल्स
में किसी हीरो की तरह पेश करने और रात दिन उसको चैनल्स पर दिखाने पर पान
की दुकान पर खड़े एक अनजान सख्स ने यहाँ तक कह दिया कि यदि भारत का मीडिया
मुझे इतना दिखाए तो मैं बिना किसी अपराध के भी फांसी पर चढ़ने को तैयार हूँ।
इस अनजान शख्स का भारतीय मीडिया के बारे में यह बयान हैरान कर देने वाला
हैं।
इसका सीधा सा अर्थ यह है कि इस देश के मीडिया ने एक
देशभक्त व्यक्ति की तुलना में देश द्रोही व्यक्ति को ज्यादा महत्त्व
दिया। आखिर भारतीय मीडिया की यह नकारात्मक रिपोर्टिंग क्या अच्छे और बुरे
में अंतर नहीं करी पाई या हमारे देश के मीडिया का मिजाज ही ऐसा है कि वो
निगेटिव खबर को ज्यादा महत्त्व देती हैं। आपकी क्या राय हैं ?
राकेश भदौरिया, पत्रकार ,एटा , उत्तर प्रदेश मो. ९४५६०३७३४६
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