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15.12.15

फ़ैज़ाबाद पीपुल्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल : फ़िल्मों ने बिखेरी अमन की ख़ुशबू

फ़ैज़ाबाद। फ़ैज़ाबाद पीपुल्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल के दूसरे दिन बड़ी संख्या में युवाओं एवं महिलाओं ने शिरक़त की। फ़ैज़ाबाद फ़िल्म सोसायटी द्वारा कराये जा रहे इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में आज गौहर रज़ा की ‘इंकलाब’, एफ.टी.आई.आई.ए.-पूना के छात्र किसलय की ‘आवर होम’, इरानी फिल्म मेकर माजिद मजीदी की ‘सांग ऑफ़ स्पैरोज़’, दिल्ली के युवा फ़िल्म मेकर शारिक़ हैदर नक़वी की ‘ड्रीम्ज़’ की स्क्रीनिंग की गयी। आज के सत्र का उद्घाटन प्रबुद्धजनों द्वारा मोमबत्ती जला कर किया गया। सत्र की शुरूआत आई.टी.आई.-फै़ज़ाबाद के प्रिंसिपल श्री सुनील कुमार श्रीवास्तव के वक्तव्य से हुई।





श्री सुनील कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि ‘‘युवाओं को समावेशी समाज के विकास के लिए काम करना चाहिए साथ ही देश की आज़ादी के लिए शहीद हुए लोगों के सपनों को सच करने के लिए प्रयास करना चाहिए और उनकी सीख को आगे बढ़ाना चाहिए।’’।

फ़िल्म ‘इंकलाब’ की स्क्रीनिंग के बाद फ़िल्म पर चर्चा करते हुए शिक्षक कमलेश यादव ने कहा कि ‘‘देश के युवाओं को भगत सिंह सहित तमाम क्रांतिकारियों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और भगत सिंह के सपनों के समाजवादी मॉडल पर काम करना चाहिए। उनका सपना एक आज़ाद समाजवादी व्यवस्था को लागू करना था पर हम भटक चुके हैं और इस तरह के आयोजन देश, समाज व युवाओं को नई दिशा देने की एक सार्थक पहल हैं।’’।

फ़ेस्टिवल में युवाओं ने फ़िल्मों के माध्यम से की जा रही संवाद-प्रक्रिया में लगातार में लगातार हिस्सा लिया। युवाओं ने एक स्वर में ऐसे आयेाजनों का स्वागत किया जो उन्हें नई तरह की जानकारी एवं अपने इतिहास से परिचित कराने का माध्यम बनते हैं। तीन दिवसीय फ़िल्म फेस्टिवल का 15 दिसम्बर को अन्तिम दिन है। आयेाजन समिति के आफ़ाक़ ने बताया कि फ़ेस्टिवल के अन्तिम दिन रंगारंग कार्यøम के साथ अवधी लोक-नृत्य, अंतराल थिएटर-दिल्ली द्वारा ‘हमलोग’ नाटक का मंचन व आर्ट गैलरी का भी प्रदर्शन होगा साथ ही रंगकर्मी स्व. मोहम्मद इस्माईल एवं शायर स्व. इस्लाम सालिक़ को उनकी उपलब्धियों के लिए मरणोपरान्त सम्मान प्रदान किया जाएगा एवं ‘राब्ता: सद्भाव के लिए कवि’ नामक काव्य-संध्या का आयेाजन भी किया जाएगा।

शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ाँ एवं राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ की शहादत को याद करते हुए विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी तीन दिवसीय फ़िल्म फे़स्टिवल का आयोजन फै़ज़ाबाद में शहर के युवाओं द्वारा किया जा रहा है, जो कि एक सुन्दर प्रयास है। इससे युवाओं में सांस्कृतिक रूप से बेहतर समाज-दुनिया बनाने का नज़रिया मिल रहा है साथ ही शहर को सांस्कृतिक रूप से भी मज़बूती मिल रही है।

फै़ज़ाबाद 1857 से ही सांस्कृतिक आन्दोलनों का बड़ा केन्द्र रहा है। यहाँ कवि, शायर, साहित्यकार, आलोचक, पत्रकार, रंगकर्मी व संस्कृतिकर्मियों की लम्बी फे़हरिस्त रही है। इस तरह के आयेाजनों से ही शहर अपने इन प्रबुद्धजनों से भी रू-ब-रू हो पा रहा है। आज के कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अतहर शम्सी, अतीक अहमद, सुनीता गौड़, अंजली यादव, नोमीलाल यादव, डॉ. सम्राट अशोक मौर्या, गुफ़रान ख़ान, अनुजा श्रीवास्तव, डॉ. बुशरा ख़ातून, भारती सिंह, जमशेद, हिना बानो, सौमित्र मिश्र, असद करीम, ऋषिकेश तिवारी, शिवसामंत मौर्या ‘मिट्टी’, हफीज़ उल्लाह व साकार-बरेली से धम्म धानकर आदि लोग उपस्थित रहे।

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