यूपी के बाराबंकी से उठा मैगी मुद्दा सारे देश में चर्चा का विषय तो बना ही था अब इसकी गूँज सात समन्दर पार अमेरिका तक पहुँच गयी है । आज अमेरिका की एक प्रतिष्ठित पत्रिका "फार्च्यून मैगजीन" की रिपोर्टर बाराबंकी आकर सबसे पहले मैगी मुहिम चलाकर पूरे देश में जागरूकता पैदा करने के काम को अंजाम देने वाले दैनिक भास्कर के युवा तेज़ तर्रार पत्रकार सरफ़राज़ वारसी का साक्षात्कार लिया।
अमेरिकी रिपोर्टर एरिका फ्राई ने सरफ़राज़ वारसी से मैगी की खबर बनाने और उसके प्रकाशन करवाने सम्बन्धी कई महत्वपूर्ण प्रश्न किये । सरफ़राज़ वारसी ने अपने साक्षात्कार में बताया कि जब यह मुद्दा उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने सबसे पहले अपने वरिष्ठ रिपोर्टरों से इसके बारे में चर्चा की और उनके मार्गदर्शन में इस खबर को अंजाम दिया गया।
दो मिनट की मैगी कितनी ज़हरीली है इसको आमजन तक पहुँचाने के लिए सरफ़राज़ वारसी ने बाराबंकी के अन्य चैनलों पत्रकारों से संपर्क कर उन्हें भी इस मुहिम में शामिल कर लिया । परिणाम यह हुआ कि मैगी बाराबंकी में ही नहीं बल्कि पूरे देश में मैगी की बिक्री पर प्रतिबन्ध लग गया।
हाल यह हुआ कि मैगी का निर्माण करने वाली विश्वव्यापी कम्पनी नेस्ले को हज़ारो करोड़ रूपये का भारी भरकम नुक्सान उठाना पड़ा। अब नेस्ले कंपनी को मैगी को पुनर्स्थापना के लिए फिर से करोडो रूपये के विज्ञापन देने पड़ रहे है।
बाराबंकी में मैगी के खात्मे का अभियान छेड़ने वाले सरफ़राज़ वारसी ने इसका श्रेय अपने उच्च अधिकारीयों और बाराबंकी में प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथी पत्रकारों को देते हुए कहा कि यह अभियान इन सबके बगैर संभव नहीं था।
अमेरिकी पत्रकार के यह पूछे जाने पर कि इस अभियान से आपको क्या मिला। इस पर सरफ़राज़ वारसी ने कहा कि जब फ़ूड सिक्योरिटी ऑफिसर से यह जानकारी मिली कि दो मिनट की सेहतमंद मैगी में शीशे की मात्रा आठ गुना ज्यादा है जो हमारे बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है तो मन बहुत ही विचलित हो गया । जब मैगी पर प्रतिबन्ध लगा तो मन को एक सन्तुष्टि मिली कि चलो एक अच्छा काम हुआ। इस अभियान से मुझे एक मानसिक संतुष्टि मिली है।
सरफ़राज़ वारसी के साक्षात्कार के बाद अमेरिकी पत्रकार ने जिलाधिकारी बाराबंकी योगेश्वर राम मिश्र और मैगी का सैमपल भरने वाले मैगी मुद्दे के सूत्रधार युवा और ईमानदार खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय सिंह का भी साक्षात्कार लिया।
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