-डॉ.एस.ई.हुदा-
हां एक बात क़ाबिल-ए-गौर है कि जिस तरह इमरान साहब ने पाकिस्तान की युथ-अवाम के दिलो में अपनी तक़रीरों की मार्फ़त हमारे मुल्क़ हिंदुस्तान के लिए जो ज़हर घोलने का काम किया वो पाकिस्तान की आने वाले नस्लो के मुस्तक़बिल के लिये बहुत ख़राब अलामात हैं...इमरान साहब हमारे वज़ीर-ए-आज़म आली जनाब नरेंदमोदी जी की कहीं तारीफ़ करते नज़र आये तो कहीं खुले तौर से हमारे मुल्क़ को नापाक नसीहत देते दिखे...ग़ौरतलब बात ये है कि जिस शख्स का क्रिकेट से लेकर सियासत तक का सफ़र " बॉल टेम्परिंग"(420सी यानी बॉल से छेड़छाड़) की बुनियाद पर खड़ा हो तो क्या वो इस बर्रे सग़ीर के मुमालिक में अमन के लिये कोई बुनियादी पहल कर पायेगा???इस सवाल का जबाब तो मुस्तबिल में छुपा है...
ख़ैर!!!पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में हुक़ूमत ज़रूर जम्हूरी निज़ाम से बनती है लेकिन चाबुक हमेशा ISI और पाकिस्तानी फ़ौज के हाथ मे रहा है।चुनाँचे हम यू भी कह सकते हैं कि इमरान खान साहब अगर जोड़-तोड़ कर वज़ीर-ए-आज़म बन भी जाते हैं तो उनकी हैसियत पाकिस्तान की हुक़ूमत में एक सर्कस के शेर की होगी जिसके रिंग मास्टर ISI और पाकिस्तानी फ़ौज से मास्टरमाइंड हैं।
इमरान साहब!अभी आपकी उतनी बड़ी सियासी हैसियत नही है कि आप हमारे मुल्क़ को "ज्ञान" दे पाएं...आपको भूलना नही चाहिए कि बंटवारे के वक़्त आपके मुल्क़ के नंगे सर पर हमने 60 करोड़ की चादर डाली थी तब आपकी आबरू बची थी...दुनियां भर के सहाफी हज़रात के सामने आपने जो बयानबाज़ी का सिलसिला शुरू किया है और कश्मीर को अपना प्रमुख एजेंडा बता कर दहशतगर्दों को जो सरपरस्ती दी है वो क़ाबिल-ए-मज़म्मत है...एक बात आपको वाज़े कर दूं कि आपके मुल्क़ के आम इंतेखबात में असेम्बली के लिए एक उम्मीदवार जितने वोट लेता है उससे ज़्यदा वोट लेकर हमारे यहां नगर निगम के पार्षद चुनाव जीतते हैं।खान साहब हैसियत देख कर बात की जाती है...और आप अभी से आपे से बाहर होने लगे...
मुझे ख़ूब याद है 1992 के वर्ड कप जीतने के बाद आपने मंज़र-ए-आम पर कहा था कि "बॉल से टेम्परिंग(420सी यानी छेड़छाड़) कुछ ग़लत काम नही, इससे हमारे बौलर्स को रिवर्स स्विंग मिलती है"...
खान साहब!याद रहे कि हमारे अंडर 19टीन के लड़के अब रिवर्स स्विंग बॉल को फ्रंट फुट पर खेल कर लांग ऑन से स्टेडियम के बाहर पहुँचा देते हैं...
आपको वज़ीर-ए-आज़म बनाने में जिन दहशत गर्द ताकतों का हाथ है आप उन्ही की यॉर्कर पर अपना विकेट दे बैठेंगे और गिल्ली कब उड़ जाएगी आपको एहसास भी नही होगा...
खान साहब!वक़्त से साथ ख़ुद को बदलिये इस बर्रे सग़ीर में हमारी अमन की काविशो को आपकी मार्फ़त अगर नुकसान पहुँचा तो यकीनन आप औऱ आपके आक़ाओ के लिये सिर्फ ऑल आउट होने के अलावा कोई दूसरा चारा नही बचेगा....
"हम पर्वतों से लड़ रहें हैं एक उम्र-ए-दराज़ से, और चन्द लोग...
गीली ज़मीन खोद के खुद को फ़रहाद समझ बैठे"!
जय हिंद
डॉ.एस.ई.हुदा
नेशनल कन्वेनर हुदैबिया कमेटी
बरेली(UP)
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