-सागर शर्मा-
काटकर अपनों की टाँगें यहाँ ख़ुद को लगा लेते हैं लोग ।
इस शहर में कुछ इस कदर भी कद बढ़ा लेते हैं लोग।।
निकाल कर गोश्त चिताओं से यहाँ पका लेते हैं भोग ।
बगल में दबा छुरी अपनों पर ही यहां चला लेते हैं लोग ।।
ढोंग रचा इंसानियत का तमाशा नया सज़ा लेते हैं लोग।
कोठे पर नुमाइश हो, मीडिया में बेटी बचा लेते हैं लोग।।
कैसे करूँ मैं बखान इस समाज की अच्छाइयों का"सागर"
यहाँ अच्छाइयों के एवज में नोट कमा लेते हैं लोग।।
ढोल पीट ईमानदारी के,नोटों से सरकार बचा लेते हैं लोग।
एक आदमी के चलते यूँ "अटल" सरकार गिरा देते हैं लोग ।।
सौदा कर विधायकी का, कहीं करोड़ों पचा लेते हैं लोग ।।
और कहीं गरीबों के अन्न में भी कंकड़ मिला देते हैं लोग ।।
मयस्सर होते नहीं 4 लोग, लाशें कंधे पर ले जाते हैं लोग।
बुलेट प्रूफ़ कहकर, लबादा फौजी को थमा देते हैं लोग।।
बातें बहुत हैं लेकिन यहाँ कुछ भी बातें बना लेते हैं लोग।
जिनके कर्म नहीं अच्छे,ऐसे भी आरोप लगा लेते हैं लोग।।
बलों में सिमटी दलों की नीति,नई नीति बना लेते हैं लोग ।
जरूरत पड़े तो यहाँ लट्ठों से रूठों को मना लेते हैं लोग।।
हार कर डर रहा नहीं,मशीनों में चिप लगा लेते हैं लोग।
हार पर मंथन नहीं,मशीन पर आरोप लगा देते हैं लोग।।
बहुमत की चिंता नहीं,लाठी है,भैंस खूंटे बंधा लेते हैं लोग।
कोर्ट-संविधान अदने हुए,यूँही आरोप लगा देते हैं लोग ।।
लूटखसोट के इस माहौल में,हमें पागल कह जाते हैं लोग ।
आप कहें कैसे चुप रहूँ ,घरों में बंधक बना लेते हैं लोग।।
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सागर शर्मा
ब्यूरो चीफ़
मुम्बई ग्लोबल न्यूज़ नेटवर्क
9999930481
writer.saagarsharma@gmail.com
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