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13.8.18

बेहतर पत्रकार बनना है तो बड़े पत्रकारों को पढ़ो और सुनो

सर,

उम्मीद करता हूँ, आप अपना कीमती वक्त निकाल कर इस मैसेज को ज़रूर पूरा पढ़ेंगे और मेरा मार्ग-दर्शन भी ज़रूर करेंगे| वैसे तो मैं आपकी खबरों को देख और सुन कर भी बहुत कुछ सीखता रहता हूँ | क्योंकि पत्रकारिता जगत में मेरे पहले गुरु रहे राज कौशिक जी कहते हैं, बेहतर पत्रकार बनना है तो बड़े पत्रकारों को पढ़ो और सुनो| इस लिंक पर क्लिक कर चैनल को एक बार ज़रूर देखिएगा प्लीज़ |

https://www.youtube.com/watch?v=FY5p_-RZVEs

धाकड़ खबर के नाम से यू-ट्यूब पर एक न्यूज़ चैनल चल रहा है, डेढ़ साल पहले इस चैनल की शुरुआत हुई थी, शुरू में यह चैनल लोकल एरिया की समस्याएँ उठाता रहा, पर अब देश और प्रदेश के मुद्दों पर काम कर रहा है | आज इस चैनल के करीब सवा 3 लाख सबस्क्राइबर्स हैं, इस चैनल पर 3 से 4 खबरें रोजाना डाली जाती हैं और 70-80 हज़ार दर्शक रोजाना इन खबरों को देख भी लेते हैं |



दर्शकों द्वारा इस चैनल की खबरों को काफी सराहा जाता है | यह चैनल सीधे तौर पर आमजन से सरोकार रखने वाली खबरों को ज़्यादा महत्ता देता है | साथ ही ऐसी खबरों पर भी फोकस रखता है, जिन्हें मेन-स्ट्रीम मीडिया जानबूझ कर नज़र अंदाज़ करता है | यही कारण है कि यह चैनल तेज़ी से बढ़ रहा है, पिछले महज़ 8 महीनों के दौरान 3 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स इससे जुड़ चुके हैं |जिसके चलते जल्द ही यह चैनल अपना वेब-पोर्टल भी शुरू करने की तैयारी में लगा हुआ है |

 मैं अकरम रईस खान अपने दो साथियों अब्दुस-सलाम सिद्दीकी और इकराम खान के साथ मिल कर इस चैनल को चला रहा हूँ | संसाधनों की बेहद कमी है, अगर यूं कहा जाए कि खुद का खून जलाकर इस चैनल को चला रहे हैं तो कुछ गलत न होगा | हम लोगों का मकसद कोई पैसा कमाना नहीं है,अलबत्ता अंधकारमय होते जा रहे पत्रकारिता के इस दौर में एक जुगनू बनकर ज़रूर रोशनी करना चाहते हैं  | लेकिन सबसे बड़ी दुश्वारी ये है कि हम में से कोई भी बंदा इलैक्ट्रोनिक मीडिया के फील्ड से नहीं है | क्योंकि हम लोग गाजियाबाद ज़िले के छोटे से सेंटर के स्ट्रिंगर रहे हैं और कभी भी किसी भी इलैक्ट्रोनिक मीडिया में कोई काम नहीं किया है | जिससे हमें काम करने में बहुत सी दिक्कतें आती हैं जिस कारण हम लोग बहुत परेशान भी रहते हैं |

अब मुझे ही ले लीजिए, यूं तो 2007 से लेकर 2010 तक करीब 3 साल मैं अमर उजाला अखबार में रहा, 2010 से लेकर 2016 तक करीब 3 साल हिंदुस्तान अखबार में रहा और 2016 में 2 महीनों के लिए दैनिक जागरण अखबार में स्ट्रिंगर रहा | और आप तो जानते ही हैं कि स्ट्रिंगर की औकात पुलिस के एक होम-गार्ड की तरह होती है | 10 साल तक काम करने के दौरान मैं कभी जिले स्तर की भी पत्रकारिता नहीं कर पाया, और अब धाकड़ खबर में सीधे राष्ट्रीय मुद्दो पर खबर करने लगा हूँ |

खबर करते हुए खुद को कमफर्ट महसूस नहीं कर पाता हूँ, लगता है खबर को सही से पेश नहीं कर पाता हूँ | यानि अपनी खबरों से खुद ही संतुष्ट नहीं हो पाता हूँ | या यूं कहूँ कि 10 साल तक स्ट्रिंगर रहने के कारण मुझे ब्यूरो और एडिटर के सुपर-विज़न में काम करने की आदत पड़ी हुई है | एक गुरु की कमी महसूस होती है, जो खबरों को लेकर कुछ बता और सीखा सके | सही और गलत का फर्क समझा सके और काम को सही करने का तरीका बता सके | इसलिए आपको ये मैसेज लिखकर परेशान कर रहा हूँ |

उम्मीद है आप मेरे शब्दों के बजाय मेरी भावना और मेरी ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेंगे | आपका थोड़ा सा मार्ग-दर्शन मुझे आगे बढ्ने और सही दिशा में काम करने में बहुत काम आएगा | इसलिए प्लीज़ मेरी मदद करें,आपकी बड़ी मेहरबानी होगी |

आपका
अकरम रईस खान
पत्रकार, धाकड़ खबर
dhaakadkhabar@gmail.com


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