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9.8.18

देवरिया, हरदोई संरक्षण गृह रेप मामले की जाँच कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराएं


वाराणसी। देवरिया, हरदोई संरक्षण गृहों के रेप मामले की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जाँच कराने, चंद्रशेखर रावण को तुरंत रिहा करने, दबंगों से सरकारी जमीनें मुक्त कर भूमिहीनों में बाँटने की मांग पर बुधवार को भाकपा (माले), खेग्रामस, ऐपवा, इंसाफ मंच के संयुक्त तले शास्त्रीघाट कचहरी से जिला मुख्यालय तक मार्च निकाला गया और ज्ञापन सौंपा गया। मार्च के माध्यम से किसानों को कर्जे से मुक्त करने व स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की मांग भी उठाई गई।

बाद में सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा राज्य सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि मोदी-योगी राज में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। पहले मुजफ्फरपुर और अब देवरिया, हरदोई संरक्षण गृहों में रेप के मामलों ने सत्ता संरक्षण को सामने ला दिया है। ऐसे में हमारी मांग है कि सीबीआई जाँच न्यायालय की निगरानी में कराई जाए और सभी सरकारी संरक्षण गृहों की स्वतंत्र जाँच भी की जाए।

युवा नेता फजलुर्रहमान अंसारी ने कहा कि मोदी-योगी राज में दलितों-मुसलमानों को बनाया जा रहा है। मॉब लिंचिंग के आरोपियों को जिस तरह मोदी सरकार के मंत्री सम्मानित कर रहे हैं। चंद्रशेखर रावण को बेवजह 14 महीनों से जेल में रखा गया है और जिस तरह से कोर्ट के आदेश के बावजूद स्लॉटर हाउस को बंद रखा गया है, उससे यह साफ हो जाता है कि यह सब कुछ सत्ता के संरक्षण में हो रहा है। ऐसे में हमारी मांग है कि मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाया जाए, चंद्रशेखर को रिहा किया जाए और स्लॉटर हाउस को चालू किया जाए।

इस मौके पर भाकपा-माले केंद्रीय कमेटी सदस्य मनीष शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा किसानों के साथ धोखा है और अगर तत्काल किसानों को हर तरह के कर्जे से मुक्त नहीं किया गया तथा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप एमएसपी नहीं लागू की गई तो किसान जनता इसका जवाब 2019 के चुनावों में देगी।

उपस्थित जनसमूह को प्रबुद्ध बनाते हुए ऑल इंडिया सेकुलर फोरम के संयोजक डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि आज पूँजीवादी समाज असमाधेय ढाँचागत संकट से जूझ रहा है, इसमें सुधारों से बात बनने वाली नहीं, आमूलचूल बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हालाँकि बदलाव की वाहक मनोगत शक्तियाँ कमजोर हैं पर हताश होने की जरूरत है। वस्तुगत स्थितियों और मनोगत शक्तियों के बीच सीधा संबंध होता है और वह दिन जल्दी ही आएगा जब बदलाव की वाहक शक्तियाँ महत्वपूर्ण भूमिका में होंगी।

सभा व जूलूस में मुख्य रूप से अमरनाथ राजभर, सतीश सिंह, स्मिता बागड़े, आबिद, नूर फातमा, कमलेश यादव, सागर गुप्ता, अर्चना बौद्ध, अवधेश, त्रिभुवन राजभर, नागेंद्र पाल, कामता प्रसाद, जगधारी, स्वालेह, कमलेश कुमार, पिंटू कुमार, जुबैर खान, सरताज अहमद आदि मौजूद थे।

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