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21.7.19

भारतीय समाज में बच्चियां कब सुरक्षित रह सकेंगी?

न जुल्म करो जग-जननी पर
कहीं ज्वालामुखी फट न जाए
ये धरती ध्वस्त न हो जाए
कहीं बेटियां लुप्त न हो जाए

हे! बेटी तू अब शस्त्र उठा
इतिहास बदल, भूगोल बदल
स्वाभिमान बढ़ा, जग नारित्व का
फूलनदेवी की तू, राह पे चल

सभ्य समाज कहलाने वाला भारतीय समाज कितना सभ्य है, यह इसी बात से स्पष्ट होता है कि, वहां पर नारी की स्थिति कैसी है? सभ्यता में कितना स्थान है वह मानवीय प्रतिष्ठा की दौड़ में किस स्थान पर है? ये सवाल इसलिए मायने रखता है कि, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
इतने बड़े लोकतांत्रिक देश ने अपनी किस हद तक सामाजिक प्रगति कर ली है इसका मूल्यांकन होना बहुत जरूरी है। देश की प्रगति में महिलाओं का सर्वोच्च स्थान है। क्योंकि जिस देश की महिलाएं अपनी सामाजिक प्रगति करती है। उस देश को राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक प्रगति से कोई नहीं रोक सकता है।

लेकिन जिस तरह से पिछले छः महीने में बच्चियों के साथ जो बलात्कार के आंकड़े सामने आए है वह बेहद की चौकाने वाले हैं। सिर्फ छः महीने में 1 जनवरी 2019 से 30 जून 2019 तक 24,212 बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना घटित हुई है। अर्थात एक महीने में चार हजार, एक दिन में 130 और हर पांच मिनिट में एक बलात्कार की घटना घटित हुई है। ये आंकड़े देश की सभी हाईकोर्ट के है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट को सौंपे है। उन्ही मामलों में से 11981 केस की अभी जांच ही चल रही है। वहीं पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार 4871 मामले कोर्ट में लंबित है 6449 मामले में ट्रायल शुरू हो गया है और सिर्फ 911 मामले में फैसला आया है। ये आंकड़े बता रहे है कि हमारी तथाकथित सभ्य समाज की तरह ही हमारा लोकतांत्रिक सिस्टम भी एक ढकोसला बन कर रह गया है। ऐसे में कैसे कल्पना की जा सकती है कि, देश राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक प्रगति कर लेगा? जब हमारे देश में हमारी ही बच्चियां सुरक्षित नहीं है?

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए रजिस्ट्री से बच्चियों के दुष्कर्म की जिलेवार रिपोर्ट मांगी है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या सरकार अपना दायित्व और अपनी जबाबदेही भूल गई है? जो बार-बार हर एक मामले में सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना पड़ता है? उत्तरप्रदेश बच्चियों के साथ शोषण के मामले में 3457 आंकड़ो के साथ अब्बल नंबर पर है। दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश है जहां पर 2389 रेप के मामले सामने आए है। जबकि साल 2015-16 में एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल भर में पॉक्सो एक्ट के कुल 36 हजार मामले दर्ज किए गए थे। लेकिन जिस तेजी पिछले कुछ सालों में बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में बढ़ोतरी हुई है। वह समाज औऱ सरकार के खोखले पन को दर्शाता है।

स्वतंत्र लेखक :- मनीष अहिरवार
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खण्डवा (मध्यप्रदेश)
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