मजदूर-किसान विरोधी है बजट, इससे देश कमजोर होगा
सोनभद्र : केंद्र की मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा संसद में पेश किया गया बजट देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों द्वारा चुनाव में भाजपा को भरपूर मदद देने के एवज में दिया रिर्टन गिफ्ट है। वित्त मंत्री भले ही कहे कि यह ‘मजबूत देश- मजबूत नागरिक‘ का बजट है सच यह है कि इस बजट से भीषण मंदी के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कोई मदद नहीं मिलेगी और इससे आम नागरिक, मजदूर, किसान, महिलाओं, नौजवानों की हालत और भी बदतर होगी।
बजट पर यह प्रतिक्रिया स्वराज इंडिया की राज्य कार्यसमिति के सदस्य और वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपनी विज्ञप्ति में दी। उन्होंने कहा कि पूरा बजट सिर्फ और सिर्फ कारपोरेट घरानों के मुनाफे के लिए ही बनाया गया है। कारपोरेट पर टैक्स लगाने की बात भी झूठ है सच्चाई यह है कि देश के बड़े कारपोरेट घरानों पर लग रहे एक मात्र कारपोरेट टैक्स के दायरे को उसकी सीमा 250 करोड़ से बढ़ाकर 400 करोड़ कर देने से घटा दिया गया है।
देश में सर्वाधिक मुनाफा कमाने वाले और देश की सम्पत्ति का पचास प्रतिशत जिन बड़े कारपोरेट घरानों के पास है उन पर तो उत्तराधिकार कर और सम्पत्ति कर लगाने की न्यूनतम मांग को भी पूरा नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि यह बजट मजदूरों व कर्मचारियों पर कहर बनके आया है। देश की महत्वपूर्ण सम्पत्ति सार्वजनिक क्षेत्र के रेलवे में निजीकरण और ऊर्जा, एयर इंडिया, तेल, कोयला, इस्पात जैसे क्षेत्रों में विनिवेशीकरण इसे बर्बाद करने का काम करेगा। बीमा और मीडिया में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी है। ‘मीनिम्म गर्वमेंट-मैक्सिम्म गर्वनेंस‘ जैसी घोषणाएं सरकारी विभागों को बड़ी संख्या में खत्म करेगी और सरकारी नौकरियों को घटायेगी। आजादी से पहले संघर्षो से हासिल मजदूरों के अधिकारों पर हमला करते हुए 44 श्रम कानूनों को खत्म कर चार श्रम संहिता बनाने का प्रस्ताव कारपोरेट को मजदूरों के शोषण की खुली छूट देेना है।
भीषण संकट और सूखे की हालत में गुजर रही खेती किसानी के सम्बंध में किसी योजना का उल्लेख तक करना सरकार ने बजट में जरूरी नहीं समझा। ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के लिए बनी मनरेगा में एक हजार करोड़ का बजट घटा दिया गया। बजट के जरिए देश के इतिहास, संस्कृति और सभ्यता को बदलने के आरएसएस के सपने को नई शिक्षा नीति के जरिए आकार दिया गया है।
ज्ञान विरोधी, विज्ञान विरोधी आरएसएस की मोदी सरकार में पहली बार देश में किताबों पर कस्टम डूयूटी लगाई गई है। पेट्रोल और डीजल पर लगी एक्साइज ड्यूटी के कारण महंगाई और बढ़ेगी। एक करोड़ कैश निकालने पर दो लाख रूपए टैक्स देने जैसे निर्णयों से छोटे-मझोले व्यापारियों पर बोझ बढ़ेगा। व्यापारियों के लिए भी शुरू की गयी प्रधानमंत्री कर्मयोगी मानधन पेंशन योजना पेंशन धारकों के साथ धोखाधड़ी के सिवा और
कुछ नहीं है।
दिनकर कपूरप्रदेश अध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट
सोनभद्र : केंद्र की मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा संसद में पेश किया गया बजट देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों द्वारा चुनाव में भाजपा को भरपूर मदद देने के एवज में दिया रिर्टन गिफ्ट है। वित्त मंत्री भले ही कहे कि यह ‘मजबूत देश- मजबूत नागरिक‘ का बजट है सच यह है कि इस बजट से भीषण मंदी के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कोई मदद नहीं मिलेगी और इससे आम नागरिक, मजदूर, किसान, महिलाओं, नौजवानों की हालत और भी बदतर होगी।
बजट पर यह प्रतिक्रिया स्वराज इंडिया की राज्य कार्यसमिति के सदस्य और वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपनी विज्ञप्ति में दी। उन्होंने कहा कि पूरा बजट सिर्फ और सिर्फ कारपोरेट घरानों के मुनाफे के लिए ही बनाया गया है। कारपोरेट पर टैक्स लगाने की बात भी झूठ है सच्चाई यह है कि देश के बड़े कारपोरेट घरानों पर लग रहे एक मात्र कारपोरेट टैक्स के दायरे को उसकी सीमा 250 करोड़ से बढ़ाकर 400 करोड़ कर देने से घटा दिया गया है।
देश में सर्वाधिक मुनाफा कमाने वाले और देश की सम्पत्ति का पचास प्रतिशत जिन बड़े कारपोरेट घरानों के पास है उन पर तो उत्तराधिकार कर और सम्पत्ति कर लगाने की न्यूनतम मांग को भी पूरा नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि यह बजट मजदूरों व कर्मचारियों पर कहर बनके आया है। देश की महत्वपूर्ण सम्पत्ति सार्वजनिक क्षेत्र के रेलवे में निजीकरण और ऊर्जा, एयर इंडिया, तेल, कोयला, इस्पात जैसे क्षेत्रों में विनिवेशीकरण इसे बर्बाद करने का काम करेगा। बीमा और मीडिया में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी है। ‘मीनिम्म गर्वमेंट-मैक्सिम्म गर्वनेंस‘ जैसी घोषणाएं सरकारी विभागों को बड़ी संख्या में खत्म करेगी और सरकारी नौकरियों को घटायेगी। आजादी से पहले संघर्षो से हासिल मजदूरों के अधिकारों पर हमला करते हुए 44 श्रम कानूनों को खत्म कर चार श्रम संहिता बनाने का प्रस्ताव कारपोरेट को मजदूरों के शोषण की खुली छूट देेना है।
भीषण संकट और सूखे की हालत में गुजर रही खेती किसानी के सम्बंध में किसी योजना का उल्लेख तक करना सरकार ने बजट में जरूरी नहीं समझा। ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के लिए बनी मनरेगा में एक हजार करोड़ का बजट घटा दिया गया। बजट के जरिए देश के इतिहास, संस्कृति और सभ्यता को बदलने के आरएसएस के सपने को नई शिक्षा नीति के जरिए आकार दिया गया है।
ज्ञान विरोधी, विज्ञान विरोधी आरएसएस की मोदी सरकार में पहली बार देश में किताबों पर कस्टम डूयूटी लगाई गई है। पेट्रोल और डीजल पर लगी एक्साइज ड्यूटी के कारण महंगाई और बढ़ेगी। एक करोड़ कैश निकालने पर दो लाख रूपए टैक्स देने जैसे निर्णयों से छोटे-मझोले व्यापारियों पर बोझ बढ़ेगा। व्यापारियों के लिए भी शुरू की गयी प्रधानमंत्री कर्मयोगी मानधन पेंशन योजना पेंशन धारकों के साथ धोखाधड़ी के सिवा और
कुछ नहीं है।
दिनकर कपूरप्रदेश अध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट
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