Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

12.7.21

पत्रकारों की खंड स्तर के साथ साथ जिला व राज्य स्तर की एक्रीडेशन भी रदद् करे सरकार

 Bijender Sharma-

शिमला : सुना है हिमाचल प्रदेश ने पत्रकारों से सुविधाओं कम करने की योजना तैयार की है और इस कड़ी में राज्य के खंड स्तर के पत्रकारों पर सबसे पहले गाज गिरी है, जिनसे सरकार द्वारा खंड स्तर पर दी जाने वाली एक्रीडेशन (मान्यता) को रद्द किया जा रहा है। जैसे जैसे इसकी जानकारी पत्रकारों व उनके संगठनों को मिली है, वैसे ही उनमें कोहराम  मच गया है, सरकार पर दबाव बनाने की कोशिशें शुरू हो गयी हैं।

मेरा मानना है कि सरकार को खंड स्तर पर ही क्यों जिला व राज्य स्तर पर सभी पत्रकारों को दी जाने वाली मान्यता को रद्द करना चाहिए। आखिर पत्रकार छोटे स्तर पर हो या बड़े पत्रकार तो पत्रकार है। न तो पत्रकार सरकार द्वारा तैनात किए जाते है और न ही सरकार के लिए कोई अलग से काम करते है, ऐसे में पत्रकारों व उनके संगठनों को चाहिए कि  सुविधाओं के लिए सरकार की बजाए अपने संस्थानों पर दबाव बनाए। पर खेद है कि मजाल है कोई पत्रकार अपने संस्थान से सुविधाओं की मांग कर दे।

आज के दौर में पत्रकारिता के क्षेत्र में चकाचौंध में कुछ पत्रकार ऐसे पागल हो गए हैं कि वीआईपी बनने के चक्कर मे मुफ्त में संस्थानों को सेवाएं देते हैं। जिसका फायदा सीधे सीधे मीडिया हाउस उठा रहे हैं, उन्हें न केवल मुफ्त में खबरें मिल रही हैं साथ ही बिजनेस अलग से मिलता है।

अब यहां एक सवाल उठता है कि जब मीडिया हाउस ऐसे पत्रकारों को कोई मासिक वेतन भत्ते नहीं देते तो उनका परिवार का गुजारा कैसे चलता है। जिसका जवाब हर कोई जानता है, लेकिन सब चुप हैं।

आज के दौर में चौथा स्तम्भ करप्शन से अछूता नहीं रह गया है। नेताओं की मिलीभगत, सरकार की ऐसी योजनाए और मीडिया संस्थानों के पैसे कमाने के तरीकों  ने चौथे स्तम्भ को अंदर ही इतना खोखला कर दिया है कि अब यह जग जाहिर हो गया है। जो विश्वास पत्रकारिता पर आज से 2-3 दशक पहले था वह अब बिल्कुल गायब होता जा रहा है।

अब बात करें सरकारों के द्वारा पत्रकारों को दी जाने वाली सुविधाओं की तो इसके पीछे एक तर्क है कि जब आप किसी से सुविधाएं लेते हो तो उसके खिलाफ स्वतन्त्र रूप से अपनी कलम कैसे चलाओगे। यह किसी से छुपा नहीं कि सरकारों द्वारा मीडिया हाउसों को खुश करने के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपए के विज्ञापन बेवजह बांट दिए जाते है। ऐसे में क्या जिन पत्रकारों को आप चौथे स्तम्भ होने के चलते विपक्ष की भूमिका में देखते हों क्या वो आपकी उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे।

मेरे हिसाब से पत्रकारिता क्षेत्र को बिल्कुल स्वतन्त्र होना चाहिए। सरकारों द्वारा उन्हें कोई मान्यता या सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए ये सुविधाएं उनके संस्थानों द्वारा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। पत्रकारों को सरकार की बजाए अपने संस्थानों पर सुविधाओं के लिए जोर डालने की जरूरत है। वर्तमान समय मे मीडिया हाउस करोड़ों अरबों की कमाई कर केवल अपनी जेबें भरने का काम कर रहे हैं और जब पत्रकारों को सुविधाएं देने की बात आती है तो सरकारों के भरोसे छोड़ देते है। मेरे हिसाब से इस क्षेत्र में आज के समय में बहुत अधिक सुधार की जरूरत है। मुझे उम्मीद हैं कि आने वाले समय में यहां बड़ा सुधार होगा।

No comments: