लखनऊ 01 अप्रैल ,
राज्य
कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने आज प्रदेश के
मुख्यमंत्री के आधिकारिक ईमेल पोर्टल पर एक पत्र लिखकर प्रदेश में विभिन्न
सेवा प्रदाता एजेंसियों के माध्यम से कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों के
सेवा संरक्षण एवं वेतन संरक्षण का मुद्दा सुलझाने के लिए प्रस्ताव भेजा
है। जे एन तिवारी ने एक प्रेस विज्ञप्ति अवगत कराया है कि आउटसोर्स
कर्मचारियों का मुद्दा पुरानी पेंशन की बहाली से भी बड़ा मुद्दा है पुरानी
पेंशन का मुद्दा जहां केंद्र सरकार का मुद्दा है वही प्रदेश में लाखों की
संख्या में कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन संरक्षण एवं सेवा
संरक्षण का मुद्दा उत्तर प्रदेश सरकार को ही सुलझाना है।
जे
एन तिवारी ने आज लखनऊ में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के वरिष्ठ सदस्यों
से ऑनलाइन वार्ता करने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने सुझाव से
अवगत कराया है। उन्होंने कहा है कि आउटसोर्सिंग प्रक्रिया वह प्रक्रिया है
जिसमें एक कंपनी अपने किसी आंतरिक कार्य के लिए दूसरी कंपनी के साथ समझौता
करके उससे वह काम करवाती है।
उत्तर प्रदेश में
आउटसोर्स पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लाखों में है। भारत सरकार
द्वारा विकसित जेम पोर्टल को उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपनाया है। जेम
पोर्टल के माध्यम से कर्मचारियों को आउटसोर्स किया जा रहा है। जैसा कि
आउटसोर्सिंग प्रक्रिया की उपरोक्त परिभाषा से ही स्पष्ट है कि एक कंपनी
अपने किसी आंतरिक कार्य के लिए दूसरी कंपनी के साथ समझौता करके काम करवाती
है।
जे एन तिवारी ने यह प्रश्न खड़ा किया है कि क्या
उत्तर प्रदेश सरकार एक कंपनी के रूप में कार्य कर रही है? जो बाहरी सेवा
प्रदाता कंपनियों के साथ समझौता करके सरकारी कार्यों का संचालन करा रही है?
आउट सोर्स पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का कोई भविष्य नहीं है। 2019
में काफी प्रयास करके राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के माध्यम से आउटसोर्स
कर्मचारियों के लिए एक नियमावली बनाए जाने का आदेश कराया गया था। उस समय
कार्मिक विभाग ने आदेश जारी करते हुए सूक्ष्म ,लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग
को 40 दिनों के अंदर आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नियमावली बनाने के लिए
कहा था लेकिन आज 4 साल बाद भी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कोई नियमावली
नहीं बन सकी है। आउटसोर्स कर्मचारी न तो सरकार के कर्मचारी है और नाही
किसी सेवा प्रदाता के कर्मचारी हैं, वह केवल एक कंपनी के द्वारा दूसरी
कंपनी के लिए कार्य करने के लिए आउट सोर्स किए जाते हैं। कर्मचारियों को
हायर करने वाली कंपनी और उनको कार्य पर भेजने वाली कंपनी आउट सोर्स
कर्मचारियों को इंसान नहीं समझती है। आउटसोर्स कर्मी किराए पर लिए जाने
वाली कोई वस्तु नहीं है। किराए पर कोई ऐसी चीज ली जाती है जिसके अंदर
जीवात्मा नहीं होती है। आउटसोर्स पर जिन व्यक्तियों को हायर किया जा रहा
है वह कोई रोबोट नहीं है, वह जीते जागते इंसान है और इंसान की जरूरतें भी
उनके साथ लगी हुई है।
जे एन तिवारी ने आगे कहा है
कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, समय-समय पर मुख्यमंत्री जी एवं मुख्य
सचिव जी को आउटसोर्स कर्मचारियों की पीड़ा से अवगत कराती रही है। जे एन
तिवारी ने आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए न्यूनतम सुविधाएं देने की मांग
किया है। उन्होंने आउट सोर्स कर्मचारियों के मजदूरी का भुगतान, उस सरकारी
विभाग के द्वारा किए जाने की मांग किया है जिस विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी
अपनी सेवा दे रहा है ,सेवा प्रदाता कंपनी का एक प्लेसमेंट एजेंसी के रूप
में कार्य करें, जिसके माध्यम से किसी भी विभाग में सेवा के योग्य
निर्धारित अर्हता एवं तकनीकी प्रशिक्षण के उम्मीदवार संदर्भित किए जा सके।
चयन की प्रक्रिया सम्बन्धित विभाग निर्धारित करें। आउटसोर्स कर्मचारियों
के लिए सेवा संरक्षण का प्रावधान करने, उनका न्यूनतम मजदूरी तय करके उसका
भुगतान सुनिश्चित किए जाने, निशुल्क चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था किए
जाने,1 साल में 30 दिन का अवकाश एवं 30 दिन की चिकित्सीय सुविधा का
प्रावधान किया जाने,आउटसोर्स पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का प्रति वर्ष
नवीनीकरण न करके 60 वर्ष तक सेवा में बनाए रखा जाने, 5 वर्ष तक आउटसोर्स
पर कार्य कर चुके कर्मचारियों को संविदा के आधार पर उच्चीकृत किए जाने,
तथा जिस पद पर वह सेवा कर रहे हैं उस पद पर अनुमन्य वेतन बैंड का मूल वेतन
एवं न्यूनतम ग्रेड वेतन महंगाई भत्ते के साथ दिए जाने,संविदा पर 5 वर्ष
संतोषजनक सेवा पूर्ण कर लेने अर्थात कुल 10 वर्ष की सेवा पूरी कर लेने
वाले आउटसोर्स कर्मचारियों को विभाग में रिक्त नियमित पदों पर समायोजित
किए जाने के लिए सुसंगत नियमावली बनाए जाने का प्रस्ताव संयुक्त परिषद ने
दिया है।
जे एन तिवारी ने आशा व्यक्त किया है कि
मुख्यमंत्री जी की दूर दृष्टि आउटसोर्स कर्मचारियों पर भी पड़ेगी तथा इनकी
समस्याओं का हल भी जरूर निकलेगा। जे एन तिवारी ने प्रदेश के आउटसोर्स
कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के माध्यम
से वह उनके मुद्दे ,लगातार उच्च स्तर पर उठा रहे हैं तथा बातचीत भी कर
रहे हैं। उन्होंने आशा व्यक्त किया है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इस
मुद्दे का समाधान भी आ जाएगा। उन्होंने आउटसोर्स कर्मचारियों से बिना किसी
के बहकावे में आए हुए निष्ठा और ईमानदारी से अपनी ड्यूटी संपादित करने की
अपील भी किया है।
ऑनलाइन वार्ता में संयुक्त परिषद
अध्यक्ष जे एन तिवारी के अलावा नारायण जी दुबे, ओम प्रकाश पांडे, शेष
नारायण मिश्र, श्रीमती अरुणा शुक्ला, राजेश कुमार श्रीवास्तव, निरंजन कुमार
श्रीवास्तव, शिवाकांत द्विवेदी, टी एन चौरसिया, आदित्य नारायण झा, प्रकाश
गौड़ शहंशाह अली प्रभाकर शास्त्री, अमित कुमार वर्मा सरोज नाथ पांडे ,रमेश
चंद्र खरे , आर पी जौहरी, सुनील सिंह, वीरेंद्र वीर यादव, सुभाष अस्थाना
सहित 2 दर्जन से अधिक वरिष्ठ सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए।
जे एन तिवारी
अध्यक्ष
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश
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