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17.1.08

पत्रकार ने माँगी राष्ट्रपति से मौत !


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक पत्रकार ने सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग के आला अफसरों से त्रस्त होकर राष्ट्रपति से आगामी 26 जनवरी, 2008 तक परिवार सहित इच्छामृत्यु की अनुमति माँगी है, ताकि गणतंत्र दिवस के पवित्र दिन वह सुकून के साथ सपरिवार अपनी जान दे सके। मनोरमा कंपाउंड, सिंधुनगर (लखनऊ) निवासी पत्रकार शीलेश त्रिपाठी ने महामहिम राष्ट्रपति को गत 28 दिसंबर को पत्र लिखकर बताया है कि उसने वर्ष 2003 में राज्य के नागरिक उड्डयन विभाग में कथित देशद्रोह और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ पत्रिका 'प्रेडीकेट मीडिया' में अभिलेखीय साक्ष्य सहित समाचार प्रकाशित किया था, जिसके बाद विभाग के आला अधिकारियों ने संगठित होकर अपने प्रभाव व धन-बल के बल पर शासन, प्रशासन एवं अन्य अधिकारियों से साँठगाँठ कर पत्रकार एवं उसके परिवार के लोगों का उत्पीड़न शुरू कर दिया। उल्लेखनीय है कि राजकीय उड्डयन विभाग का यह अधिकारी अब सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान है।

त्रिपाठी ने अपने पत्र में लिखा है कि सरकार के उच्चाधिकारियों ने पुलिस एवं माफियाओं से भी उसे परेशान कराना शुरू किया और गलत तरीके से उसके ऊपर कानपुर जिले में मुकदमे दर्ज कराकर एकपक्षीय कार्रवाई कराते हुए मानवाधिकारों का हनन कर पुलिस के माध्यम से वह लोग प्रताड़ित करा रहे हैं। इन्हीं अधिकारियों के इशारे पर पिछले दिनों उसे पकड़वाकर जेल भिजवाया गया। अब इस पत्रकार का कहना है कि अब उसको सपरिवार जान से खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।

राष्ट्रपति को भेजे पत्र में त्रिपाठी ने लिखा है कि वह न्याय पाने की आशा में लखनऊ, कानपुर की जिला अदालतों एवं उच्च न्यायालय की इलाहाबाद एवं लखनऊ खंडपीठ में भी गया किन्तु उसे न्याय नहीं मिला।

त्रिपाठी का कहना है कि जबसे उसने राज्य के नागरिक उड्डयन विभाग से संबंधित समाचार छापा एवं विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की जाँच हेतु सीबीआई को प्रमाण सहित अभिलेख प्रेषित किए तभी से उसके एवं परिवार के लोगों का लगातार पुलिस, माफियाओं, शासन, प्रशासन के अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न कराया जा रहा है। शीलेश ने आशंका व्यक्त की है कि यह लोग किसी भी क्षण किसी घटना या दुर्घटना की आड़ लेकर उसे एवं उसके परिवार के लोगों की हत्या अवश्य करा देंगे।

शीलेश ने पत्र में लिखा है कि वह एवं उसका परिवार तड़प-तड़पकर मरना नही चाहता। उसने न्यायहित में राष्ट्रपति से अपील की है कि वह दया करते हुए उसे एवं उसके परिवार के लोगों को ससम्मान सुकून से प्राण त्यागने हेतु इच्छामृत्यु की अनुमति प्रदान करने की कृपा करें।

त्रिपाठी ने लिखा है कि वह एक देशभक्त तथा भारतीय लोकतांत्रिक गणराज्य के संविधान एवं न्यायपालिका में पूर्ण आस्था और श्रद्धा रखने वाला नागरिक एवं पत्रकार है। उसके परिवार के लोग आत्महत्या करने का विधिविरुद्ध आपराधिक कृत्य नहीं करना चाहते, इसलिए उसे एवं उसके परिवार के लोगों को 26 जनवरी तक दया करते हुए विधिसम्मत तरीके से इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाए।शीलेश त्रिपाठी ने यह भी लिखा कि वह और उसके परिवार के लोग 26 जनवरी के पवित्र दिवस को सुकून के साथ सपरिवार प्राणोत्सर्ग को तैयार हैं।
( लखनऊ से अरविन्द शुक्ला, गुरूवार, 17 जनवरी 2008. वेबदुनिया ने इस खबर को छापी है। )

2 comments:

बाल भवन जबलपुर said...

http://billoresblog.blogspot.com/2007/09/billores-blog_26.html

बाल भवन जबलपुर said...

माननीय श्री प्रहलाद पटेल सदस्य जिला पंचायत द्वारा मुझे अपमानित किया

आज दिनांक 24/09/2007 को ज़िला स्तरीय आपत्ति समिति की बैठक में ग्राम बह्म्नी में आंगन वाडी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति को लेकर मान नीय श्री प्रहलाद पटेल जी, ने मुझे बैठक कक्ष निरर्थक संबोधन करते रहे अपितु प्रस्थान के समय उन्हों ने मुझे मेरी स्व0 माँ के प्रति अश्लील गालियाँ देते हुए मुझे सरे आम बुलाकर अपमानित किया जिसके साक्ष्य श्री मनीष शर्मा, श्रीमति किरण पांडेय, कु. माया मिश्रा तथा श्री रोहित दीवान है.
श्री प्रहलाद पटेल जी द्वारा श्रीमती अमृता पटेल की नियुक्ति एन केन प्रकारेण करने की की धमकी भरी सलाह
दी गयी है. आवेदिका विवाहित हैं, तथा उन्हौंने अपने पिता के स्थानीय निवास संबंधी दस्तावेज़ आवेदन के साथ प्रस्तुत किए
थे, जो नियामानुसार आवेदिका के लिए निर्ह्नरता का कारण हैं. शिकायत कर्ता ग्राम वासियों द्वारा प्रेषित शिकायत में उक्त आवेदिका श्रीमती अमृता पटेल के संबंध में लेख
किया है कि वे माननीय जनप्रतिनिधि महोदय के सगे भाई की पुत्री हैं जिनका विवाह निवास तहसील में हों चुका है...
उक्त जन प्रतिनिधि महोदय लंबे समय से मुझे अपमानित करने एवम धमकाने का कार्य कर रहे हैं !