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31.12.12

राम सिंह राम नहीं रावण है-ब्रज की दुनिया

मित्रों,जबसे मैंने पढ़ा है कि 16 दिसंबर की जघन्य घटना के मुख्य आरोपी का नाम राम सिंह है तबसे मेरी रातों की नींद गायब हो गई है। कोई कैसे मेरे राम का नाम बदनाम कर सकता है? इस कलयुगी राम ने जिस तरह से सामूहिक बलात्कार किया वैसा तो पशु भी नहीं करते हैं। इस कलयुगी राम ने जिस तरह डीएनए संबंधी सबूत मिटाने के लिए दामिनी की अस्मत को लूटने के बाद जिस तरह से उसकी अंतड़ियों को पेट फाड़कर अपने हाथों से बाहर निकाल दिया वैसे तो कदाचित् कसाई भी बकरों की नहीं निकालता। फिर किसने रख दिया इस पापी का नाम मेरे राम के नाम पर? इतनी क्रूरता तो त्रेता के राक्षसराज रावण ने भी सीता के साथ नहीं की थी फिर कोई रामनामधारी मानव ऐसा कैसे कर सकता है? अभी कुछ साल पहले नोएडा के निठारी में एक कोली रहता था जो छोटे-छोटे बच्चों को मारकर उनको पकाकर खा जाता था। क्या उसे हमें मानव कहकर पुकारना चाहिए? क्यों मरती जा रही हैं हमारी संवेदनाएँ? और अब मुझे इस राम का दर्शन/श्रवण करना पड़ रहा है! क्यों हमारे भारत के औसत मानव में मानवता नहीं रह गई है और मौका मिलते ही वो हैवान बन जा रहा है? अब इस राम सिंह को ही लें जो आर्थिक रूप से नितांत गरीब की श्रेणी में आता है। क्या यह राम सिंह इन्सान कहलाने के लायक है,क्या प्राचीन काल में राक्षस अन्य इन्सानों से अलग होते थे? या फिर वे भी शक्लोसूरत से मानव ही थे लेकिन वह उनके बुरे कर्म थे जो उनको राक्षस बनाते थे।
             मित्रों,कहाँ मेरे राम मर्यादापुरूषोत्तम और कहाँ यह राम सिंह? यह मेरे राम का अपमान है,घोर अपमान और मैं इसे कदापि सहन नहीं कर सकता। इस नीच का जिसने भी नामकरण किया था उसने मेरे राम को अपमानित करने की धृष्टता का अक्ष्म्य अपराध किया है। क्या मेरे राम ने कभी किसी पर-स्त्री की तरफ बुरी नजरों से निमिष मात्र के लिए देखा था? बल्कि मेरे राम ने तो बलात्कार-पीड़िता अहिल्या को जो लोक-लाज के मारे पत्थर सी,निर्जीव-सी हो गई थी समाज में पुनर्प्रवेश दिलाया था और ऐसा करके भारतीय समाज को संदेश दिया था कि नफरत बलात्कारी से करो न कि उससे जिसने इस अमानुषिक अत्याचार को भोगा है। मेरे राम ने तो अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए जान की बाजी लगा दी थी और सीता-मुक्ति के माध्यम से समाज में फिर से स्थापित किया था स्त्रियों की गरिमा और अस्मिता को। उन्होंने तो कभी दूसरा विवाह नहीं करने की भीष्म-प्रतिज्ञा की थी और फिर उसे मन,वचन और कर्म से निभाया भी था। और आज उसी राम के नाम को धारण करने लगे हैं राम सिंह जैसे नरपिशाच ड्रैकुला! नाम से राम और काम से रावण! नहीं मैं नहीं होने दूंगा ऐसा। मेरे राम का नाम तो पवित्र है दुनिया के सारे नामों से भी ज्यादा फिर कैसे कोई इसको बदनाम करने की मूढ़ता कर सकता है? नहीं हरगिज नहीं होने दूंगा मैं ऐसा! बेहतर हो कि आगे से कोई हिन्दू अपने बच्चे का नाम राम रखे ही नहीं और अगर रखे भी तो हर क्षण इस बात का खयाल रखे कहीं उसका रामनामधारी बच्चा कुमार्ग पर तो नहीं जा रहा है। अगर उसे कभी ऐसा खतरा महसूस हो तो उसको तत्क्षण उसका नाम बदल देना चाहिए। वह स्वतंत्र है इसके लिए कि अपने बच्चे का नाम कुछ भी रख ले बस सिर्फ राम या उनका पर्यायवाची न रखे क्योंकि इससे मेरे,आपके और सबके राम का नाम बदनाम होता है।

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