गरीबी खत्म हो चुकी है!!
महँगाई को,
सरकारी आंकड़े,
कच्चा ही खा रहे हैं,
दिन -प्रतिदिन,
सिकुड़ते गरीब को,
धनवान बना रहे हैं!
जबसे-
गरीबी हटाओ का,
नारा दिया है,
तब से-
बत्तीस के धनवान!
नित्य- निरंतर,
देश में पनप रहे हैं!!
महँगाई को कोसना,
देश के अमीरों की,
आदत बन चुकी है;
फाईल कहती है,
चार रुपल्ली में,
दौ जून की रोटी,
आराम से मिल रही है!
चीखना चिल्लाना,
बिलखना और रोना,
इस देश की जनता की,
आदत बन चुकी है!
आंकड़ों के मुताबिक,
इस देश से गरीबी,
कब की ख़त्म हो चुकी है!!!
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