Bhopal disaster 1984: क्या है भोपाल गैस कांड
02 दिसंबर, 1984 को घटित भोपाल गैस त्रासदी भारत के इतिहास में वह काला अध्याय है जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सकेगा. भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में 2 दिसंबर को आधी रात में मिथाइल आइसोनेट (एमआईसी) के रिसाव के कारण हजारों की तादाद में लोगों की मृत्यु हो गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर तीन हज़ार लोग मारे गए थे. लेकिन हमेशा की तरह यह सिर्फ सरकारी आंकड़ा था और मरने वाली की संख्या और भी ज्यादा थी.
लेकिन इस बेहद घिनौने कांड को अंजाम देने वालों के साथ हमारी सरकार ने क्या किया? हमारी सरकार ने यूनियन कार्बाइड के प्रमुख वारेन एंडरसन को उस समय देश से निकलने में पूरी मदद की जिसकी वजह से हजारों जानें गई. जानकार मानते हैं कि मध्य प्रदेश पुलिस की कैद से यूनियन कार्बाइड के प्रमुख वारेन एंडरसन को ‘दिल्ली’ के दबाव से 8 दिसंबर, 1984 को रिहा किया गया. और यह दिल्ली का दबाव .... क्या था दिल्ली का दबाव (
क्या भोपाल कांड के दोषियों के मददगार थे राजीव गांधी ?
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