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26.12.12

एक कुली ईमानदार है लेकिन प्रधानमंत्री नहीं !


ये उस देश की कहानी है...जो बताती है कि उस देश में रेलवे स्टेशन में यात्रियों का सामान उठाकर दो वक्त की रोजी का जुगाड़ करने वाला एक कुली तो ईमानदार है लेकिन देश का प्रधानमंत्री ईमानदार नहीं है..! सुनने में ये अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन ये सौ फीसदी सच है और दुर्भाग्य से ये कहानी हमारे हिंदुस्तान की है। इस बात को कहने के पीछे एक बड़ा वाक्या है जो मेरे साथ घटित हुआ। बात ज्यादा पुरानी नहीं है- दिल्ली के पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से मुझे काठगोदाम के लिए रवाना होना था। आमतौर पर स्टेशन पर मैं कुली की सेवाएं नहीं लेता हूं...लेकिन भाई की शादी के लिए घर लौट रहा था...ऐसे में मेरे पास कुछ ज्यादा ही सामान था। ऐसे में मैंने एक कुली को आवाज दी। कुली मेरा सामान लेकर आगे आगे चल रहा था। कुछ ही आगे बढ़ा था कि मुझे प्लेटफार्म पर इत्तेफाक से मेरा एक मित्र टकरा गया...मैंने कुछ देर रुककर उससे बातचीत करने लगा। लेकिन इस बीच कुली जो मेरा सामान लेकर आगे आगे चल रहा था उसे शायद मेरे रुकने का आभास नहीं हुआ और वह आगे निकल गया। करीब 5 मिनट के बाद मुझे ध्यान आया कि कुली के पास मेरा सामान है। मैंने चारों तरफ देखा मुझे कुली नहीं दिखाई दिया। मुझे लगा कि मेरी लापरवाही का फायदा कुली ने उठा लिया और वो मेरा सामान लेकर चंपत हो गया। मैंने कुली का बिल्ला नंबर भी नहीं देखा था...ऐसे में कुली को ढूंढ़ना मुझे मुश्किल लगने लगा। करीब 15 मनट हो गए लेकिन काफी तलाश करने के बाद भी मुझे कुली नहीं मिला। ट्रेन छूटने में अभी वक्त था ऐसे में मैं कुली को तलाश करते-करते जीआरपी थाने में कुली की शिकायत दर्ज कराने पहुंचा। वहां का नजारा न सिर्फ हैरान करने वाला था बल्कि मेरी चेहरे की सारी शिकन वहां पहुंचकर गायब हो गई। थाने के बाहर वो कुली मेरे सामान के साथ पहले ही मौजूद था। मुझे वहां देखते ही वो मुझ से बोला- साहब मैं सामान लेकर ट्रेन के पास पहुंच गया था...लेकिन पीछे देखा तो आप दिखाई नहीं दिए। फिर मैंने कुछ देर तक तलाशा और फिर में ये सोचकर यहां पर सामान लेकर आ गया कि आप यहां जरूर आएंगे। जिस कुली के लिए मैं पलभर पहले ही पता नहीं क्या क्या सोच रहा था। मन ही मन उस कुली के साथ सभी कुलियों को गालियां दे रहा था...उस कुली को अपने सामान के साथ सामने देखकर कुली के लिए मेरा नजरिया बदल गया। खैर कुली फिर मेरे साथ चल दिया और उसने मेरा सामान ट्रेन में रखा। मैंने कुली को शुक्रिया बोलते हुए उसे तय रूपए के अलावा कुछ पैसे अलग से देने चाहे लेकिन कुली ने तय पैसे से अधिक पैसे मेरे कई बार आग्रह करने के बाद भी नहीं लिए। मैंने एक बार फिर से कुली का शुक्रिया बोला और वो कुली अपने रास्ते चल दिया और कुछ ही मिनटों में ट्रेन भी चल दी। ये सिर्फ एक घटना थी जो हो सकता है कई और लोगों के साथ भी घटित हुई हो लेकिन ये एक घटना अपने आप में कई बातें कह गई। कुली चाहता तो वो सामान लेकर चंपत भी हो सकता था...हालांकि उसमें बहुत कीमती सामान कुछ नहीं था...लेकिन कुली को तो ये बात नहीं पता था कि सामान क्या है..? लेकिन कुली ने ऐसा कुछ नहीं किया। हमारे देश में जहां आज चारों तरफ सिर्फ भ्रष्टाचार की ही गूंज है और पैसे के लिए व्यक्ति कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। भाई – भाई का दुश्मन है...बेटा-बाप का दुश्मन है। ऐसे में एक कुली जो दूसरों का बोझा ढो कर अपना और अपने परिवार का पेट पालता है उसकी ये ईमानदारी ऐसे लोगों के मुंह में एक करारा तमाचा है। मैं ये इसलिए भी कह रहा हैं क्योंकि जिस देश का प्रधानमंत्री ईमानदार न हो तो प्रधानमंत्री के सहयोगी मंत्रियों के साथ ही सरकार में शामिल दूसरे लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है। सरकार के मुखिया और सरकार में शामिल तमाम लोगों पर भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप इस बात को सही भी साबित करते हैं कि भारत का प्रधानमंत्री ईमानदार नहीं है लेकिन स्टेशन में सामान उठाने वाला कुली ईमानदार है। एक तरफ ये कुली और उसके जैसे तमाम लोग हैं...जिनका ईमान अभावों में जीवन बसर करने के बाद भी पैसों के आगे कभी नहीं डोलता और दूसरी तरफ हैं हमारे देश के नेता जो सरकारी दामाद की तरह सारी सुख सुविधाओं का उपभोग तो करते ही हैं साथ ही जनता के खून पसीने की कमाई को घोटालों और भ्रष्टाचार के रूप में उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। सलाम है ऐसे कुली की तरह ईमानदारी की मिसाल पेश करने वाले उन सभी लोगों को।  

deepaktiwari555@gmail.com

1 comment:

देवदत्त प्रसून said...

इस ज़माने में 'ईमान'की परिभाषा !
किल्विष के राज्य में,''रोशनी' की आशा !!