आत्म संतुष्टि बड़ी
चीज है...हमारे देश में कोई प्रधानमंत्री बने या न बने...लेकिन पीएम इन वेटिंग
बनकर राजनेता संतुष्ट हो जाया करते हैं...अब देखिए 2014 के आम चुनाव में करीब 16
महीने का वक्त है...सत्ता में कौन आएगा इसका पता नहीं ! नेता चुनाव जीत
पाएंगे या नहीं इस पर प्रश्न चिन्ह बरकरार है ??? लेकिन पीएम की कुर्सी
के लिए दावेदारी में कोई कसर बाकी नहीं है। कुछ खुद दावेदारी कर रहे हैं तो कुछ को
आगे किया जा रहा है...भाजपाई गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम को हवा
दे रहे हैं तो कांग्रेस में राहुल गांधी से बड़ा नेता नहीं है (जो कांग्रेसी कहते
हैं)...लेकिन द इकोनॉमिस्ट ने ये कहकर कांग्रेस में हड़कंप मचा दिया है कि पी
चिदंबरम 2014 में पीएम की कुर्सी के लिए राहुल गांधी से बड़े दावेदार हैं। इस
फेरहिस्त में एक और नाम जुड़ गया है मुलायम सिंह यादव का...खास बात ये है कि
मुलायम के नाम को आगे बढ़ाया है दिग्गज कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी ने। अब
कांग्रेस में तिवारी की पूछ हो न हो...लेकिन मुलायम का तिवारी प्रेम खूब हिलोरें
मार रहा है...और तिवारी ने भी अपने समाजवादी प्रेम को ये कहकर जाहिर कर दिया कि वे
पुराने समाजवादी हैं। खैर बात पीएम इन वेटिंग की हो रही है...और तीन – तीन
राजनीतिक दलों के नेता भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्णा आडवाणी की तरह पीएम इन
वेटिंग का खिताब हासिल करने इस ओर बढ़ रहे हैं या कहें कि हासिल कर चुके हैं। सवाल
ये है कि इन तीनों दलों की सरकार बनने की स्थिति में (अगर ये स्थिति आती है) क्या
वे वेटिंग से उनकी पीएम की कुर्सी की लिए सीट कन्फर्म हो पाएगी या फिर कोई दूसरा
नेता इस बाजी को मार ले जाएगा। पहले भाजपा की बात करें तो अगर एनडीए सत्ता में आता
है तो मोदी फिलहाल भाजपा में वेटिंग में सबसे आगे खड़े हैं...और प्रबल दावेदार भी
हैं...लेकिन मोदी के नाम पर एनडीए में एकराय न होना और खासकर एनडीए की अहम सहयोगी
जद यू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी तल्खियां उनकी राह का
रोड़ा बन सकती है...ऐसे में एनडीए का सबसे बड़ा दल होने के नाते किसी और भाजपा
नेता के मोदी की रेखा को पार कर इस कुर्सी पर काबिज होने की संभावना से भी इंकार
नहीं किया जा सकता। यानि की आडवाणी के बाद 2014 के बाद अगले आम चुनाव तक ही सही
लेकिन मोदी ऐसा दूसरा नाम हो सकते हैं जो इस खिताब को हासिल कर सकते हैं। अब बात
कांग्रेस की करें तो पीएम की कुर्सी का ख्वाब तो कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के मन
में है...लेकिन आलाकमान के आगे मुंह खोलने की हिम्मत शायद कांग्रेसी नहीं
रखते...इसलिए ही पीएम के दावेदार के लिए जब भी मुंह खोलते हैं तो कांग्रेस के
युवराज राहुल गांधी के आलावा दूसरा कोई नाम किसी नेता की जुबान से नहीं सुनाई
देता। इसकी बानगी फिर देखने को मिली जब मशहूर पत्रिका द इकोनॉमिस्ट ने पी चिदंबरम
का नाम राहुल गांधी से आगे बताया तो कांग्रेसी इसको बकवास करार देते नजर आए। राहुल
का ये सपना 100 प्रतिशत साकार हो सकता है लेकिन शर्त है कि 2014 में यूपीए की
हैट्रिक हो...लेकिन यूपीए 2 के कर्म और राजनीतिक हालात तो जनता को इसकी ईज़ाज़त
देते नहीं दिखाई दे रहे हैं। पीएम इन वेटिंग में लंबे वक्त से खड़े एक और शख्स सपा
सुप्रीमो मुलायम सिंह की अगर बात करें तो इस दौड़ में लंबे समय से शामिल मुलायम का
ये सपना 2014 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा के प्रदर्शन और तीसरे मोर्चे
के गठन पर निर्भर करता है...जिसके लिए मुलायम कोशिश तो भरसक कर रहे हैं...हर
सियासी चाल चल रहे हैं...लेकिन इसके बाद भी मुलायम के इस सपने के साकार होने के
आसार बहुत कम हैं...यानि कि आडवाणी की तरह पीएम इन वेटिंग का खिताब आजीवन मुलायम
के पास रहने के प्रबल आसार हैं। खैर आम चुनाव में अभी वक्त है और पीएम की कुर्सी
का ख्वाब संजोए कई नेता भी इसी उम्मीद में जिए जा रहे हैं कि 2014 में न सही...कभी
तो नंबर आएगा।
deepaktiwari555@gmail.com
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