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8.12.12

अति आत्मविश्वास या अभी बाकी है खुमारी !

मुंबई में 10 विकेट की करारी हार के बाद लगा था कि भारतीय क्रिकेट टीम की अहमदाबाद जीत की खुमारी उतर गई है...लेकिन कोलकाता में भारतीय टीम के एक और तय मानी जा रही हार से तो लगने लगा है कि अहमदाबाद की खुमारी अभी भी बाकी है। शायद यही वजह है कि पहले भारतीय क्रिकेट टीम के गेंदबाज जहां अपनी मन माफिक पिच और शानदार रिकार्ड वाले ईडन गार्डन में पहले तो पानी भरते नजर आए और उसके बाद जब बल्लेबाजों की बारी आई तो वे भी अंग्रेज गेंदबाजों के आगे आत्मसमर्पण करते हुए तू चल मैं आया की तर्ज पर पवेलियन की राह पकड़ते नजर आए। वो तो भला हो आर अश्विन का जिसने कोलकाता में भारत को पारी की हार से बचा लिया और अंग्रेजों की जीत के आगे दीवार बनकर खड़े हो गए। पांचवा दिन अभी बाकी है...अश्विन 83 रन पर तो ओझा 3 रन पर नाबाद हैं...लेकिन चमत्कार की उम्मीद कम है...क्रिकेट में बड़े बड़े चमत्कार होते तो हमने देखे हैं...लेकिन पांचवे दिन जिस स्थिति में कोलकाता टेस्ट में भारत है...वहीं चमत्कार की उम्मीद करना बेमानी होगा। हां इंद्रदेव की कृपा रही तो अंग्रेजों की जीत की उम्मीद पर जरूर पानी फिर सकता है...लेकिन कोलकाता का मौसम फिलहाल इसकी ईजाजत देता नहीं दिख रहा है। कोलकाता के ईडन गार्डन मैदान के इतिहास पर अगर नजर डालें तो पता चलता है कि अंग्रेज जनवरी 1977 के बाद से इस मैदान में कोई मैच नहीं जीत पाए हैं। यानि कि अगर अंग्रेज इस मैच को जीत जाते हैं तो वे 35 साल बाद ईडन गार्डन में कोई जीत हासिल करेंगे। 1977 में अंग्रेजों ने भारत को ही इस मैदान में 10 विकेट से करारी मात दी थी...और एक बार फिर से ईडन गार्डन में इंग्लैंड 1977 का इतिहास दोहराने की स्थिति में नजर आ रहा है। 1977 के बाद से इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ ईडन गार्डन में तीन मैच खेले हैं...जिनमें से दो मैच ड्रा रहे तो एक मैच भारत ने जीता। भारत नें 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ इस मैदान में इंग्लैंड के खिलाफ खेले आखिरी मैच में इंग्लैंड को 8 विकेट से मात दी थी। भारत की अगर बात करें तो ईडन गार्डन में भारत का रिकार्ड शानदार रहा है और भारत इस मैदान में फरवरी 1999 के बाद से कोई मैच नहीं हारा है। फरवरी 1999 में पाकिस्तान ने भारत को टेस्ट मैच में 46 रनों से मात दी थी। इस मैच के बाद भारत ने ईडन गार्डन में सात टेस्ट मैच खेले थे जिनमें से भारत ने 5 मैचों में जीत दर्ज की थी तो दो मैच ड्रा रहे हैं। इनमें मार्च 2001 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बाच खेला गया ऐतिहासिक टेस्ट मैच भी शामिल है...जिसमें वीवीएस लक्ष्मण की चमत्कारिक 281 और राहुल द्रविड़ के शानदार 180 रनों और हरभजन सिंह के पूरे मैच में लिए गए 13 विकेट की बदौलत बदौलत भारत ने न सिर्फ अपनी शर्मनाक हार को टाला था बल्कि इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को 171 रनों से मात भी दी थी। भारत ने आखिरी मैच इस मैदान में नवंबर 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था जिसमें भारत ने वेस्टइंडीज को पारी और 15 रनों से हराया था। ईडन गार्डन का ये रिकार्ड भी शायद भारतीय टीम के अति आत्मविश्वास का कारण रहा...और यही अति आत्मविश्वास भारत को कोलकाता में शर्मनाक हार की ओर अग्रसर कर गया। ऐसा नहीं है कि पिच ने बल्लेबाजों को सपोर्ट नहीं किया। बैट पर बॉल खूब आ रही थी...इंग्लैंड कप्तान कुक के शानदार 190 रन, कॉम्पटन के 57 , ट्राट के 87 और पीटरसन के 54 रन के बाद भारतीय पारी में आर अश्विन की चौथे दिन नाबाद 83 रनों की पारी ये बयां करने के लिए काफी है। पिच पर टिक नहीं पाए तो भारत के वो शीर्ष बल्लेबाज जिन्हें कागज पर कोई देख ले तो इन पर आंखें मूंद कर अरबों का दांव लगा दे...लेकिन मुंबई के बाद कोलकाता में भी ये खिलाड़ी नाम के अनुरुप खेल नहीं दिखा पाए। बहरहाल कोलकाता में भी जब टीम का हश्र हूबहु मुंबई टेस्ट की तरह होता दिखाई दे रहा है तो ऐसे में देखना ये होगा कि 13 दिसंबर से नागपुर के विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन मैदान में शुरु हो रहे भारत – इंग्लैंड सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच में भारतीय खिलाड़ी क्या गुल खिलाते हैं...हालांकि नागपुर में नवंबर 2010 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए आखिरी मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को पारी और 198 रनों से मात देकर बड़ी जीत तो दर्ज की थी...लेकिन बड़ा सवाल ये है कि नागपुर में जीत के सिलसिले को भारत क्या इंग्लैंड के खिलाफ आगे बढ़ा पाएगा या फिर नागपुर में भी मुंबई और कोलकाता की कहानी दोहराई जाएगी। उम्मीद करते हैं निराशा का ये सिलसिला टूटेगा और भारतीय टीम लय में लौटेगी।
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