Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

3.1.08

मीडिया युद्ध-- रोज नए युद्धस्थल तैयार हो रहे....हमले व आक्रमण हो रहे

जिधर नजर उठाओ, उधर मीडिया में हलचल ही हलचल। हर छोटा बड़ा ग्रुप बेहद सक्रिय है। यूपी में बच्चा अखबार लांच करने को लेकर दैनिक जागरण और अमर उजाला में होड़ मची है। कभी आगरा युद्धस्थल बनता है और वहां लड़ाई शुरू करके सेनापति नए युद्धस्थल में लावलश्कर लेकर चल पड़े हैं। इलाहाबाद में गए और हमला व आक्रमण बोलते हुए दोनों ने अपने अपने सेनानियों को मैदान में उतार दिया है। हमला बोलने में दैनिक जागरण आगे है। जवाब में अमर उजाला को भी हमला करना पड़ रहा है, अपना कांपैक्ट लांच करते हुए।

सेनापतियों की निगाह अब देहरादून पर है। कांपैक्ट और आईनेक्स्ट तो लांच होने ही वाले हैं, उधर दैनिक हिंदुस्तान भी तैयारी में है। सहारा अभी हाल में ही लांच हुआ है। इसके चलते एकदम से हिंदी पत्रकारों का भाव बढ़ गया है। एक दूसरे को तोड़ने में लगे हैं सभी। वाह, वाकई स्वर्ण काल है हिंदी वालों के लिए लेकिन भई, बहकियेगा नहीं, इतना काम कराके तेल निकालेंगे कि नानी याद आ जाएगी। आंख नाक कान खोलकर और खूब पढ़ पढ़ाकर तैयार रखिए अपने को। पद पैसा बढ़ेगा तो उस हिसाब से क्वालिटी भी मांगी जाएगी। सो, इसके लिए आपको मीडिया जगत पर निगाह रखनी होगी, प्रयोगों को आत्मसात करना होगा।

मैंने आज भड़ास पर बढ़ते जाना रे कालम में मीडिया में आवाजाही और सक्रियता का जिक्र भी किया है।

उधर, मेरठ से डीएलए ने ओमकार चौधरी को सामने लाकर लांच करने की तैयारी शुरू कर दी। एक खबर ये भी है कि अमर उजाला ने अपना सेलरी स्ट्रक्चर फिर से ठीक करते हुए खुद को बेस्ट पेयर बनाने की तैयारी कर ली है। इससे अब दैनिक जागरण पर दवाब बढ़ गया है, अपने पत्रकारों व कर्मियों को रोकने के लिए। जाहिर है, देर सबेर जागरण को भी अपना सेलरी सट्रक्चर फिर से ठीक करना होगा। हालांकि दैनिक जागरण सेलरी के मामले में इस समय भी बेस्ट पेयर में से एक है क्योंकि उसने अब क्वालिटी ठीक करने के लिए सेलरी की लिमिट को किनारे कर दिया है। इसी का नतीजा है कि अब लोग नवभारत टाइम्स जैसे अखबार से आकर दैनिक जागरण ज्वाइन करने लगे हैं। पर बावजूद इसके दैनिक जागरण की क्वालिटी (कंटेंट, लेआउट व प्रजेंटेशन) में अभी कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है। अमर उजाला अपने को लगातार निखारते हुए साल के नए वर्ष में तीनों ही दिन गज़ब का अखबार दिया है। मैं खासकर फर्स्ट पेज की बात कर रहा हूं।

दैनिक हिंदुस्तान और नवभारत टाइम्स तो क्वालिटी के मामले में वैसे भी आगे हैं। इन अखबारों को एक विजन है और ये विजन ठीकठाक संपादकों व पत्रकारों की टीम की वजह से है। वहां चापलूसी और पैर-छुवाई की बजाय सिर्फ और सिर्फ क्वालिटी की बात होती है। वहां प्रोफेशनल माहौल है। इसलिए वहां काम भी बेहतर होता है। ये अलग बात है कि वहां टीम लंबी चौड़ी होती है और काम का माहौल व मौका अच्छा होता है। लेकिन यह सब दैनिक जागरण व अमर उजाला व दैनिक भाष्कर को भी करना होगा।

दैनिक भाष्कर मेरे खयाल से क्वालिटी को लेकर पहले से ही बहुत सचेत है। वहां जिस तरह का सिस्टम बना दिया गया है उसमें खराब क्वालिटी की गुंजाइश ही नहीं बची है। हालांकि वहां अब भी बहुत कुछ किए जाने की गुंजाइश है क्योंकि दरअसल जिस दौर में ब्लैक और तारे जमीन पर जैसी फिल्मे सुपर हिट होती हों उस दौर में सिर्फ प्रजेंटेशन से ही अखबार नहीं बिकेगा। आप को कंटेंट के स्तर पर बेहद गहराई व मल्टी एंगिल लाना होगा। अमर उजाला ने यह काम शुरू किया है लेकिन वहां भी अभी सारा खेल लेआउट व प्रजेंटेशन का है। जो कंटेंट है, वो एक बढ़िया शुरुआत है, लेकिन अभी बहुत काम किया जाना बाकी है।

बात हो रही थी मीडिया हलचल की। इकानामिक टाइम्स हिंदी का बिजनेस डेली ला रहा है। जागरण भी टीवी18 के साथ हिंदी बिजनेस डेली ला रहा है। कई नए ग्रुप अखबार लांच कर चुके हैं या करने वाले हैं। कई हिंदी टीवी चैनल न्यूज वाले लांच हो रहे हैं या लांच होने वाले हैं। कई आनलाइन साइट बड़े ग्रपुों की हिंदी में लांच होने वाली है या लांच हो चुकी है। जिधर नजर उठाओ उधर मीडिया अपने भयंकर प्रसार में जुटा है। लेकिन साल दो साल बाद यह दौर बंद होगा और सभी क्वालिटी व प्रसार को लेकर जंग करेंगे। तब नकारा और घटिया घोषित कर कई हिंदी पत्रकार व संपादक निकाले व हटाए भी जाएंगे। इसीलिए हिंदी पत्रकारों से अनुरोध है कि वे अपने को अपडेट करते रहें। नई तकनीक व कंटेंट के बारे में हमेशा सीखने को तैयार रहें और सीखें भी।

अगर मीडिया के हलचलों की लिस्ट बनाई जाए तो कई पन्ने भर जाएं। यहां तो मैंने इसी बहाने पूरी एनालिसिस ही कर दी। ...चलिए..टापिक बदलते हैं...

-------

आप भड़ासी मित्रों और हिंदी मीडियाकर्मी साथियों से शिकायत है कि वे बढ़ते जाना रे कालम के लिए सूचनाएं उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। केवल कुछ ही साथी हैं जो लगातार सूचनाएं मुझे दे रहे हैं, मेल पर व एसएमएस पर। आप सभी से अनुरोध है कि आप को अगर पत्रकार साथियों की आवाजाही व मीडिया हलचलों से जुड़ी पुख्ता खबर मिले तो उसे मुझे एसएमएस कर दें या मेल कर दें। इससे भड़ास बाकी सभी साथियों के लिए काम की चीज बन सकेगा। उम्मीद है, आप इसे गंभीरता से लेंगे और अपने कीमती वक्त में से कुछ वक्त निकालकर यह काम भी करेंगे। मेरे साथ दिक्कत यह है कि अब मैं सीधे तौर पर पत्रकारिता में नहीं हूं इसलिए एक तो समय की दिक्कत हो गई है, दूसरे सूचनाएं कम पता चल पाती हैं। किसी का फोन आ गया और बता दिया तो पता चल पाता है।

फिलहाल इतना ही
जय भड़ास
यशवंत

No comments: